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कोविड में बचाई कई जानें, पर खुद हार गए जिंदगी की जंग, पद्म श्री से सम्मानित IAS गुरुप्रसाद

Dr Guruprasad Mohapatra

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. गुरुप्रसाद महापात्रा को हाल ही मे मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गुजरात कैडर के इस अधिकारी को सिविल सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदानों के लिए जाना जाता था। 

वह 1986 बैच के आईएएस अधिकारी थे और 2019 में डीपीआईआईटी के सचिव बनने से पहले वह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पहले चेयरमैन और वाणिज्य विभाग के संयुक्त संचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे।

वह कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए एम्पावर्ड ग्रुप में भी शामिल थे और उन्होंने ऑक्सीजन आपूर्ति का जिम्मा संभाला। लेकिन कोरोना वायरस की ही वजह से, जून 2021 में उनकी मौत हो गई थी। तब उनके रिटायरमेंट के कुछ ही महीने बाकी थे। इस घटना से पूरे सिविल सोसायटी में शोक की लहर दौड़ गई। 

महापात्रा मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले थे और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की राह चुनी। 1986 में आईएएस अधिकारी बनने के बाद, उनकी पहली बड़ी पोस्टिंग 1999 में सूरत में नगर आयुक्त के रूप में हुई, जहां वह तीन वर्षों तक रहे। 

दिवंगत आईएएस अधिकारी डॉ. गुरुप्रसाद महापात्रा

इस दौरान उन्होंने कचरा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे को सुधारते हुए कपड़े और हीरे के कारोबार के लिए दुनिया भर में मशहूर, सूरत को एक शहरी शासन के मॉडल के रूप में विकसित किया। 

2002-04 के दौरान वह गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के सदस्य थे और उन्होंने अपनी प्रशासनिक कुशलता से बिजली बोर्ड को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने बड़ौदा के अल्कलीज एंड केमिकल्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर, कमर्शियल टैक्स कमिश्नर, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, अहमदाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर के रूप में कई जिम्मेदारियां संभाली। 

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अहमदाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर नियुक्त होने के बाद, महापात्रा ने साबरमती रिवरफ्रंट, बीआरटीएस और कांकरिया लेकफ्रंट जैसी कई बड़ी योजनाओं की बागडोर संभाली और उन्होंने यहां के लोगों को ‘मॉडल रोड’ की कांसेप्ट से रू-ब-रू कराया। 

साबरमती रिवरफ्रंट

इस कड़ी में सड़कों को अतिक्रमण मुक्त किया गया और लोगों द्वारा सराहे जाने के बाद इस मॉडल को शहर के कई हिस्सों में अपनाया गया। 

इस दौरान उन्होंने साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को भी अंजाम दिया। दरअसल साबरमती नदी दशकों से अपना अस्तित्व खो रही थी। इसे उबारने के मकसद से 1961 में पहली बार साबरमती रिवरफ्रंट बिल को पास किया गया था। 

दरअसल, इस प्रोजेक्ट के तहत साबरमती नदी से ऊपर से गुजर रही नर्मदा नहर की एक चैनल के पानी को साबरमती पहुंचाना था, लेकिन कई अड़चनों के कारण यह हो नहीं पा रहा था। लेकिन महापात्रा ने यह कर दिखाया। 

अधिकारियों के साथ मीटिंग करते आईएएस गुरुप्रसाद महापात्रा

उन्होंने नदी के किनारों से सभी अवैध अतिक्रमण को हटाया और कंक्रीट बिछा दिया। वहीं, नहर के गंदे पानी को हटाने के लिए अहमदाबाद के पास से ही गुजर रहे एक बैराज का इस्तेमाल किया जाता है और साफ पानी को स्टोर कर लिया जाता है। 

यह उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि जो साबरमती नदी पहले अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही थी, वही अब अहमदाबाद के एक प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित हो चुकी है। 

महापात्रा ने अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सरदार वल्लभभाई पटेल हॉस्पिटल को भी पूरा करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई, जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने 2019 में किया था। 

उन्हें जानने वाले कहते हैं कि वह एक कुशल प्रशासक के साथ-साथ एक अच्छे दोस्त भी थे। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर काफी अच्छा था और वह हर समस्या को जड़ से हल करने की कोशिश करते थे। 

संपादन- जी एन झा

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