इरफान खान के निधन से बहुतों को सदमा पहुंचा। हम में से बहुत से लोगों ने उन्हें केवल फिल्मों और इंटरव्यू में ही देखा है, लेकिन उनकी मौत की खबर सुनकर ऐसा लगा जैसे अपने बीच का कोई चला गया हो।
इरफान की मौत से नासिक के इगतपुरी के ग्रामीणों ने न सिर्फ अपने चहेते सुपरस्टार को खो दिया बल्कि उनके बीच से उनका एक दोस्त और “फरिश्ता” भी चला गया जिसने उनके जीवन में एक जगह बना ली थी। उनकी याद में गाँव वालों ने एक इलाके का नाम ‘हीरो ची वादी’ (हीरो का इलाका) रखा है।
इस बारे में जानने के लिए द बेटर इंडिया ने इगतपुरी के ग्राम सेवक अनिल कदम से संपर्क किया।
वो सिर्फ एक भव्य फार्महाउस ही नहीं बहुत कुछ था
लगभग एक दशक पहले इरफान ने इगतपुरी में एक प्लॉट खरीदा था। यहां वह एक फार्महाउस बनाना चाहते थे जहां अपने व्यस्त शूटिंग शेड्यूल से ब्रेक लेकर कुछ समय बिता सकें। यह प्रसिद्ध हिल स्टेशन आसपास के किलों, मेडिटेशन सेंटर और पास में ही सहयाद्री पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी कल्सुबाई शिखर के लिए जाना जाता है।
“वह साल में 10 से 15 दिन यहां रुकते थे। हम अपने इलाके में एक सुपरस्टार का फार्महाउस होने से काफी रोमांचित थे, अपनी मौजूदगी में उन्होंने हमें कभी डर महसूस नहीं होने दिया। सच कहूं तो, उनके घर के दरवाजे हम सभी के लिए खुले थे। बच्चे हों या बड़े, जो कोई भी उनसे मिलना चाहता था वह उसे घर बुलाते थे और नाश्ता कराने के साथ ही कुछ देर तक बातचीत भी करते थे। ”
कदम कहते हैं कि इरफान इगतपुरी की मुख्य भाषा मराठी नहीं बोल पाते थे, लेकिन भाषा का भाव समझते थे। इसलिए ग्रामीण जब मराठी बोलते थे तो वह हिंदी में जवाब देते थे। ग्राम सेवक बताते हैं, ” इससे वह आपला मानुस यानी हमारे जैसे ही लगते थे।”
कदम भी इरफान के फार्महाउस कई बार गए। उन्होंने इरफान से फिल्म निर्माण के बारे में जानने के साथ ही गांव वालों की समस्याएं और अन्य चीजों पर भी बात की। वह, इरफान की तारीफ करते हुए कहते हैं “उन्हें हर चीज के बारे में खूब जानकारी रहती थी!“
इरफान खान: आम आदमी के सुपरस्टार
जिस छोटे से कस्बे में इरफान ने अपना फार्महाउस बनाया, वहां कई आदिवासी और वंचित समुदायों का घर है। वह हमेशा किताब, कलम, जूते, स्टेशनरी और मिठाइयां लेकर गांव में जाते थे।
कदम बताते हैं, “इस क्षेत्र में तीन स्कूल हैं और सभी में मिलाकर लगभग 900 छात्र पढ़ते हैं। इरफान सभी बच्चों के लिए हमेशा स्टेशनरी, यूनिफॉर्म और जूते लाते थे। फार्महाउस तक जाने वाली सड़क से जब उनकी कार गुजरती थी तो ग्रामीणों को पता चल जाता था। वह अपने कर्मचारियों से किसी को इन उपहारों को बांटने के लिए कहते थे। इन छोटे योगदानों के माध्यम से उन्होंने इगतपुरी में शिक्षा को बढ़ावा दिया। “
वहां के जिला परिषद के एक सदस्य गोरख बोडके ने इंडिया टुडे से कहा, “जब भी हमें उनकी जरूरत होती थी, वह हमारे साथ खड़े रहते थे। उन्होंने हमे एक एम्बुलेंस, छात्रों के लिए स्कूल बनवाने के लिए फंड और किताबें दी। ”
गोरख बताते हैं, “वह बहुत सारे परिवारों के लिए फरिश्ते से कम नहीं थे। जब कभी भी किसी ने उनसे मदद मांगी, उन्होंने कभी मना नहीं किया।”
अपने सहज और सरल स्वभाव से उन्होंने ग्रामीणों का दिल जीत लिया था। यह सुनकर बिल्कुल हैरानी नहीं होती, जब गोरख कहते हैं कि वह राज्य परिवहन की बसों से 30 किलोमीटर दूर थिएटर में उनकी फिल्में देखने जाते थे।
29 अप्रैल 2020 को इरफान खान की मौत ने इन ग्रामीणों के जीवन को वीरान कर दिया है। यही वजह है कि अपने प्रिय अभिनेता की स्मृति को संजोने के लिए इलाके का नाम ‘हीरो ची वादी’ रख दिया गया है।
यह भी पढ़ें: गाँव के खाली खेतों को देख छोड़ी IT की नौकरी, हल्दी की खेती कर लाखों में हुई कमाई!