जब आप 21 साल के थे, तो क्या कर रहे थे, या अगर अभी इस उम्र के हैं, तो क्या कर रहे हैं? जब मैं 21 की थी, तो पढ़ाई के साथ-साथ, नौकरी कर रही थी और शहर के ही एक NGO से जुड़कर काम भी कर रही थी। तब मेरे छोटे से शहर में ऐसा करने वाले गिने-चुने लोग ही थे और मुझे लगता था कि मैंने बड़ा तीर मार लिया है। लेकिन मेरठ (उत्तर प्रदेश) फेट फाउंडेशन चलाने वाले ईशान चावला 21 साल की उम्र में जो कर रहे हैं, वह तो कमाल ही है।
महज़ 21 साल के ईशान चावला और अनमोल ढींगरा, मेरठ में एक संस्था चलाते हैं, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों की ज़रूरतों को पूरा करने की हर संभव कोशिश करती है।
“मेरे हिसाब से दुनिया में गरीबी नहीं होनी चाहिए। देश में क्या होता है कि लोग गरीब को देखकर लात मारते हैं कि यह गरीब है इसे हटाओ। मेरा सन्देश यह है कि गरीबों को मत हटाओ, उनकी गरीबी हटाओ।” यह कहना है संस्था के फाउंडर ईशान चावला का और उनकी इसी नेक सोच के साथ जन्म हुआ मेरठ के FETE Foundation का।
इस संस्था के तहत ईशान और को-फाउंडर अनमोल, बाकी वॉलंटियर्स के साथ गरीब लोगों की सेवा में जुटे हैं। वे गरीबों में खाना और कपड़े जैसी ज़रूरी चीज़ें बांटते हैं।
हमारी ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ें, गरीबों की होती हैं ज़रूरत
द बेटर इंडिया से बात करते हुए ईशान ने बताया, “2019 में हमने फेट फाउंडेशन शुरू किया, हमारे पास कई बार, कुछ चीज़ें ज़रूरत से ज़्यादा होती हैं, लेकिन अक्सर गरीबों के लिए वही चीज़ें ज़रूरत होती हैं। ‘From Extra to Enough (FETE)’ का मतलब यही है। साल 2019 से लेकर 2022 तक के इस सफर में हमने 7 राज्यों को कवर करते हुए खाना बांटने, बच्चों को पढ़ाने, कपड़े बांटने जैसे सामाजिक सेवा के काम किए हैं।”
उन्होंने बताया, “हमने सितंबर 2019 में सबसे पहले इस काम की शुरुआत की थी। तब हमने Swiggy से एक्स्ट्रा खाना लेकर उसे गरम करवाया और गरीबों में बांटा। उस रात हमने महज़ 40 रुपये खर्च करके 40 लोगों का पेट भरा था। वे 40 रुपये भी वह खर्च था, जो हमने खाना गरम करवाने में लगाया था।”
धीरे-धीरे शहर के रेस्टोरेंट्स से बचा खाना इकठ्ठा कर ईशान और उनकी टीम, गरीबों में बांटने लगी। कोरोना के टाइम जब सारे रेस्टोरेंट्स बंद थे, तो उन्होंने अपने घर पर ही खाना बनाकर ज़रूरतमंदों तक पहुंचाया।
फेट फाउंडेशन के 700 वॉलंटियर्स, 7 राज्यों में कर रहे काम
आज FETE Foundation, लोगों के पास पड़ी एक्स्ट्रा चीज़ों को इकठ्ठा करता है और उन्हें इन गरीब लोगों तक पहुंचाता है। इसके अलावा, संस्था ने गरीब बस्तियों में रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा भी उठाया है, ताकि वे भविष्य में भीख मांगने पर मजबूर न हों।
गरीबों की मदद करने के साथ-साथ, ईशान और उनकी टीम ज़रूरत पड़ने पर सड़कों पर रह रहे कुत्तों को भी रेस्क्यू कर उनके इलाज और खाने-पीने का ध्यान रखती है। FETE Foundation का काम आज देश के 7 राज्यों तक पहुंच चुका है और करीब 700 वॉलंटियर्स इससे जुड़े हैं।
ये सभी लोग अपनी पॉकेट मनी और फंड रेज़ करके गरीबों की मदद कर रहे हैं। इतनी छोटी उम्र में ईशान ने यह जो शुरुआत की है, वह वाकई तारीफ़ के काबिल है और अगर आप भी किसी भी रूप से उनकी मदद करना चाहते हैं, तो उनकी वेबसाइट www.fetefoundation.com पर विज़िट कर सकते हैं।