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हरिता कौर: भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट, 22 की उम्र में बिना को-पायलट उड़ाया प्लेन

Harita Kaur Deol, First Indian Women Flight Officer

आज हम भले ही खुद को विकसित समाज का हिस्सा कह लें, लेकिन यह एक कड़वा सच है कि आज भी अपना देश पितृसत्तात्मक सोच की बेड़ियों से जकड़ा हुआ है। महिलाओं को आज भी हर क्षेत्र में संघर्ष करना पड़ता है। प्रतिभा होने के बावजूद, जेंडर आड़े आ ही जाता है। समय के साथ-साथ हालात बदल रहे हैं, लेकिन महिलाओं का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।

इतिहास गवाह है, महिलाओं के लिए भविष्य का रास्ता भी किसी महिला ने ही बनाया था। ऐसी महिलाओं की कहानियां पढ़ी जानी चाहिए। आज हम आपको एक ऐसी ही जांबाज़ महिला, हरिता कौर देओल (Harita Kaur Deol) की कहानी बताने जा रहे हैं। यह कहानी हमें बताती है कि महिलाएं दुनिया की किसी भी दौड़ में पीछे हो ही नहीं सकतीं।

साल 1992 में हरिता कौर देओल ने भारतीय वायु सेना से अपने करियर की शुरुआत की थी। शायद ही किसी ने सोचा हो कि इतिहास रचने के दो साल बाद ही हरिता कौर देओल, दुनिया को अलविदा कह देंगी। 24 दिसंबर, 1996 को नेल्लोर (Nellore) में हरिता समेत 24 भारतीय वायु सेना के जवान, प्लेन क्रैश में मारे गए थे।

साल 1992 जब महिला कैडेट्स को वायुसेना में मिला अवसर

आज जिस तरह से महिलाएं भारतीय सेना के अलावा, अन्य क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही हैं। ऐसा लगभग 20 साल पहले नहीं था। यह बात साल 1992 की है, जब एसएससी अधिकारियों की भर्ती में देश के रक्षा मंत्रालय ने पहली दफा महिलाओं को भी वायु सेना में भर्ती होने का अवसर दिया था।

मंत्रालय की तरफ से महिला वर्ग में कुल आठ पायलट की भर्ती होनी थी। इस पद के लिए 20 हजार से भी ज्यादा की संख्या में महिलाओं ने आवेदन किया था। तकरीबन 500 महिलाओं ने प्रवेश परीक्षा दी। लेकिन अंत में इनमें से 10 से 12 महिलाओं का चयन हुआ था और उन्हीं में से एक महिला थीं, हरिता कौर देओल।

कौन थीं हरिता कौर देओल

Selected Women Pilot From SSC Exam, Harita Kaur Deol (Source : Azadi.com)

हरिता कौर देओल का जन्म 10 नवंबर 1971 को पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ के एक सिख परिवार में हुआ था। हरिता अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थीं। भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनना, हरिता के बचपन का सपना था। उनके पिता आर एस देओल, भारतीय सेना में कर्नल थे।

हरिता ने पंजाब से ही अपनी शिक्षा पूरी की। उसके बाद हरिता ने वायुसेना अकादमी में प्रारंभिक ट्रेनिंग में प्रवेश लिया था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, उन्होंने हैदराबाद के नजदीक डंडीगुल के येलहंका वायुसेना स्टेशन में एयरलिफ्ट कोर्स प्रशिक्षण प्रतिष्ठान (एएलएफटीई) में ट्रेनिंग ली।

प्लेन को 10,000 फ़ीट की ऊंचाई तक अकेले उड़ाया

जब हरिता 22 साल की हुईं, तब वह कड़ी ट्रेनिंग लेने के लिए येलहंका वायुसेना स्टेशन पहुंची। 2 सितंबर, 1994 को हरिता ने Avro HS-748 प्लेन को 10,000 फ़ीट की ऊंचाई तक अकेले उड़ाया। वैसे तो वायु सेना के प्लेन में को-पायलट की मौजूदगी ज्यादातर देखने को मिलती है, लेकिन यह पहला गौरवपूर्ण क्षण था, जब हरिता कौर देओल वायु, अकेले सेना के विमान को इतनी ऊंचाई पर उड़ाने में कामयाब रही थीं।

यह लम्हा न सिर्फ हरिता कौर देओल की जिंदगी का सबसे यादगार पल था। बल्कि उनके ट्रेनिंग ऑफ़िसर के लिए भी गर्व का क्षण था। उनके ट्रेनिंग ऑफ़िसर का कहना था कि हरिता, पुरुष पायलट्स से भी अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं। उड़ान सफल होने के बाद, हरिता कौर देओल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था,

“मैं ख़ुश हूं कि मैंने अकेले विमान उड़ाया और अपने Instructor की उम्मीदों पर खरी उतरी… पहले मैं अपने माता-पिता से बात करूंगी और शायद आज की जीत का जश्न अपने दोस्तों के साथ विकेंड में मनाऊं“- हरिता कौर

हरिता को भारतीय वायु सेना का हिस्सा बने अभी दो साल ही हुए थे कि 24 दिसंबर 1996 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में वायु सेना के विमान क्रैश होने की खबर मिली। उस विमान में वायु सेना के कुल 24 मेंबर थे, जिसमें हरिता कौर देओल भी शामिल थीं।

“मेरी बेटी निडर थी”

हरिता के पिता आरएस देओल और माँ कमलजीत कौर जब भी अपनी बेटी को याद करते हैं, उनकी आंखें भर आती हैं। हरिता की माँ कमलजीत कौर कहती हैं, “वक्त ने उसे बहुत पहले हमसे छीन लिया। वह मेरा बहुत ख्याल रखती थी। मेरी बेटी निडर थी।” आरएस देओल कहते हैं, “मुझे गर्व महसूस होता है कि मेरी बेटी ने परिवार के साथ-साथ भारतीय सेना में पहली फ्लाइट लेफ्टिनेंट बनकर देश का नाम रोशन किया है।”

आज हरिता कौर देओल हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन उनकी कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा है। द बेटर इंडिया भारत की इस जांबाज पायलट को नमन करता है।

संपादन- जी एन झा

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