"ऐ गरीबी देख तेरा गुरूर टूट गया", खेतिहर मजदूर माँ और राजमिस्त्री पिता का बेटा बना ऑफिसर

मध्य प्रदेश के रहनेवाले संतोष कुमार पटेल और उनका परिवार फूस के एक कमरे में रहता था, लेकिन हर मुश्किल को पार कर संतोष ने बिना कोचिंग MPPSC की परीक्षा पास की और DSP बने।

DSP Santosh Kumar

"ऐ गरीबी देख तेरा गुरूर टूट गया, तू मेरी देहलीज पर बैठी रही और मेरा बेटा पुलिस वाला हो गया।" ये कहना है गर्व से भरी उस माँ का, जिसने बेहद गरीबी के बावजूद, खेतों में काम कर बेटे को पढ़ाया और बेटे ने भी हर मुश्किल को पार कर MPPSC परीक्षा पास की और DSP बन परिवार का मान बढ़ाया।

मध्य प्रदेश के रहनेवाले संतोष कुमार पटेल का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ और बचपन में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी माँ एक खेतिहर मजदूर थीं और पिता राजमिस्त्री, जिन्होंने दूसरों के लिए तो कई घर बनाए थे, लेकिन अपने परिवार के लिए घर बनाने के लिए पैसे ही नहीं थे।

संतोष और उनका 4 लोगों का परिवार फूस के एक कमरे में रहते थे। मॉनसून के दौरान, बारिश होती थी तो छत से पानी टपकता था और किताबें भींग जाती थीं। ऐसे में संतोष दिन में किताबें सुखाते और रात में मिट्टी के तेल के दिये के नीचे पढ़ाई करते थे।

7 साल की उम्र किया ईंटें उठाने का काम

संतोष के घर के हालात इतने बुरे थे कि बड़ी मुश्किल से खाने को कभी दलिया तो कभी ज्वार की रोटी मिलती थी। उनके घर में तो चाय भी सिर्फ मेहमानों के लिए ही बनती थी। तभी तो सात साल की उम्र में, संतोष ने एक कप चाय और बिस्किट के एक पैकेट के लिए घंटों ईंटें उठाने का काम किया।

उन्होंने एक सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और 10वीं कक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल कर जिला टॉपर बने। बाद में, संतोष एक सरकारी कॉलेज में इंजीनियरिंग करने के लिए भोपाल चले गए। वहां, वह दूसरे छात्रों को कैंटीन में बैठकर कोल्ड ड्रिंक और चाय पीते देखते थे, तब मन तो उनका भी बहुत होता था, लेकिन उनके पास इतने पैसे ही नहीं थे।

तब कुछ लोगों ने उन्हें कमीशन-आधारित नौकरी करने की सलाह दी, बस यहीं से उनका मन पढ़ाई से हटने लगा और उन्होंने अपने कॉलेज के साल इसमें बर्बाद कर दिए। उन्होंने किसी तरह इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और घर लौट आए।

कहां से मिली MPPSC की तैयारी करने की प्रेरणा?

संतोष के पास नौकरी तो थी नहीं, ऐसे गांव में ही किसी ने उन्हें मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की तैयारी करने की सलाह दी और बस वह बिना किसी कोचिंग के MPPSC की तैयारी करने लगे और फैसला किया, "जब तक लाल बत्ती वाली नौकरी नहीं मिल जाती, तब तक मैं अपनी दाढ़ी नहीं मुंडवाऊंगा।"

उन्होंने जी तोड़ मेहनत की। अक्सर वह एक रात के लिए दोस्तों से महंगी किताबें उधार लिया करते थे और नोट्स बनाने के लिए पूरी रात पढ़ते थे, क्योंकि दूसरे दिन किताबें वापस करनी पड़ती थीं। आखिरकार 15 महीने की तैयारी के बाद संतोष ने जुलाई 2017 में MPPSC परीक्षा पास कर ली और स्टेट लेवल पर 22वीं रैंक भी हासिल की।

यह भी देखेंः UPPSC 2022: बस स्टैंड पर छोटी सी दुकान चलाते हैं पिता, बेटी ने 7वीं रैंक हासिल कर बढ़ाया मान

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