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साइकिल पर घर-घर जाकर पढ़ाते थे ट्यूशन, आज हैं आईटी कंपनी के मालिक

अक्सर सफल लोगों को देखकर हमें लगता है कि उनका जीवन कितना आसान है। लेकिन बहुत ही कम लोग यह देख पाते है कि उन्होंने किन हालातों से गुजरकर यह सफलता हासिल की है। आज ऐसी ही एक कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं। यह कहानी है चंडीगढ़ के रहने वाले छोटू शर्मा की, जिन्हें आज ‘माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजी का गुरु’ कहा जाता है। आज वह दो आईटी कंपनियां चला रहे हैं और सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब छोटू शर्मा ऑफिस बॉय का काम किया करते थे। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए छोटू शर्मा ने अपने पूरे सफर के बारे में बताया। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा के छोटे से गाँव के रहने वाले छोटू शर्मा एक मध्यम-वर्गीय परिवार से आते हैं। पिता की कमाई में घर का खर्च मुश्किल से चल पाता था। इसलिए छोटू शर्मा  ग्रैजुएशन की पढ़ाई के बाद चडीगढ़ आ गए ताकि यहां कोई काम कर सकें। लेकिन जब वह गाँव से निकलकर शहर पहुंचे तो उन्हें समझ में आया कि सामान्य ग्रैजुएशन से उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिल पायेगी। इसलिए उन्होंने कंप्यूटर कोर्स करने की सोची। 

काम करते हुए की पढ़ाई 

छोटू शर्मा बताते हैं कि साल 1998 में वह चंडीगढ़ आए और यहां एक कंप्यूटर सेंटर पर कोर्स के बारे में पता किया। वह कहते हैं, “जब मुझे पता चला कि कंप्यूटर कोर्स की फीस पांच हजार रुपए है तो लगा कि यह सब कैसे होगा क्योंकि चंडीगढ़ जैसे शहर में रहते हुए इतना महंगा कोर्स कर पाना मेरे लिए संभव नहीं था। फिर मैंने उसी कंप्यूटर सेंटर में बतौर ‘ऑफिस बॉय’ काम करना शुरू कर दिया। सेंटर में नौकरी करते हुए अपना कोर्स भी करने लगा। मुझे याद है कि उस दौर में मैंने कई रातें जागकर और भूखे रहकर भी गुजारी थी।” 

Chhotu Sharma teaching students

लेकिन वह दिन-रात पढ़ाई करते रहे और एक साल बाद, जब उनका कोर्स पूरा हो गया तो उन्हें उसी सेंटर में पढ़ाने का काम मिल गया। उन्होंने बताया, “एक साल तक मैंने सेंटर पर ऑफिस बॉय का काम किया। लेकिन जब मेरा कोर्स पूरा हो गया और उन्होंने देखा कि मेरी तकनीक पर अच्छी पकड़ है तो उन्होंने मुझे अपने सेंटर में पढ़ाने के लिए कहा। सेंटर पर पढ़ाने के साथ-साथ मैंने कुछ बच्चों को उनके घर जाकर भी पढ़ाना शुरू कर दिया था। दिन में चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था और शाम में चार बजे से सेंटर पर काम करने आ जाता था।” 

हर दिन लगभग 30-40 किमी का सफर छोटू शर्मा अपनी साइकिल पर तय करते थे। उन्होंने बताया कि उस समय उनके पास लगभग 12-15 छात्र थे, जिन्हें वे घर जाकर पढ़ाते थे। “पढ़ाना मेरा पैशन रहा है। धीरे-धीरे बहुत से बच्चे मुझसे ट्यूशन के लिए सम्पर्क करने लगे थे। लेकिन साइकिल पर सबके यहां जा पाना मुमकिन नहीं हो पाता था। ऐसे में, मेरे एक छात्र के पिताजी ने मदद की। वह बैंक में काम करते थे और उन्होंने मुझे लोन दिलवाने में मदद की। उस पैसे से मैंने अपने लिए बाइक खरीदी, जिससे मेरे लिए यात्रा करना आसान हो गया,” उन्होंने कहा। 

लगभग दो सालों तक लगातार मेहनत करने के बाद उन्होंने एक छोटे से फ्लैट में दो-तीन कंप्यूटर लगाकर, अपना खुद का इंस्टिट्यूट शुरू किया। वह बताते हैं, “मैंने छह महीने के अंतराल में 80 बच्चों को ट्रेनिंग दी। देखते ही देखते, छात्रों की संख्या बढ़ने लगे और मुझे एक अलग जगह लेकर अपना इंस्टीट्यूट सेटअप करना पड़ा।” 

शुरू की अपनी आईटी कंपनी 

Chhotu Sharma in his office

साल 2007 में उन्होंने अपनी ‘CS Infotech’ के नाम से फर्म शुरू की। इसके अंतर्गत, वह अलग-अलग कंपनियों के प्रोजेक्ट्स लेते थे और इन प्रोजेक्ट्स को करते हुए बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती थी। ताकि छात्रों को पता हो कि इस सेक्टर में काम कैसे होता है। अपने इंस्टीट्यूट से उन्होंने हजार से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दी है। उनके पढ़ाये बहुत से छात्र आज मल्टी-नेशनल कंपनियों में काम कर रहे हैं। इसके अलावा, उनके पढ़ाये कई छात्र उनके साथ भी काम कर रहे हैं। अपनी इस कंपनी की सफलता के बाद उन्होंने 2009 अपनी पत्नी, शालिनी शर्मा के साथ मिलकर खुद की ‘सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी,’ CS Soft Solutions शुरू की। 

इस कंपनी के जरिए, वह वेब डेवलपमेंट, डिजाइनिंग, मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपमेंट, ऑनलाइन मार्केटिंग आदि से जुडी कंपनियों के लिए सर्विसेज देते हैं। उन्होंने बताया, “आज मेरी कंपनी में लगभग 400 कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा है। मैं आज भी जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई में मदद करता हूँ। जहाँ तक संभव होता है, लोगों की मदद करता हूँ।”

मिले हैं कई सम्मान

He has got awards

छोटू शर्मा को शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए 2007 में ‘हिमाचल गौरव’ सम्मान मिला था। इसके बाद, उन्हें 2015 में भी शिक्षा और सूचना तकनीक के क्षेत्र में बेहतरीन कार्यों के लिए सम्मानित किया गया था। साल 2016 में उन्हें ‘Young Innovative Entrepreneur of the year 2015’ भी मिला था। वह कहते हैं, “सफलता एक दिन में नहीं मिलती है। इसके लिए आपको हर दिन मेहनत करनी होगी और बिना रुके आगे बढ़ना होगा।” 

छोटू शर्मा की कहानी आज हम सबके लिए एक प्रेरणा है और हमें उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनसे प्रभावित होकर मेहनत की राह पर आगे बढ़ेंगे। 

संपादन- जी एन झा

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