Site icon The Better India – Hindi

पैड वाली दादी: 62 की उम्र में खुद जाकर बांटती हैं पैड, रोज़ बनाती हैं 300 ज़रूरतमंदों का खाना

padwali dadi

भारत में महिलाओं को होने वाली कई गंभीर बिमारियों में से एक है, सर्वाइकल कैंसर। महिलाओं में मेन्स्ट्रुअल हाइजीन की कमी को इसका एक अहम कारण माना जाता है। जरा सोचिए, अगर आप एक महिला हैं और आपके पास  पीरियड्स के दौरान पहनने के लिए पैड तो दूर, अंडरगारमेंट भी न हो तो? कल्पना करना भी मुश्किल है न? लेकिन स्लम एरियाज़ में रहनेवाली कई ऐसी लड़कियां हैं, जो इस तरह की तकलीफों के साथ जी रही हैं। 

इसकी वजह से कई बच्चियों की तो स्कूल और पढ़ाई तक छूट जाती है। ऐसी ही बच्चियों के लिए सूरत की मीना मेहता और उनके पति अतुल मेहता पिछले आठ सालों से काम कर रहे हैं। साल 2012 से, वे सूरत के तक़रीबन 35 सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाली बच्चियों तक हाइजीन किट पहुंचा रहे हैं। वहीं, लॉकडाउन के दौरान उन्होंने इन बच्चों की कुपोषण की समस्या को देखते हुए, पौष्टिक खाना बनाना भी शुरू किया है। आज वे दोनों मिलकर हर दिन गरीब बच्चों के लिए 300 फ़ूड पैकेट्स तैयार करते हैं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए मानुनी फाउंडेशन की संस्थापक मीना बताती हैं, “इन लड़कियों से मिलकर मैंने जाना कि हम और आप जिन चीज़ों का प्रयोग नियमित रूप से करते हैं। वे बुनियादी जरूरत के सामान भी कई बच्चियों के पास नहीं होते। ऐसे में मेन्सट्रुअल हाइजीन के बारे में इन्हें बताना और इनकी मदद करना बेहद जरूरी है।”

मीना मेहता और उनके पति अतुल मेहता

एक घटना ने बनाया ‘पैड वाली दादी

मीना हमेशा से ही सुधा मूर्ति के कामों से प्रभावित थीं। वह एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखती हैं और हमेशा से ही समाज के लिए कुछ करना चाहती थीं। लेकिन महज किताबों में पढ़ लेना या पब्लिसिटी के लिए कुछ करना उनका उदेश्य कभी नहीं था। 

‘पैड वाली दादी’ बनने के पीछे की कहानी के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया, “एक बार कार से जाते समय मैंने देखा कि एक गरीब लड़की डस्टबीन से इस्तेमाल किए हुए पैड निकाल रही थी। उस लड़की ने मुझसे कहा कि मैं इसे धोकर इस्तेमाल करुँगी। उस घटना ने मुझे झकझोरकर रख दिया और मैंने दूसरे ही दिन उसके जैसी पांच लड़कियों को पैड लाकर दिए।”

धीरे-धीरे उन्होंने अपने घर में काम करनेवालों की बच्चियों को पैड देना शुरू किया। उस समय सरकारी स्कूल में पैड आदि की सुविधाएं नहीं होती थी। वह, हर महीने खुद के पैसों से आस-पास के स्कूलों में पैड वितरण करने जाने लगीं, जिसमें उनके पति अतुल भी उनका साथ देते थे।

एक बार एक बच्ची ने उन्हें बताया कि उनके पास पैड लगाने के लिए अंडरगारमेंट ही नहीं है। तब मीना ने फैसला किया कि वह, इन बच्चियों के लिए एक पूरी हाइजीन किट तैयार करके देंगी। इस किट में पैड, अंडरगारमेंट्स, शेम्पू के पाउच के साथ चना और खजूर होता है, ताकि इन लड़कियों को सही हाइजीन के साथ पोषण भी मिल सके। 

जब पैडमैन से मिलीं पैडवाली दादी

उन्होंने बताया, “मैंने अक्षय कुमार से कहा कि आपने पैड के लिए तो जागरूकता लाई है, लेकिन कई गरीब बच्चियों के पास तो पैड पहनने के लिए अंडरगारमेंट्स ही नहीं है। यह सुनकर उनकी आखों में पानी आ गया था।”

साल 2012 में मात्र 25,000 रुपयों के साथ, उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी और 2017 में मानुनी फाउंडेशन के नाम से संस्था को रजिस्टर करवाया। आज उन्हें देशभर से डोनेशन मिल रहे हैं। बड़े पर्दे के पैडमैन अक्षय कुमार से लेकर, उनकी असल जिंदगी की प्रेरणा सुधा मूर्ति तक, सबने उन्हें इस काम के लिए मदद की है।

मीना कहती हैं, “हम जो चीजें दे रहे हैं, इसके लिए अच्छे फंड की जरूरत होती है। हम अक्सर अपने पुराने कपड़े तो गरीबों को दे देते हैं। लेकिन अंडरगारमेंट्स और पैड तो नए ही खरीदकर देने पड़ते हैं। इसलिए लोग ये चीज़ें कम ही डोनेट करते हैं।”

मीना की इस मुहिम से लड़कियों में न सिर्फ हाइजीन के प्रति जागरूकता आई है, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बड़ा है। अब वह नियमित स्कूल जा पाती हैं। 

पिछले साल कोरोना के कारण, वह स्कूल की बच्चियों तक किट नहीं पहुंचा पा रही थीं। 

कोरोनाकाल के दौरान, उन्होंने कुपोषण के लिए काम करना शुरू किया। मार्च 2020 से, ववे हर दिन स्लम एरिया में रहनेवाले बच्चों के लिए घर पर खाना बनाने का काम कर रहे हैं।  

मीना और उनके पति खुद ही खाना बनाते हैं। वे 250 ग्राम के 300 पैकेट्स तैयार करते हैं और उनकी संस्था के कुछ स्वयंसेवी, इन पैकेट्स को जरूरतमंदों तक पंहुचा देते हैं। 

अंत में मीना कहती हैं, “महिलाओं से जुड़ी कई ऐसी समस्याएं हैं, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। इसके लिए हमें उनसे बात करके, उनकी मदद करनी होगी। जैसे मैंने एक बच्ची से जाना कि उन्हें पैड की जरूरत है, दूसरी से जाना कि उनके पास पहनने के लिए अंडरगारमेंट्स भी नहीं हैं और वे सभी पीरियड्स के दौरान कमजोर महसूस करती हैं, इसलिए उन्हें पोषक भोजन की जरूरत है। उनकी मदद के लिए, हम सबको मिलकर काम करना होगा।”

आशा है, आपको भी पैड वाली दादी के जीवन से प्रेरणा जरूर मिली होगी। आप मीना मेहता और उनके काम के बारे में ज्यादा जानने के लिए उनके फेसबुक पर जा सकते हैं। इसके अलावा, उनसे संपर्क करने के लिए, नीचे दिए गए नंबरों पर कॉल कर सकते हैः अतुल मेहता – 9374716061, मीना मेहता – 9374544045

संपादन- अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः मदद के लिए बैंक बैलेंस नहीं, दिल होना चाहिए बड़ा; पढ़ें 25 वृद्धों वाले इस परिवार की कहानी

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version