भारतीय उपमहाद्वीप में तकरीबन 5,000 वर्षों से कटहल उगाया जा रहा है और तब से ही यह हमारे भोजन का हिस्सा बना हुआ है। इसमें भरपूर पोषक तत्व होते हैं और इसे कच्चा और पका, दोनों तरह से खाया जा सकता है। साथ ही चिप्स, पापड़ और कैंडी बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
और अब, आप इस फल का मज़ा जूस, चॉकलेट और कुकीज़ के रूप में भी ले सकते हैं
बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआऱ) ने कटहल का उपयोग करते हुए एक एंजाइम- क्लेरफाइ रेडी-टू-ड्रिंक पेय बनाया है। उन्होंने बीज और गूदे से आटा निकालने के लिए एक विधि भी विकसित की है, जिसे कुकीज़ और चॉकलेट में शामिल किया जा सकता है।
आईआईएचआर के डिवीज़न ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी के पूर्व प्रमुख, सीके नारायण कहते हैं, “तीन साल की रिसर्च के बाद, हमने कटहल के पल्प का उपयोग करके एक रेडी-टू-ड्रिंक पेय बनाने के लिए एक प्रक्रिया विकसित की है। इस प्रक्रिया में विभिन्न एंजाइमों का उपयोग किया जाता है।” नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना 1.74 मिलियन टन कटहल का उत्पादन होता है।
नारायण कहते हैं, “आम और अंगूर की तरह, कटहल भी बाजार में बहुत लोकप्रिय हैं। इसका उपयोग कई तरह के उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है और इसलिए मैंने कटहल को कमर्शियल फूड आइटम में शामिल करने का फैसला किया है।”
सीके नारायण के नेतृत्व वाली टीम में तीन वैज्ञानिक और एक तकनीकी विश्लेषक थे। साथ मिलकर, उन्होंने तीन उत्पाद लॉन्च किए हैं – ARKA हलासुरस जो बिना चीनी और प्रिज़र्वेटिव वाला एक पेय है, ARKA जैकी, जोकि गेहूं के आटे और कटहल के बीज के आटे के मिश्रण से बनी अत्यधिक पौष्टिक कुकीज़ हैं और ARKA चॉकलेट जो कटहल के बीज के आटे और फलों के आटे का मिश्रण है और जिसे सामान्य चॉकलेट से कवर किया गया है। लॉकडाउन के बाद, इनका उत्पादन शुरू हो सकेगा और ये सभी आइटम बाजारों में उपलब्ध होंगे।
नारायण कहते हैं, “ARKA हलासुरस की शेल्फ लाइफ छह महीने की है। इसमें चीनी या प्रिजर्वेटिव नहीं है इसलिए अन्य जूस और ड्रिंक से यह बेहतर है। वहीं, कुकीज़ (ARKA जैकी) बनाने के लिए 40% रिफाइंड आटा या मैदा की जगह कटहल के बीज का आटा इस्तेमाल किया गया है। रिफाइंड आटा या मैदा से बनी कोई भी चीज़ ग्लूटन से भरी होती है और इसमें पोषक तत्व कम होता है, जबकि कटहल के आटे में स्टार्च, फाइबर होता है और इसमें कैंसर-रोधी गुण होते हैं।
हालांकि, हम मैदे का इस्तेमाल पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते क्योंकि बिस्कुट बनाने के लिए कुछ मात्रा में ग्लूटन की आवश्यकता होती है।
ARKA जैकोलेट समान्य चॉकलेट की तरह ही है लेकिन तुलनात्मक रूप से यह बेहतर है। इसमें 5-6% प्रोटीन है और फैट और कैलोरी कम होते हैं।
प्रयोगशाला ट्रायल पूरा होने के बाद, दक्षिण कन्नड़ में खाद्य प्रसंस्करण कंपनी नित्या फूड्स ने आईआईएचआऱ के साथ सहयोग किया और वर्तमान में कटहल के बीज के आटे से चपातियाँ बना रही है।
जूस और आटा तैयार करने की तकनीक, कटहल से खाद्य उत्पाद विकसित करने की इच्छा रखने वाली अन्य खाद्य कंपनियों को भी दी जाएगी।
मूल लेख-ROSHINI MUTHUKUMAR
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