रणबीर सिंह दहिया।
रिटायरमेंट लेने के बाद इंसान आराम करने की सोचता है। काम छोड़ चैन से बैठकर उम्रभर की गई नौकरी की थकान उतारता है। लेकिन हरियाणा के रोहतक शहर में एक डॉक्टर हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद चैन से बैठना मुनासिब नहीं समझा और लोगों के बीच जाकर उनका फ्री इलाज करने लगे और मुफ्त में दवाएं बांटने लगे।
लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले इन डॉक्टर का नाम है रणबीर सिंह दहिया। डॉ. दहिया रोहतक की किशनपुरा चौपाल में हर सप्ताह मंगलवार और शुक्रवार को लोगों का मुफ्त इलाज करते हैं।
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डॉ. दहिया रोहतक के हुमायूंपुर गाँव में भी 1 बजे से लेकर 3 बजे तक फ्री मरीज़ जांचते हैं। इसके अलावा वे दो-तीन महीने में एक बार आसपास के गाँवों में जाकर कैंप भी लगाते हैं। उनके काम में मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल के कुछ डॉक्टर भी मदद करते हैं।
वह बताते हैं, "मैं 2014 में रिटायर हुआ था। उसी साल अक्टूबर में ही मैंने सप्ताह के दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को यहां मुफ्त ओपीडी लगानी शुरू कर दी थी। हम यहां मरीज़ों का चेकअप तो करते ही हैं, साथ ही फ्री दवाईयां भी वितरित करते हैं। हमारे कई दोस्त कुछ हज़ार रुपए की दवाईयां हर महीने दे देते हैं, जिससे हमारे पास आने वाले मरीज़ों को थोड़ा फायदा हो जाता है।"
लोगों का फ्री इलाज करने की प्रेरणा पर उनका कहना था कि, मैंने जो कुछ भी सीखा, इन्हीं गरीब लोगों का इलाज करते हुए सीखा। इन्हीं लोगों का इलाज करते हुए मुझे इनके लिए काम करने की प्रेरणा मिली। इनसे सीखा हुआ अगर मैं रिटायरमेंट के बाद बेचूं, तो यह अच्छी बात नहीं हैं।
डॉ. दहिया अब तक करीब 9 हज़ार मरीज़ों का इलाज मुफ्त कर चुके हैं। उन्होंने अपनी इस मुहिम का नाम जन स्वास्थ्य अभियान रखा है। वे अपने इस मिशन में मुफ्त ओपीडी और दवाइयां देने के अलावा लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक भी करते हैं, क्योंकि जागरूकता ही बीमारियों से बचने का पहला स्टेप है। वे पेम्पलेट्स और सूचना-पत्र निकालते हैं और बीमारियों से जुड़ी आम जानकारियां लोगों को देते हैं, जैसे कि बीमारियों के लक्षण क्या हैं, हम बीमार क्यों पड़ते हैं और विभिन्न बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है आदि। पिछले साल उन्होंने 2 हज़ार पर्चे बांटे थे और इस बार भी वे 2 हज़ार पर्चे बांट चुके हैं, इस काम में उनके साथी रमणीक मोहन जी काफी मदद करते हैं।
डॉ. दहिया 2014 में रिटायर होने से पहले पीजीआई रोहतक में कार्यरत थे। उस समय भी लोग उन्हें छुट्टी वाले दिन भी काम करने वाला डॉक्टर कहकर पुकारते थे।
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वे अपनी छुट्टियों में गाँव-गाँव जाकर हेल्थ कैंप लगाते थे और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करते थे। जन स्वास्थ्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के बारे में पूछने पर उनका जवाब कुछ इस प्रकार होता है।
"आप किसी बीमार या परेशान इंसान को देखेंगे तो आप भी उसकी मदद करने का प्रयास करेंगे। अमीर इंसान के पास तो सब सुविधाएं हैं अपने इलाज के लिए खर्च करने की, मगर एक किसान, मजदूर या गरीब आदमी क्या करे, कहां जाए? इनकी परेशानियां देखकर एक बेचैनी होती है। यह बेचैनी ही लगातार हमें समाज के गरीब वर्ग के बीच जाकर काम करने के लिए धकेलती रहती है।"
हरियाणा में बढ़ते नशे को लेकर भी डॉ. दहिया काफी चिंतित नज़र आते हैं। बढ़ते नशे के खिलाफ लड़ने के लिए वह नशे के नुकसान बताने वाले पर्चे भी लोगों में बांटते हैं और लोगों को जागरुक करते हैं। वे एक हेल्थ बुलेटिन पत्रिका भी निकालते हैं, जिसका नाम ‘हेल्थ डायलॉग’ है। इस पत्रिका में वे सरकार की हेल्थ पॉलिसियों के बारे में बताते हैं। अगर कोई अच्छी पॉलिसी होती है तो उसे अच्छी बताते हैं और अगर कोई लोगों के हित में नहीं होती तो उसकी आलोचना भी करते हैं।
जब हम रोहतक की किशनपुरा चौपाल में उनसे बातचीत करने के लिए पहुंचे तो वहां हमारी मुलाकात डॉ. दहिया की मदद कर रहे डॉ. आज़ाद सिंह से भी हुई, जो एक रिटायर्ड सीनियर फार्मासिस्ट हैं।
उन्हें दवाइयों में क्षेत्र में लंबा अनुभव है जिससे मरीजों को बहुत फायदा पहुंचता है।
सहयोगी डॉ. आज़ाद के साथ डॉ. दहिया।इस मिशन से जुड़ने को लेकर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए।
"मैं 2014 से ही डॉ. दहिया के साथ मिलकर काम कर रहा हूँ। इन्हीं से प्रेरित होकर मैं इनसे जुड़ा था। गाँव -देहात में हम देखते हैं कि कई लोग ऐसे होते हैं जिनकी कोई देखभाल नहीं करता, इसलिए हम कोशिश करते हैं कि ऐसे लोगों का इलाज हम कर सके।"
उनके पास हरियाणा के दूर-दराज इलाकों से भी मरीज़ आते हैं। उनके पास आने वाले ज्यादातर मरीज़ ऐसे होते हैं जिनका लंबे समय तक इलाज चला होता है। कई बार किसी मरीज़ के पास दवाइयों के पैसे नहीं होते हैं, तो वे लोगों से चंदा इकट्ठा कर उनकी मदद करने की भी कोशिश करते हैं।
डॉ. दहिया से चेकअप करवाने आने वाले लोग बेझिझक उनसे बात करते हैं, अपनी परेशानी बताते हैं।
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चेकअप करवाने आए महावीर सिंह बताते हैं, "मैं डॉक्टर जी के पास दो साल से आ रहा हूँ। मुझे शुगर की तकलीफ थी, पहले मैं बहुत जगह घूमा, इलाज के लिए खूब पैसे खर्च किए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जब से इनके पास आ रहा हूँ, मुझे काफी आराम मिला है और कोई पैसे भी खर्च भी नहीं हो रहे। मैं कभी भी डॉक्टर साहब को फोन लगा देता हूँ और सलाह ले लेता हूँ। गजब के आदमी हैं डॉक्टर साहब, कितने ही सवाल उनसे पूछते रहो, कितना ही तंग करते रहो, वह कभी गुस्सा नहीं होते।"
डॉ. दहिया के इस नेक काम में डॉ. ओमप्रकाश लठवाल, डॉ. एचपी चुघ, डॉ. पूनम, डॉ. सोनिया, डॉ. जेपी चुघ, डॉ. कुंडू, डॉ. नताशा, डॉ. मरवाहा भी समय-समय पर मदद करते हैं। उन्हें कई डॉक्टरों की मदद मिलती रहती है, जिनकी वजह से वे हेल्थ कैंप लगा पाते हैं और जन स्वास्थ्य मिशन को आगे बढ़ाते हैं।
डॉ. रणबीर दहिया जैसे लोग वाकई मिसाल हैं। आखिर न कोई फीस और न कोई अपॉइंटमेंट का झंझट! निजी स्वास्थ्य सेवाओं की मोटी फीस और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के बीच अगर कोई शख्स लोगों का मुफ्त में इलाज करे और दवा भी फ्री में दे तो लोग क्यों न उन्हें सर-आँखों पर बैठाएं। डॉ. दहिया को दिल से सलाम।
अगर आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है और आप डॉ. दहिया की किसी तरह से मदद करना चाहते हैं तो उनसे इन नंबर 9812139001 पर संपर्क कर सकते हैं।
संपादन - भगवती लाल तेली