हमारे देश में हर किसी को अच्छी शिक्षा हासिल करने का मौका नहीं मिल पाता। हालांकि, हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं, जो शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए लगातार हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
समय-समय पर, इन लोगों ने कई बाधाएं पार कर उन बच्चों को शिक्षित करने की पहल की, जो स्कूल जाने का खर्च नहीं उठा सकते।
ये वे लोग हैं, जो न जाने कितने बच्चों के लिए एक शिक्षक, एक गुरु बने।तो चलिए जानें ऐसे ही कुछ शिक्षकों की कहानी-
1.
शादाब हसन
एमबीए ग्रेजुएट शादाब ने एक आलीशान कॉर्पोरेट करियर के बजाय, वंचित बच्चों को शिक्षित करने का फैसला किया।
शादाब और उनकी माँ रोशन आरा, झारखंड के रांची से लगभग 20 किमी दूर एक छोटे से गांव के करीब 80 बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।
2.
सिमरन प्रीत कौर
8 साल पहले, सिमरन प्रीत कौर ने अपने घर पर गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
कुछ समय बाद, सिमरन ने उन बच्चों की माताओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाने के लिए 'पिन एंड नीडल्स' क्लास की शुरुआत की, ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और अपने परिवार की आर्थिक मदद कर कर सकें।
3.
नीतू सिंह
कभी खुद गरीबी में जीवन बिता चुकीं नीतू, आज झुग्गी-झोपड़ी में रहनेवाले 30 बच्चों की टीचर हैं और उन बच्चों को शिक्षित कर, एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ने में मदद कर रही हैं।
4.
डॉ. भरत सारण
आनंद कुमार के सुपर 30 से प्रेरित होकर डॉ. भरत ने '50 विलेजर्स सेवा संस्थान' नाम से एक कोचिंग सेंटर खोला। बाड़मेर जिले की इस कोचिंग में 11वीं व 12वीं के 25-25 वंचित छात्रों को फ्री मेडिकल एजुकेशन दी जाती है।
5.
अदिति प्रसाद
अदिति ने तमिलनाडु में वंचित लड़कियों को रोबोटिक्स सिखाने के लिए 'Indian Girls Who Can Code' की शुरुआत की।
6.
उपलब्धि मिशा चंदोला
29 साल की उपलब्धि, उत्तराखंड में होमस्कूलिंग के ज़रिए 80 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का काम कर रही हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए 'टीच गर्ल्स' नाम के स्कूल में 5 साल से लेकर 50 साल तक की उम्र के लोग पढ़ते हैं।
7.
श्याम प्रसाद
BSNL से रिटायर श्याम प्रसाद, वंचित बच्चों को दिल्ली के फुटपाथ पर पढ़ाते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि 'हर बच्चे को एक मौका तो मिलना ही चाहिए'।
8.
अनुपम कुमारी
पूर्वी दिल्ली की मुल्ला कॉलोनी की अनुपम कुमारी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा, लेकिन आज वह कूड़ा बीनने और सफाई करने वालों के बच्चों को पढ़ाती हैं।
हेमंती का दिन कांदिवली स्टेशन स्काईवॉक पर बच्चों को अक्षर, संख्या, शब्द, आर्ट और क्राफ्ट सिखाने से शुरू होता है, वह भी बिना किसी फीस के।
9.
हेमंती सेन
10.
नारायण स्वामी
जब पैसों की कमी ने नारायण स्वामी के MBBS करने के सपने को चूर कर दिया, तो उन्होंने वंचित बच्चों के लिए एक स्कूल खोलने का फैसला किया। 1990 में 5 छात्रों से शुरू हुए उनके स्कूल में अब 12 शिक्षक हैं, जो 300 छात्रों को पढ़ाते हैं।
स्कूल खोलने के अपने सपने को पूरा न कर पाने के बाद, मधु ने अपनी मेड के दो बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और 2 बच्चों से शुरू हुआ यह सफर आज 80 तक पहुंच चुका है।
मधु कुलश्रेष्ठ
11.
रंजीत सिंह ने तापी नदी के किनारे बसे एक छोटे से गांव गौखेड़ा में वीकेंड स्कूल शुरू किया। 20-25 छात्रों के साथ शुरू हुए इस स्कूल में आज तीन गुना ज्यादा बच्चे फ्री शिक्षा ले रहे हैं।