मजदूर के बेटे से लेकर बालगृह में रह रहे बच्चे तक, ये 6 छात्र NASA में बढ़ाएंगे देश का मान

यंग टिंकर एजुकेशनल फाउंडेशन के छह छात्रों को नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज (HERC) 2023 में भाग लेने के लिए चुना गया है। यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अप्रैल 2023 में US जाएगी।

These 6 Indian students will represent India In NASA HERC 2023 (3)

भारत के 6 छात्रों को नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन चैलेंज 2023 के लिए चुना गया है। हर साल, नासा का एचईआरसी, मानव अंतरिक्ष अन्वेषण के अगले चरण में दुनिया भर के छात्रों को शामिल करने के लिए एक इंजीनियरिंग डिजाइन चैलेंज पेश करता है। नासा ने HERC 2023 में प्रतियोगिता के लिए दुनिया भर से 61 टीमों को चुना है, जिनमें 6 भारतीय भी हैं।

बसुदेबा भोई, साईं अक्षरा वेमुरी, सिद्धांत घोष, आकांक्षा दास, आकर्ष चितिनेनी और ओम पाधी, मानव संचालित रोवर बनाने के लिए अमेरिका में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

वैसे तो ये सभी देश के अलग-अलग हिस्सों से हैं, लेकिन वे साथ मिलकर ऐसे माहौल में प्रतियोगिता करेंगे जो चाँद और मंगल के Topography की कॉपी है।

कौन हैं आकांक्षा दास?

आकांक्षा दास सिर्फ पांच साल की थीं, जब उनके पिता का निधन हो गया। उनके आकस्मिक निधन के बाद, आकांक्षा की माँ के लिए बेटी को पाल पाना मुश्किल हो गया। आर्थिक परेशानियों के कारण, आकांक्षा दास की माँ ने उन्हें ओडिशा के भुवनेश्वर में अद्रुता बाल गृह में भेज दिया। तब से वह बाल गृह में रह रही हैं।

उन्होंने चिल्ड्रेन होम में पहली बार यंग टिंकर एकेडमी के बारे में सुना था। आज, वह NASA HERC 2023 के लिए चुनी गई यंग टिंकर एजुकेशनल फाउंडेशन टीम की कम्युनिकेशन लीड हैं। वह अपनी टीम की आउटरीच और मार्केटिंग का मैनेजमेंट करती हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने हैंड्स-ऑन वर्कशॉप के ज़रिए 2,500 से अधिक छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है। आकांक्षा उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जो एसटीईएम को करियर के रूप में अपनाना चाहती हैं।

मजदूर के बेटे हैं नासा HERC के लिए चुने गए बसुदेबा

कटक जिले के बराल गांव के रहनेवाले 14 साल के बसुदेबा भोई, धान के खेतों में काम करने वाले एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे हैं। वह 2015 में यंग टिंकर एजुकेशनल फाउंडेशन में शामिल हुए। उससे पहले, वह अपने पिता के साथ खेत पर काम करते थे, ताकि परिवार का गुज़ारा हो सके।

लेकिन आज, वह 3डी प्रिंटिंग तकनीक के विशेषज्ञ हैं। अब तक, उन्होंने दिव्यांग लोगों के लिए अपने संगठन में ओपन-सोर्स सामग्री और सुविधाओं के ज़रिए एक बायोनिक हाथ (कृत्रिम हाथ) बनाया है। बासुदेबा का लक्ष्य इसरो में वैज्ञानिक बनना और भारत का नाम रौशन करना है।

आसान नहीं था ओम का बचपन

ओम पाधी जब महज़ 2 साल के थे, तब उनकी माँ ने पारिवारिक विवाद के बाद अपने पति का घर छोड़ दिया था। ओम के पिता को ओम की देखभाल करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, ऐसे में माँ की ही उनकी ज़िम्मेदारी उठानी थी।

लेकिन बेहद खराब आर्थिक हालात के बीच एक माँ के लिए अकेले बच्चे को पालने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। फिर ओम की माँ के अनुरोध पर, उन्हें अद्रुता के बाल गृह में दाखिला मिल गया। मैट्रिक के बाद, ओम एक हाई स्कूल विज्ञान कार्यक्रम में शामिल हो गए।

क्या है नासा HERC के लिए चुनी गई टीम में आकर्ष चित्तिनेनी का रोल?

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के रहनेवाले कक्षा 10 के छात्र आकर्ष चित्तिनेनी के माता-पिता व्हाइट कॉलर प्रोफेसनल्स हैं। आकर्ष, नासा एचईआरसी 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली यंग टिंकर टीम के टेक लीड हैं। उनका काम रोवर सामग्रियों पर शोध करना और उन्हें खरीदना है।

आकर्ष के लिए टीम का हिस्सा बनना किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी बहुत सी नई चीजें सीखी हैं।

तीरंदाज़ हैं साईं अक्षरा वेमुरी

विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश की 12वीं कक्षा की छात्रा साईं अक्षरा वेमुरी ने सुरक्षा अधिकारी की भूमिका निभाई है। रोवर निर्माण प्रक्रिया में ड्रिलिंग, कटिंग, ग्राइंडिंग और वेल्डिंग जैसे काम होते हैं। एक सुरक्षा अधिकारी के रूप में, उनका काम एक मजबूत, व्यावहारिक बैठने की व्यवस्था, सुरक्षा बेल्ट सिस्टम और पर्याप्त ब्रेकिंग सिस्टम का ध्यान रखना है I

विजयवाड़ा में एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले एक कपल की बेटी, साईं अक्षरा राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज भी हैं। लेकिन अभी उनका फोकस रोवर चैलेंज पर है।

नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज (HERC) 2023 में भाग लेने के लिए चुने गए, यंग टिंकर एजुकेशनल फाउंडेशन के सभी 6 छात्रों की यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अप्रैल 2023 में US जाएगी।

यही भी देखेंः NASA के पूर्व इंजीनियर लौटे भारत, उबड़-खाबड़ सड़कों के लिए बनाई थ्री-व्हीलर EV

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