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दुनिया के शीर्ष पैरा बैडमिंटन प्लेयर्स हैं भारतीय, इनके गुरु खुद ढूंढकर लाते हैं खिलाड़ी

World's top Para Badminton players are Indian, coach is Gaurav Khanna

टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। ये पैरा एथलीट्स अब तक देश के लिए 7 पदक जीत चुके हैं, जिसमें दो गोल्ड 4 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। टोक्यो में पहली बार पैरालिंपिक खेलों में बैडमिंटन की शुरुआत की गई है। भारत की सात सदस्यीय बैडमिंटन टीम भी पदक हासिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इस टीम में, एक ओर जहां अर्जुन पुरस्कार विजेता प्रमोद भगत जैसे अनुभवी खिलाड़ी हैं, तो वहीं 19 वर्षीय पलक कोहली जैसा नया टैलेंट भी शामिल है। देश के लिए जीत और पदक हासिल करने वाले ये खिलाड़ी बहुत मेहनत करते हैं और देश उन्हें सिर-आंखों पर भी बिठाता है। लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे, सिर्फ उनकी मेहनत का ही नहीं, बल्कि उनके गुरु या उनके कोच का भी बहुत बड़ा हाथ होता है। जैसे, बैडमिंटन की इस मजबूत टीम के पीछे हैं, उनके कोच व पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी गौरव खन्ना।

चार दिन बाद, पूरा देश शिक्षक दिवस मनाएगा। तो क्यों न आज हम पढ़ें एक ऐसे गुरु की कहानी, जिन्होंने तैयार किए दुनिया के टॉप पैरा बैडमिंटन प्लेयर्स।

जब कोच को डॉक्टर ने कर दिया था खेलने से मना

Gaurav Khanna, Coach (Para Badminton)

लखनऊ के रहने वाले 46 वर्षीय गौरव ने कम उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और कई राज्य और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की थी। साल 1998 में, उनकी उपलब्धियों को देखते हुए, उन्हें रेलवे सुरक्षा बल (RPF) में निरीक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया गया।

हालांकि, उदयपुर नेशनल में एक युगल (Doubles) मैच के दौरान, उनके घुटने में चोट लग गई। आगे परेशानी और ना बढ़े, इसलिए डॉक्टर्स ने उन्हें आगे खेलने से मना कर दिया। एक खिलाड़ी के तौर पर उदयपुर नेशनल का वह मुकाबला उनका आखिरी मैच था, लेकिन वह इस खेल को पूरी तरह से छोड़ना नहीं चाहते थे। तभी उन्हें अपनी माँ से प्रेरणा मिली।

दरअसल, गौरव की माँ ने अपना अधिकांश जीवन जरूरतमंदों और दिव्यांग जनों की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया था। ईश्वर में उनकी बहुत श्रद्धा थी, इसलिए वह हर दिन मंदिर जाती थीं और जरूरतमंदों को भोजन या आवश्यक सामान उपलब्ध कराती थीं। कभी-कभी, वह उन्हें सड़क पार करने या मंदिर के अंदर और बाहर आने-जाने में मदद भी करती थीं।

उनके नक्शे कदम पर चलते हुए, गौरव ने भी दूसरों की मदद करने का फैसला किया। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया, “अपने प्रशिक्षण के दिनों में, मैंने मूक-बधिर खिलाड़ियों के साथ-साथ दिव्यांग लोगों के साथ भी अभ्यास किया।”

देश के कोने-कोने से ढूंढे खिलाड़ी

Gaurav Khanna with Indian para badminton champions

सबसे पहले, उन्होंने अपने पिछले सर्कल से कुछ श्रवण-बाधित (hearing-impaired) खिलाड़ियों की पहचान की और उन्हें प्रशिक्षण देना शुरू किया। चूंकि वह उन पर विशेष ध्यान दे रहे थे, इसलिए छात्र खेल को तेजी से सीखने लगे और अच्छे परिणाम भी मिलने लगे। गौरव ने सांकेतिक भाषा भी सीखी, ताकि वह अपने छात्रों के साथ आसानी से बात कर सकें।

इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, ऐसी कोई चीज़ नहीं थी, जो उन्हें रोक सके। उन्होंने अलग-अलग Rehabilitation Centers से ऐसे लोगों की पहचान की, जो स्पोर्ट्स में अच्छे हों और उन्हें सपोर्ट करते रहे।

हालांकि, पैरा-खिलाड़ियों का कोच बनना कोई आसान काम नहीं है। सांकेतिक भाषा सीखने के अलावा, गौरव ने किसी भी स्ट्रोक को सिखाने के दौरान एक विशेष दृष्टिकोण भी अपनाया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “यह सक्षम व समान्य खिलाड़ियों को सिखाने के जैसा बिल्कुल नहीं है। मझे, उनकी शारीरिक स्थितियों को ध्यान में रखकर, व्हीलचेयर पर चलनेवालों के लिए मूवमेंट को मैनेज करना होता है और सिखाते समय बहुत धैर्य की जरूरत होती है।”

भले ही यह एक कठिन काम है, लेकिन ट्रेनिंग देने का जो उत्साह गौरव में है और छात्रों में सीखने की जो ललक नज़र आती है, उससे गौरव को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। प्रशिक्षण देने के अलावा, गौरव यह भी सुनिश्चित करते हैं कि होनहार खिलाड़ियों को सरकारी और निजी संगठनों से स्पॉन्सरशिप मिले।

कैसे बने नेशनल कोच?

Coach Gaurav Khanna & Para Badminton Player palak Kohli

एक गैर-लाभकारी कोचिंग अकादमी शुरू करने के साथ-साथ, गौरव को साल 2000 में, भारतीय बधिर टीम का राष्ट्रीय कोच भी बनाया गया। इसके बाद उनके छात्रों ने बधिर विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया, और अगले ही साल, गौरव को एशिया यूरोप कॉन्टिनेंटल डेफ चैम्पियनशिप में एशियाई टीम का कोच बना दिया गया।

उनके कुछ छात्रों में मनोज सरकार, प्रमोद भगत, पारुल परमार, आईएएस अधिकारी सुहास एलवाई जैसे विश्व चैंपियन शामिल हैं। साल 2015 में गौरव को वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भारतीय पैरा टीम का मुख्य कोच बनाया गया था। उस साल भारत ने 13 पदक जीते थे।

एक इंटरव्यू में गौरव ने कहा, “आमतौर पर राष्ट्रीय स्तर की पैरा प्रतियोगिताओं के लिए केवल 40-50 एंट्रीज़ होती हैं। लेकिन साल 2017 में 150 एंट्रीज़ हुईं और 2019 तक 300 से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया। यह बढ़ोतरी इसलिए हुई, क्योंकि यह खेल भारतीय पैरा एथलीटों के बीच लोकप्रिय हो गया था।

द्रोणाचार्य पुरस्कार से किया गया सम्मानित

अगस्त 2020 में, गौरव को पैरा-बैडमिंटन में उनके योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसी वर्ष, उन्होंने गौरव खन्ना एक्सेलिया बैडमिंटन अकादमी नाम से एक बैडमिंटन अकादमी भी शुरू की, जो पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए समर्पित संस्थान है।

फिलहाल टोक्यो में चल रहे पैरालिंपिक में पारुल परमार, पलक कोहली, मनोज सरकार, प्रमोद भगत, तरुण ढिल्लों, सुहास एल यतिराज और कृष्णा नागर की सात सदस्यीय टीम भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है। इन सभी खिलाड़ियों के गुरु, इनके द्रोणाचार्य गौरव खन्ना ही हैं।

मूल लेखः रौशनी मुथुकुमार

संपादनः मानबी कटोच

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