बंगलुरु में रहने वाले विश्वनाथ एस. पिछले दो दशक से भी ज़्यादा समय एक सस्टेनेबल ज़िंदगी जी रहे हैं। उनके घर से लेकर, उनके रहन-सहन तक, हर एक बात में आपको पर्यावरण और प्रकृति की झलक दिखेगी।
विश्वनाथ ने अपना घर पर्यावरण के अनुकूल बनाया है। हर साल उनके घर में लगभग 1 लाख लीटर बारिश का पानी इकट्ठा होता है, जिसका इस्तेमाल घरेलू काम से लेकर पीने के लिए भी होता है। इसके साथ-साथ उनके घर में सौर ऊर्जा का भी उपयोग है जिससे उनकी लगभग 70% बिजली की ज़रूरत पूरी होती है। उनके घर का डिजाइन इस तरह का है कि प्राकृतिक हवा और रौशनी की कमी नहीं होती है, यही कारण है कि घर में न पंखा है और न ही एसी।
विश्वनाथ के घर की छत मात्र 100 स्क्वायर फीट की है, जिसे वह चावल और सब्जियों की खेती के साथ-साथ बारिश का पानी इकट्ठा करने, खाद बनाने, सौर उर्जा और सौर कुकर में खाना पकाने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
विश्वनाथ बताते हैं कि वह साल भर में चावल की तीन फसलें लेते हैं। जिससे उन्हें एक साल में लगभग 120 किलोग्राम चावल मिलता है और उनके घर में एक वक़्त के खाने की हरी सब्ज़ी भी गार्डन से ही आती है। इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि वह गार्डनिंग के लिए ग्रे वाटर यानी कि बाथरूम (कपड़े धोने के बाद बचने वाला पानी) के पानी का इस्तेमाल करते हैं।
विश्वनाथ ने अपनी छत पर ही ग्रे वाटर को ट्रीट करने का सिस्टम लगाया हुआ है। यह सिस्टम उनकी वाशिंग मशीन और बाथरूम से सीधा कनेक्टेड है और यहां से ट्रीट होकर पानी सीधा उनके गार्डन में पहुंचता है।
कैसे होता ग्रे वाटर ट्रीटमेंट:
विश्वनाथ बताते हैं कि उन्होंने अपनी छत पर ग्रे वाटर के ट्रीटमेंट के लिए रीड बेड सिस्टम लगाया है। रीड बेड सिस्टम में पानी को शुद्ध करने के लिए बजरी, रेत आदि के साथ-साथ पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता रखने वाले पेड़-पौधे लगाए जाते हैं।
सबसे पहले, उन्होंने अपनी वॉशिंग मशीन और नहाने के बाद बचने वाले गंदे पानी को इकट्ठा करने के लिए एक टैंक बनाया हुआ है। इस टैंक का कनेक्शन उनके बाथरूम से है। गंदा पानी इस टैंक में आकर जमा होता है और इस टैंक से पानी ट्रीटमेंट के लिए आगे बढ़ता है।
ग्रे पानी का ट्रीटमेंट 5 लेवल पर होता है। जिसके लिए विश्वनाथ ने 5 बड़े प्लास्टिक के ड्रम तैयार किए हैं। ये सभी ड्रम आपस में पाइप से जुड़े हुए हैं। टैंक से गंदा पानी एक छोटे मोटर पंप की मदद से सबसे पहले ड्रम में पहुँचता है जिसमें रीड बेड सिस्टम है। पहले ड्रम से दूसरे ड्रम में, दूसरे से तीसरे में और फिर चौथे ड्रम में।
पांचवें ड्रम तक आते-आते यह गन्दा पानी साफ़ हो जाता है क्योंकि हर एक ड्रम में रीड्स इस पानी में से सभी तरह के मिनरल्स को सोख लेती हैं। विश्वनाथ ने पांचवें ड्रम से बाहर आने वाले पाइप को अपने गार्डन से जोड़ दिया है।
छत पर चावल की खेती:
छत पर पेड़-पौधे लगाने के लिए विश्वनाथ गमलों, ड्रम और ग्रो बैग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। चावल की खेती के लिए वह प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने प्लास्टिक शीट से ग्रो बैग बनाया है और इसके अलावा, वह थोड़े बड़े प्लांटर्स में भी चावल लगाते हैं।
ग्रो बैग और प्लांटर्स में मिट्टी भरकर, सूखे पत्तों से मल्चिंग की जाती है। फिर वह सीधा चावल के बीज रोपते हैं। जब धान बढ़ने लगते हैं तो महीने में एक बार वह इसमें से खरपतवार निकालते हैं।
चावल और अन्य पेड़-पौधों के लिए वह घर पर बनी जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने अपने घर में किचन के जैविक कचरे से खाद बनाने के लिए कम्पोस्टिंग यूनिट लगाई हुईं हैं।
वह बताते हैं, “इसके अलावा, हम अपने घर में इकोसन शौचालय इस्तेमाल करते हैं। यह एक खास किस्म का शौचालय है, जिसमें आपको फ्लश करने की ज़रूरत नहीं पड़ती बल्कि इसमें कुछ समय बाद मल का खाद बन जाता है।”
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इकोसन शौचालय और गीले कचरे से मिलने वाली खाद को वह अपने बगीचे में उपयोग करते हैं। इसके अलावा, उनका बगीचा काफी प्राकृतिक है और लगभग 32 किस्म के पंछियों का घर है। साथ ही, यह घर को ठंडा भी रखता है।
विश्वनाथ पेशे से इंजीनियर हैं और फ़िलहाल, जल-संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होंने अब तक हजारों पानी के स्त्रोतों को सहेजने का काम किया है। साथ ही, लोगों को कुएं और वर्षा जल संचयन के पारंपरिक तरीकों से जोड़ा है।
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विश्वनाथ से संपर्क करने के लिए आप उन्हें zenrainman@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं!
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