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1500+ पक्षियों की जान बचा चुके हैं दिल्ली के ये दो भाई, तुरंत पहुंच जाते हैं स्पॉट पर

Amit & Abhishek Jain
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हम जब सुबह-सुबह जगते हैं, तो हमारे कानों में सबसे पहले पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है। इन्हें उड़ते और फुदकते देखना हमेशा ही अच्छा लगता है। इनकी मधुर आवाज़ हमेशा खुश कर देती है, लेकिन क्या आपने कभी इन पक्षियों का दर्द भी सुना, देखा, जाना, समझा है? क्या कभी किसी घायल पक्षी या बीमार पक्षी को देखा है? अगर देखा भी होगा, तो या तो नज़रअंदाज़ कर दिया होगा या सोचा होगा कि आखिर करें क्या?

हमें लगता है कि इन्हें बचाने के लिए कहां कोई सुविधा है? लेकिन दिल्ली के दो भाई हैं, जिन्होंने अपने आस-पास न सिर्फ इन पक्षियों का दर्द देखा और समझा, बल्कि अपने जीवन का लक्ष्य ही बना लिया कि उन्हें अब पक्षियों और जीवों के लिए ही खुद को समर्पित कर देना है।

दिल्ली के इन दोनों भाइयों अमित जैन और अभिषेक जैन ने अब तक करीब 1500 पक्षियों की जान बचाई है। उन्होंने यह काम साल 2018 में शुरू किया था। वैसे तो अमित पेशे से केमिस्ट हैं और अभिषेक की गार्मेंट्स की दुकान है। लेकिन एक बार दोनों भाइयों ने देखा कि एक कौवा काफी ऊंचाई पर था, पेड़ पर लटका हुआ। उन्होंने उसे फायर ब्रिगेड बुलाकर बचाया और अस्पताल पहुंचा दिया। बस इसके बाद से उन्होंने ठान लिया कि वे पक्षियों को बचाएंगे।

कैसे हुई घायल पक्षी के देखभाल की शुरुआत?

Taking Care of injured bird

अभिषेक ने द बेटर इंडिया से अपनी पक्षियों को बचाने की मुहिम के बारे में बात करते हुए बताया, ”यह काम हमने साल 2018 में शुरू किया था। तभी से हम लोग जीवों के लिए काम कर रहे हैं। हमने देखा डॉग लवर्स हैं, कैट लवर्स हैं, अलग-अलग एनिमल लवर्स हैं, लेकिन पक्षियों की ओर बहुत कम ही लोग ध्यान देते हैं। इसका कारण है, सुविधाओं की कमी।” 

तब दोनों भाइयों ने ‘विद्यासागर जीव दया परिवार’ नाम से एक ट्रस्ट बनाया और अपने साथ कई वॉलंटियर्स को जोड़ा। इनमें कबूतरों के लिए दाना बेचने वाले लोग भी शामिल हैं, जो दिल्ली के कई चौराहों पर मिल जाते हैं। इसके अलावा, जहां वॉलंटियर्स नही हैं, वहां के लिए ये भाई पोर्टर जैसी गाड़ियों की सुविधा ऑनलाइन बुक कर देते हैं। दोनों भाई दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में रह रहे हैं और दिल्ली/एनसीआर दोनों जगहों पर पक्षियों को बचाने का काम कर रहे हैं।  

दोनों भाइयों ने एक बार एक बत्तख की जान बचाई थी। उस बत्तख के बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं। ये लोग जिन पक्षियों को बचाते हैं, वे जब ठीक हो जाते हैं, तो उन्हें उड़ा दिया जाता है। लेकिन बत्तख जैसे पक्षी खुद उड़कर कहीं नहीं जा सकते, इसलिए उन्हें ग्रेटर नोएडा के अभयदानम अस्पताल में रखा गया है, जहां उनकी एनजीओं के ही बचाए हुए कबूतर और 4 बकरे भी हैं।

ऐसा नहीं है कि यह संस्था, पक्षियों को बचाने के लिए काम कर रही है, तो दूसरे जानवरों की मदद के लिए आने वाली कॉल्स को नज़रअंदाज़ कर देती है। वे उनको भी बचाने की पूरी कोशिश करते हैं। दिन में उनके पास 5 से 10 कॉल्स रोज़ाना आ ही जाते हैं। 

“कुत्ते शब्द का गाली की तरह होता है इस्तेमाल”

Bird Care Center

अमित जैन ने हर घायल पक्षी को उपचार देने के साथ ही, पक्षियों की एक और समस्या पर ध्यान दिलाया और बताया कि लाखों पेड़ कट रहे हैं, जिसकी वजह से इन पक्षियों के घर भी उजड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ”हमने देखा है कि विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं। कहीं फ्लाईओवर्स बन रहे हैं, तो कहीं मेट्रो। अगर आपके घर की एक सीढ़ी भी तोड़ दी जाए, तो आप लड़ने पहुंच जाते हैं। लेकिन अपनी ज़रूरतों और फायदे के लिए हम बड़ी आसानी से पेड़ काट देते हैं और एक बार भी यह नहीं सोचते कि उन पेड़ों पर कितने पक्षियों के घर हैं, अंडे हैं, वे कहां जाएंगे?”

अभिषेक का कहना है कि लोग टेक्नोलॉजी की वजह से प्रकृति से दूर हो रहे हैं। इसलिए भी जीवों से उनका लगाव कम हो गया है।

अभिषेक ने कहा, ”लोग पार्क में जाना भूल गए, नेचर में जाना भूल गए। लोग मोबाइल में, गेम्स में, टीवी में लगे रहते हैं। लोग कुत्ता शब्द का इस्तेमाल गाली के तौर पर करते हैं। वहीं, बिल्ली के बारे में कहते हैं कि यह रास्ता काट दे, तो बुरा होता है। जीवों के प्रति नेगेटिविटी फैला दी गई है। जो बिल्ली भारत में अशुभ मानी जाती है, वही भारत के बाहर चीन, जापान जैसे देशों में तो शुभ है।’

बच्चों को बचपन से ही सिखाएं पक्षियों के बारे में

Amit Jain & Abhishek Jain

जैन बंधुओं ने कहा कि भारत में कई तरह के पक्षी हैं। इनके बारे में बच्चों को और अपने आस-पास के लोगों को बताना चाहिए। आगे के प्लान के बारे में अभिषेक ने बताया कि अभी तो उनका प्लान दो-तीन गाड़ियां बनवाने का है, जिसमें वह पक्षियों के अलावा, अगर ज़रूरत पड़े तो अन्य जख्मी जानवरों को भी अस्पताल पहुंचा सकें।

फिलहाल उनकी टीम और वह ग्राउंड पर काम करेंगे और इसके बाद, धीरे-धीरे और विस्तार करेंगे। उन्होंने कहा, “अभी तक हम अपनी जेब से इस काम में पैसा लगा रहे हैं, क्योंकि किसी भी घायल पक्षी को बचाने के लिए दोनों भाई किसी से कोई पैसा नहीं लेते। यह पूरी तरह से फ्री है। लेकिन इस काम में उन्हें फंड की और लोगों के सपोर्ट की ज़रूरत है।

अगर आप चाहें, तो विद्यासागर जीव दया परिवार की मदद भी कर सकते हैं। आप 9716565758 पर Paytm कर सकते हैं। 

और हां, सबसे ज़रूरी बात। अगर आप भी दिल्ली या एनसीआर में हैं और आपको कोई जख्मी पक्षी दिख जाए, तो 9716565758 और 8866591008 पर ‘विद्यासागर जीव दया परिवार’ को फोन करके बेज़ुबानों की जान ज़रूर बचाएं।

संपादनः अर्चना दुबे

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