Site icon The Better India – Hindi

पिता की एक डांट ने चिराग शेट्टी को बनाया था शटलर, देश के लिए जीता ऐतिहासिक मेडल

टोक्यो (जापान) में चल रही वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत के स्टार शटलर चिराग शेट्टी और सात्विकसाई राज की जोड़ी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर देश के लिए मेंस डबल्स इवेंट का पहला मेडल पक्का कर दिया है। लेकिन अपने खेल से आज दुनिया भर में छा जाने वाले चिराग शेट्टी को अनुशासन का पाठ किसी गुरु ने नहीं सिखाया, बल्कि यह उनके पिता थे, जिनकी एक डांट ने कोर्ट पर उनके एटीट्यूड को हमेशा के लिए बदल दिया।

7 साल की छोटी सी उम्र से लेकर करीब साढ़े 12 वर्ष तक चिराग के कोच रहे मनीष हडकर ने द बेटर इंडिया को बताया, “चिराग के पिता चंद्रशेखर शेट्टी बड़े होटल बिजनेसमैन थे, लेकिन वह चिराग की कोचिंग में हस्तक्षेप नहीं करते थे। एक दिन चिराग ने स्ट्रोक प्ले में 25 गलतियां कीं। इस पर मैंने उन्हें कोर्ट के 25 राउंड लगाने की सज़ा दी। यह मुश्किल काम था, क्योंकि एकेडमी में छह कोर्ट थे, उसे हर एक के 25 राउंड लगाने थे। केवल 5-6 राउंड में ही चिराग की हालत खराब हो गई।”

मनीष हडकर ने आगे बताया, “तब चिराग ने अपने पिता से कहा- मुझसे और नहीं होगा, तो पिता चंद्रशेखर रेड्डी ने बच्चे को ढील देने के बजाय, कहा-जो सर ने कहा है, वह करो, वरना मैं तुम्हें घर नहीं ले जाऊंगा।”

मनीष के अनुसार, उस दिन के बाद चिराग ने स्ट्रोक प्ले में कभी गड़बड़ी नहीं की। वह लगातार अपने खेल को इंप्रूव करता गया। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में चिराग की कामयाबी पर मनीष काफी भावुक भी दिखे।

कोर्ट पर चिराग की सबसे बड़ी खासियत क्या है?

मुंबई के गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब के बैडमिंटन कोच रहे और वर्तमान में विरार में ग्लोबल बैडमिंटन एकेडमी से जुड़े मनीष हडकर बताते हैं कि 25 साल के शटलर चिराग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उनका नेट कंट्रोल बहुत अच्छा है। दूसरे, वह प्रतिद्वंद्वी के खेल को पढ़ने में माहिर हैं। इन्हीं दो खूबियों की वजह से वह लगातार आगे बढ़ रहे हैं। डबल्स मुकाबलों में साथी खिलाड़ी के साथ उन्होंने तकनीकी पहलू पर भी काम किया है।

मनीष हडकर ने बताया कि चिराग करीब सात वर्ष के रहे होंगे, जब वह अपने पिता चंद्रशेखर शेट्टी की उंगली थामे एकेडमी आए थे। चिराग में सीखने का असीम जज्बा था। उनके पास चिराग ने करीब पांच साल कोचिंग ली। इसके बाद, करीब साढ़े 12 साल की उम्र में जब उन्होंने प्रोफेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी बनने की सोची, तो इस खेल को और गंभीरता से लेना शुरू कर दिया।

चिराग पढ़ाई में बेहद होशियार रहे हैं। उन्हें विज्ञान में बेहद दिलचस्पी थी, लेकिन वह बैडमिंटन की प्रोफेशनल ट्रेनिंग भी ले रहे थे, इसलिए 10वीं की कक्षा पास करने के बाद, उन्होंने साइंस को छोड़ कॉमर्स ले लिया। इसके बाद विभिन्न टूर्नामेंट्स में उनकी जीत का सफर शुरू हो गया। चिराग को उनका पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल स्विस जूनियर ओपन-2014 के मेंस डबल्स में मिला। इसके बाद उसी साल उन्होंने अपना दूसरा इंटरनेशनल गोल्ड, योनेक्स बेल्जियन जूनियर (स्कॉटलैंड में) के खिलाफ जीता।  

पुलेला गोपीचंद एकेडमी में सात्विकसाईराज के साथ बनी जादुई जोड़ी  

बैडमिंटन में शुरुआती कामयाबी मिलने के बाद, चिराग ने प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद एकेडमी का रूख किया। मुंबई में पैदा हुए 6 फुट 1 इंच कद वाले चिराग की जोड़ी, आंध्र प्रदेश के सात्विकसाईराज रेड्डी के साथ बनी, जो जादुई साबित हुई।

भले ही दोनों के खान-पान, रहन-सहन, रुचि, विचारों आदि में बेहद अंतर था, लेकिन दोनों एक-दूसरे के साथ कोर्ट पर जब भी उतरते कमाल ही करते थे। जहां साईराज का बैक कोर्ट गेम मजबूत था, वहीं गोपीचंद की सलाह पर चिराग ने अपना फ्रंट कोर्ट गेम सुधारा, जिसने कमाल कर दिया और आज नतीजा सबके सामने है। मनीष कहते हैं कि नए बैडमिंटन खिलाड़ी अब चिराग का खेल देखकर प्रेरित हो रहे हैं। यह हमारे लिए बड़ी बात है।

चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रेड्डी की जोड़ी ने 26 अगस्त, 2022 को हुए वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में दुनिया में नंबर दो का तमगा हासिल जापानी जोड़ी ताकुरो होकी और यूगो कोबायाशी को हराकर देश को वह मेडल दिलाया, जिसका भारत भर के खेल प्रेमी इंतजार कर रहे थे।

इससे पहले, इस भारतीय जोड़ी ने कॉमनवेल्थ खेलों में भी भारत को गोल्ड मेडल दिलाया था। बैंकॉक में हुए थॉमस कप में भी उन्हें गोल्ड मिला था। रेयान इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई से स्कूली पढ़ाई कर आगे की शिक्षा नरसी मॉनजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से लेने वाले चिराग के साथ, सात्विक की थॉमस कप में जीत को भारत में बैडमिंटन की दुनिया का परिदृश्य बदलने वाली जीत माना गया।

“चिराग में दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी बनने की काबिलियत”

ओलंपिक स्पोर्ट्स क्वेस्ट से भी कोर्स कर चुके मनीष हडकर 7 साल की उम्र से लेकर 18 वर्ष तक के खिलाड़ियों को बैडमिंटन की बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस ट्रेनिंग देते हैं। वह फुटबॉल के सीनियर डिवीज़न प्लेयर भी रहे चुके हैं। लेकिन उन्हें एक इंजरी की वजह से फुटबॉल छोड़ना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने बैडमिंटन का रुख किया।

चिराग शेट्टी, श्लोक रामचंद्रन जैसे कई खिलाड़ियों को सिखाने वाले मनीष कहते हैं कि जब अपना सिखाया खिलाड़ी दुनिया में नाम करता है तो फ़ख्र का एहसास होता है। उम्मीद की जा सकती है कि एक दिन चिराग, दुनिया में नंबर एक खिलाड़ी बनेंगे। उनके अनुसार चिराग में ऐसा करने की पूरी काबिलियत है। वह अपने व्यस्त शेड्यूल के बावजूद, चिराग के सभी मैच देख रहे हैं। बकौल मनीष भारत को चिराग से अभी बैडमिंटन में बहुत कुछ मिलना बाकी है।

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः दुनिया के शीर्ष पैरा बैडमिंटन प्लेयर्स हैं भारतीय, इनके गुरु खुद ढूंढकर लाते हैं खिलाड़ी

Exit mobile version