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1000+ वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे यह रिटायर्ड कपल, आज कई छात्र कर रहे अच्छी नौकरी

Retired Couple Giving Free Education To Underprivileged Children

कोयंबतूर के रहनेवाले शिव स्वामी से जैसे ही मैंने बातचीत शुरू की, उन्होंने सबसे पहले बड़े दुखित मन से कहा, “एक दिन मैंने महसूस किया कि दिहाड़ी-मजदूरी करके रोज़ कमाने-खाने वाले मजदूरों के बच्चे, जो सरकारी स्कूलों में जाते हैं, उन्हें स्कूल के बाद पढ़ाने वाला कोई नहीं है, उन्हें जो काम स्कूल से दिए जाते हैं, उसमें उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है। इसीलिए मैंने इन्हें फ्री एजुकेशन देने का फैसला किया।”

शिव ने बताया कि स्कूल में क्या पढ़ाया जा रहा है, वह अक्सर बच्चे समझ नहीं पाते। इसलिए वे अपना होमवर्क पूरा नहीं कर पाते और शायद यही वजह है कि वे स्कूल जाने से डरते हैं। 

पचापलायम में रहनेवाले रिटायर्ड कपल, शिव स्वामी और महालक्ष्मी ने बच्चों की पढ़ाई में मदद करने के लिए ‘काल्वी थुनै’ नाम का शिक्षा केंद्र शुरू किया, जहां वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। यह केंद्र शाम को चलता है, ताकि दिन में बच्चे स्कूल जा सकें और शाम को यहां आकर पढ़ सकें। 

शिव कहते हैं, “हम इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि बच्चे स्कूल में जो पाठ पढ़कर आएं, उसे रिवाइज़ किया जाए और साथ ही वे अपना असाइनमेंट पूरा करें।” 

शिव ने यह मुफ्त शिक्षा केंद्र साल 2014 में शुरू किया था। काल्वी थुनै नाम का यह केंद्र 4वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूल के बाद, उनकी पढ़ाई में सहायता करता है, होमवर्क करने में मदद करता है, कठिन कॉन्सेप्ट को समझने में मदद करता है, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ और आउटिंग का आयोजन करता है और छात्रों के मानसिक व शारीरिक विकास में भी मदद करता है।

महज़ 3 बच्चों से हुई थी शुरुआत

Students participating in Extracurricular activities at Kalvi Thunai

इस कपल ने काल्वी थुनै को शुरू करने के लिए शुरुआत में 40 लाख रुपये का निवेश किया गया। सबसे पहले दोनों ने एक इमारत खरीदी और उसका रेनोवेशन करवाया। फिर वह बिल्डिंग काल्वी थुनै के ही नाम कर दी, ताकि यह पहल, जो उन्होंने शुरू की है, वह उनके जीवनकाल तक चलता रहे। इस केंद्र में 136 छात्र और 11 पेड शिक्षक हैं। 

अब तक करीब 1000 छात्रों ने इस केंद्र से फ्री एजुकेशन हासिल किया है, जिसमें से करीब 350 छात्रों के पास अब नौकरी है।

दरअसल, कई सालों तक काम करने के बाद, शिव स्वामी और महालक्ष्मी, साल 2010 में रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद, समय बिताने के लिए वे कुछ ऐसा काम करना चाहते थे, जिससे समाज की सेवा हो सके। 

महालक्ष्मी, डिप्रेशन से पीड़ित लोगों की काउंसलिंग करती हैं। उन्होंने अपनी मेड के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और महसूस किया कि उनकी थोड़ी सी मदद से बच्चों में सुधार हो रहा है। इससे उन्हें काफी प्रोत्साहन मिला। फिर उन्होंने समाज सेवा की दिशा में एक और कदम बढ़ाया और एक बिल्डिंग खरीदकर, शिक्षा केंद्र खोलने का फैसला किया।

जब उन्होंने केंद्र शुरू किया, तो महज़ 3 बच्चों से शुरुआत हुई। लेकिन धीरे-धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने लगी और उन्होंने शिक्षकों की भर्ती शुरू कर दी। 

किन चुनौतियों का करना पड़ा सामना?

Computer classes at Kalvi Thunai

शुरुआत में शिव और महालक्ष्मी के सामने सबसे बड़ी चुनौती छात्रों को केंद्र तक लाना और उन्हें पढ़ने के लिए राजी करना था। स्वामी कहते हैं, “हर कोई लक्ष्मी (धन की देवी) चाहता है, सरस्वती (ज्ञान की हिंदू देवी) नहीं।” उन्हें बच्चों को समझाने में थोड़ा समय लगा। साथ ही उन्हें, काम पर जाने के बजाए पढ़ाई का महत्व समझाने के लिए छात्रों और माता-पिता की काउंसिलिंग भी करनी पड़ी।

शिव की पत्नी महालक्ष्मी कहती हैं, “बच्चों को बस जरा सा रास्ता दिखाने की ज़रूरत थी, उन्हें थोड़ी सी मदद करने वाला हाथ चाहिए था, क्योंकि उनके माता-पिता सुबह से रात तक काम करते हैं और उनकी पढ़ाई में मदद नहीं कर सकते।”

धीरे-धीरे इस फ्री एजुकेशन पहल के बारे में लोगों को पता चलने लगा और ज्यादा छात्र जुड़ते गए। आज की तारीख में पढ़ाने का काम दो बैच में बांटा गया है – पहला बैच क्लास 4वीं से 8वीं तक के लिए और दूसरा क्लास 9वीं से 12वीं तक के लिए। पुराने बैच को साइंस और कॉमर्स के आधार पर बांटा गया है। 

फ्री एजुकेशन के साथ, कई तरह की दी जाती हैं सुविधाएं

Students taking Meals at Kalvi Thunai

सेंटर का मुख्य ध्यान विषयों को छात्रों के लिए सुलभ बनाने पर है, जो पढ़ने की प्रक्रिया को मजे़दार बनाता है। शिव स्वामी कहते हैं, “स्कूलों में जिस तरह से गणित पढ़ाया जाता है, उसके कारण बच्चे इस विषय से नफरत करने लगते हैं। हम ध्यान रखते हैं कि वे विषयों को पसंद करना शुरू कर दें और उन्हें पढ़ने में मज़ा आए।”

छात्रों को एक संपूर्ण अनुभव देने के लिए, केंद्र कई सहायक लर्निंग तकनीक का भी इस्तेमाल करता है। हर शुक्रवार को, केंद्र में स्टोरी टेलिंग सेशन और और युवा बैच के लिए एक ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम होता है। महीने में एक बार, ये पुराने बैच के लिए भी होता है। इसमें कई विषयों को शामिल किया गया है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वे स्कूल में क्या पढ़ रहे हैं।

यहां हर महीने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है, जैसे जून में योग दिवस, जुलाई में कामराज का जन्मदिन मनाते हैं और अगस्त में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा यह केंद्र, बच्चों को ध्यान में रखते हुए कई चीजें करता है जैसे, उन्हें पोंगल के लिए नए कपड़े देना, हर दिन हेल्दी नाश्ता देना आदि। 

फ्री एजुकेशन ही नहीं, समर कैंप में भी हिस्सा लेते हैं बच्चे

Students doing Yoga at Kalvi Thunai

इस केंद्र में बच्चों के लिए समर कैंप आयोजित किया जाता है, जहां छात्रों को शहर की महत्वपूर्ण जगहों पर ले जाते हैं। उदाहरण के लिए, वे छात्रों को एक खेत में ले गए और ऑर्गेनिक खेती के बारे में बाताया। शिव कहते हैं, “यह बिल्कुल एक नियमित स्कूल जैसा ही है।” यहां लड़कियों के लिए खास सेशन भी होता है, जैसे मासिक धर्म, आर्ट एंड क्राफ्ट सेशन, गेम सेशन आदि।

शिव और महालक्ष्मी के रास्ते में एक और चुनौती थी, कोविड लॉकडाउन हटने के बाद, केंद्र से जुड़े छात्रों को वापस केंद्र तक लेकर आना।

कई बड़े बच्चों को पेट्रोल पंप या सड़क के किनारे की दुकान पर काम करने जैसी नौकरियां मिल गई थीं, जिससे वे हर महीने करीब 5,000 रुपये तक कमा रहे थे। स्वामी कहते हैं, “एक बार जब आपके हाथों में पैसे आने लगते हैं, तो आप पढ़ाई की ओर वापस नहीं जाना चाहते।” छात्रों और उनके माता-पिता से बात करके और शिक्षा के फायदे को समझाते हुए, काल्वी थुनै 30 छात्रों को क्लास में वापस लाने में सक्षम रहा।

12वीं के बाद कर सकते हैं स्किल डेवलपमेंट के लिए ये चीज़ें

Embroidery classes at Kalvi Thunai

12वीं क्लास पूरी करने वाले छात्रों के लिए काल्वी थुनै, वोकेशनल ट्रेनिंग और सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट जैसे कोर्स भी मुहैया कराता है। दिन के समय जब स्कूल चलता है, तो सेंटर खाली रहता है और इस समय स्पोकन इंग्लिश, कस्टमर सर्विस और कंप्यूटर के बेसिक्स जैसे एमएस ऑफिस वगैरह के बारे में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा, टैली, एम्ब्रॉयड्री, कोरल ड्रॉ और फोटोशॉप जैसे कोर्स की सुविधा भी है। 

सेंटर में चार्टड एकाउंटेंसी फाउंडेशन कोर्स की सुविधा भी है। यह कोर्स यहां 4,500 रुपये में किया जा सकता है, जबकि शहर में इस कोर्स की फीस करीब 50,000 रुपये तक होती है। 

फ्री एजुकेशन के साथ ही छात्रों को सॉफ्ट स्किल्स भी सिखाई जाती है, ताकि वे ऑफिस के माहौल में बेहतर तरीके से घुल-मिल सकें। शिव कहते हैं, “उनके पास ऑफिस में काम करने के शिष्टाचार की कमी है। हम उन्हें ऑफिस कल्चर के बारे में सिखाते हैं।”

काल्वी थुनै में इन तरह-तरह के एक्टिविटीज़ के साथ, पूरे ऑपरेशन को चलाने के लिए प्रति माह 1 लाख रुपये खर्च होते हैं। बॉश और विप्रो जैसी कंपनियों की सीएसआर इकाइयों और निजी दानदाताओं के साझेदारी के ज़रिए इसकी फंडिंग होती है।

आज भी हैं कुछ नई चुनौतियां

Classes at Kalvi Thunai

विग्नेश के. इस ट्यूशन सेंटर के पूर्व छात्र हैं और अपने परिवार में ग्रेजुएशन करने वाले पहले व्यक्ति भी। वह 11वीं और 12वीं कक्षा के दौरान, सेंटर से जुड़े थे और यहां उन्होंने स्पोकन इंग्लिश कोर्स में भाग लिया। वह कहते हैं, “मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं और मैं तमिल माध्यम स्कूल में पढ़ रहा था। मेरा अंग्रेजी कम्युनिकेशन स्किल कमजोर था और मैं ट्यूशन कक्षाओं का खर्च नहीं उठा सकता था, लेकिन इस केंद्र से मुझे काफी मदद मिली।”

केंद्र के फ्री एजुकेशन के ज़रिए विग्नेश अपनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सके और आज अच्छी नौकरी कर रहे हैं। आज, वह एलएंडटी में टेक्नोलॉजी सर्विस डिविज़न में काम करते हैं।

हालांकि, आज भी काल्वी थुनै को अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया मैनेजमेंट के लिए प्रोफेशनल हेल्प आदि जैसी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन वे हर दिन अपने बच्चों को शिक्षित, प्रेरित और उनमें एक नए तरह के आत्मविश्वास का निर्माण कर रहे हैं।

मूल लेखः आरुषी अग्रवाल

संपादनः अर्चना दुबे

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