राजस्थान के बीकानेर जिले के रासीसर निवासी प्रेम सुख डेलू, आज गुजरात कैडर के अमरेली में आईपीएस पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने साल 2015 की यूपीएससी परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल की। पर दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने हिंदी माध्यम से परीक्षा दी और हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों में उन्होंने पूरे देश में तीसरी रैंक प्राप्त की।
हमारे देश में अक्सर अंग्रेजी भाषा को काफी महत्व दिया है। बहुत से लोग सिर्फ इस एक भाषा के बल पर अन्य लोगों की काबिलियत मापने लगते हैं। ऐसे में, आईपीएस प्रेम सुख डेलू की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सिर्फ एक भाषा, आपकी काबिलियत का पैमाना नहीं बन सकती, वो भी उस बहुभाषी देश में जहां हर दो-तीन किमी पर लोगों की बोली बदल जाती है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए आईपीएस डेलू ने अपने संघर्ष और सफलताओं के बारे में बताया।
एक बड़े-संयुक्त परिवार से आने वाले आईपीएस डेलू के घर में उनकी पीढ़ी से पहले कोई स्कूल भी नहीं गया था। उनके परिवार के पास कोई खास ज़मीन-जायदाद भी नहीं थी कि वह अपनी खेती कर पाते। “मेरे पिताजी ऊंट-गाड़ी चलाते थे और लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते थे। बचपन में बहुत-सी आर्थिक परेशानियाँ देखीं क्योंकि आमदनी इतनी नहीं थी और खर्च काफी था,” उन्होंने बताया।
डेलू ने अपनी पूरी पढ़ाई गाँव के सरकारी स्कूल और फिर बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से की। उन्होंने इतिहास विषय में एम. ए. किया और कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। साथ ही, इस विषय में उन्होंने यूजीसी-नेट और जेआरएफ की परीक्षा भी उत्तीर्ण की हुई है।
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बचपन से ही पढ़ाई में तेज रहे डेलू बताते हैं, “बचपन से ऐसा कुछ नहीं था कि ‘अच्छा सिर्फ यही करना है।’ सबसे पहली प्राथमिकता थी कि हम पढ़ाई करके कोई नौकरी ले लें ताकि घर-परिवार का सहारा बन पायें और फिर अपने लिए भी आगे की राह बना सकते हैं।”
इसलिए ग्रैजुएशन के बाद जो भी सरकारी नौकरी के फार्म भर सकते थे, उन्होंने भर दिए। साल 2010 में उन्होंने पटवारी की परीक्षा पास की और उन्हें नियुक्ति मिल गयी। डेलू चाहते तो पटवारी के पद पर रह सकते थे, लेकिन उन्हें अंदाजा था कि उनकी प्रतिभा इससे कहीं ज्यादा है और इसलिए उन्होंने कोई न कोई परीक्षा देने का सिलसिला जारी रखा।
पास की 9 सरकारी परीक्षाएँ
पटवारी की नौकरी करते-करते उन्होंने मास्टर्स की और फिर अन्य कई परीक्षाएँ पास कीं जैसे कि राजस्थान में ग्राम सेवक पद की परीक्षा। उन्होंने उसमें भी दूसरी रैंक हासिल की। इसके साथ ही, उन्होंने असिस्टेंट जेलर की परीक्षा में भी पूरे राजस्थान में टॉप किया था।
डेलू बताते हैं कि इससे पहले कि वह जेलर का पद ज्वाइन करते, उनकी सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा का परिणाम आ गया और इसमें भी वह उत्तीर्ण रहे। लेकिन उनकी परीक्षाओं का सफ़र यहीं नहीं रुका क्योंकि उनकी मंजिल कुछ और थी। उनके मन में सिविल सर्विस परीक्षा पास करने का बीज पनप चुका था।
“हमारे घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर रही और इस वजह से लोग एक अलग ही नजरिए से देखते थे। मुझे कम उम्र से ही समझ में आ गया था कि यदि अपने परिवार के लिए सम्मान बनाना है तो पढ़ाई के ज़रिए ही हो सकता है। इसलिए मेरा लक्ष्य स्पष्ट था कि मुझे बेहतर से बेहतर पद पर जाना है,” उन्होंने आगे कहा।
सब-इंस्पेक्टर के बाद उन्होंने तृतीय और फिर द्वितीय श्रेणी शिक्षक की परीक्षा पास की। कॉलेज में बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। इसके अलावा, उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में तहसीलदार पद भी प्राप्त किया।
तहसीलदार की नौकरी करते हुए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और अपने दूसरे प्रयास में परीक्षा पास की। डेलू बताते हैं, “मैं नौकरी छोड़कर सिर्फ तैयारी पर ध्यान नहीं दे सकता था क्योंकि मुझे घर की आर्थिक स्थिति को भी देखना था। इसलिए मैंने सिर्फ उस बात पर ध्यान दिया जो कि मेरे हाथ में था – कड़ी मेहनत।”
ज्यादातर विषयों के लिए उन्होंने सेल्फ-स्टडी की और कुछ विषय जैसे कि कानून और नैतिकता के विषय की समझ बनाने के लिए एक महीने क्लासेस ली। इसी तरह उन्होंने समान्य ज्ञान के विषय के लिए भी चंद दिन कोचिंग ली और फिर खुद से अपना रूटीन बनाया।
अपने पढ़ाई के रूटीन के बारे में उन्होंने बताया कि जॉब के साथ उन्होंने देर रात तक पढ़ने का शेड्यूल रखा और फिर वीकेंड का अच्छे से उपयोग किया। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान एक पल भी व्यर्थ नहीं गंवाया। वह कहते हैं कि किसी भी परीक्षा की पढ़ाई के दौरान टाइम-मैनेजमेंट सबसे ज़रूरी है।
प्रतिभागियों के लिए कुछ टिप्स:
डेलू कहते हैं कि सबसे पहले तो अपने दिमाग से यह बात निकाल दें कि अगर परीक्षा पास नहीं हुई तो क्या होगा? उन्होंने हमेशा ही इस बात में विश्वास किया,”मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन पाने को पूरी दुनिया है।” इसलिए खुद को हार और असफलता के डर से बाहर निकालें।
थोड़ा-बहुत स्ट्रेस सबको होता है और इस स्ट्रेस को आप पढ़ने के लिए अपनी मोटिवेशन बना सकते हैं। लेकिन अगर यह स्ट्रेस आप पर हावी होने लगे तो एक ब्रेक लें। अपने घर-परिवार में बात करें, अपने दोस्तों से बात करें। “मुझे जब भी लगता कि मैं परेशान हो रहा हूँ या फिर फोकस नहीं बन पा रहा है तो मैं अपने माता-पिता से बात करता। अपने दोस्तों को फ़ोन लगा लेता या फिर बाहर ताज़ी हवा में थोड़ा टहल आता। 10-15 मिनट का ब्रेक भी बहुत तरोताजा कर देता है,” उन्होंने कहा।
अगर स्ट्रेटेजी की बात करें तो डेलू के मुताबिक हर एक छात्र को अपनी स्ट्रैटजी बनाते समय परीक्षा का पूरा सिलेबस और पुराने कुछ सालों के पेपर अपने साथ रखने चाहिए और उसी हिसाब से पढ़ाई करनी चाहिए।
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यूपीएससी के इंटरव्यू में हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों में डेलू ने टॉप किया था। उन्हें सबसे ज़्यादा 187 अंक मिले। इस बारे में उन्होंने बताया कि अक्सर लोगों की धारणा होती है कि इंटरव्यू में आपको फॉर्मल्स में ही जाना है क्योंकि आपकी ड्रेसिंग का भी काफी प्रभाव आपकी मार्किंग पर पड़ता है।
“लेकिन ऐसा कुछ नहीं है क्योंकि मैं बहुत ही सादे कपड़ों में गया था। मेरा पूरा ध्यान सिर्फ इस पर था कि मैं सभी जवाब अच्छे से दूँ। मुझे इंटरव्यू में मेरी पृष्ठभूमि जैसे कि राजस्थान और रेगिस्तान से संबंधित बहुत सवाल किए गए। फिर जब उन्हें मैंने बताया कि स्कूल में मेरा बैकग्राउंड साइंस से था तो उन्होंने उससे भी सवाल किए। मैंने पूरे आत्म-विश्वास और अपनी बेहतर समझ से सबका उत्तर दिया,” उन्होंने आगे बताया।
यूपीएससी पास करना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था। उनके साथ-साथ यह उनके परिवार के लिए भी बहुत गर्व का पल था। फ़िलहाल वह अमरेली में एसीपी पद पर कार्यरत हैं और यहां भी उनकी पूरी कोशिश है कि पुलिस डिपार्टमेंट का नाम रौशन करें और लोगों की सेवा करें।
आईपीएस प्रेम सुख डेलू का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। हमें उम्मीद है कि उनकी कहानी पढ़कर बहुत से प्रतिभागियों को हौसला मिलेगा!
संपादन- अर्चना गुप्ता