महीनों तक रिसर्च और विचार-विमर्श करने के बाद, कविता बलूनी और उनके पति हिमांशु ने एक बच्ची को गोद लेने का फ़ैसला किया। इस बच्ची को डाउन सिंड्रोम है। “हम अमेरिका में थे, जब हमने यह फ़ैसला लिया और हमें कहा गया कि इसके लिए, या तो हमारे पास अमेरिका की नागरिकता होनी चाहिए या फिर हमें भारत वापिस जाना होगा,” कविता ने बताया।
इसके बाद कविता और हिमांशु वापिस अपने देश भारत लौट आये। मार्च 2017 में उन्होंने अपने इस फ़ैसले को हक़ीकत में बदलने की तरफ़ पहला कदम उठाया। उन्होंने सबसे पहले फॉर्म भरा और अप्रैल तक सभी प्रक्रिया पूरी कर ली।
कविता बताती हैं, “एक बार हमने तय कर लिया और इस पर काम किया, तो बाकी चीज़े भी जल्दी-जल्दी होती चली गयीं और मई 2017 में हम वेदा को घर ले कर आये।”
बहुत ही प्यारी, खुशमिजाज़ और सबके साथ हंसने- खेलने वाली वेदा ने इस दंपत्ति के जीवन को पूरा कर दिया। उनके लिए, जो कुछ भी उनकी बेटी हासिल करती है, किसी उपलब्धी से कम नहीं। पर उनका यह सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। शुरू में उन्होंने परिवार से भी पूरा सहयोग नहीं मिला और तो और अजनबी लोग भी उन्हें अजीब तरह से घूरते थे।
पर समाज की बातों और तानों से ऊपर उठकर कविता ने वेदा को घर पर ही पढ़ाना शुरू किया और वे उसे पार्क से लेकर शॉपिंग मॉल तक, हर जगह लेकर जाती। बच्चे गोद लेने और डाउन सिंड्रोम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कविता ने एक फेसबुक पेज और एक युट्यूब चैनल भी शुरू किया- ‘एक्स्ट्राक्रोमीवेदा,’ जहाँ वे हर हफ्ते वेदा की विडियो अपलोड करती हैं।
कविता कहती हैं, “यह सिर्फ़ एक एक्स्ट्रा क्रोमोज़ोम ही तो है, आख़िरकार!”