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सौर ऊर्जा से चार्ज होने वाले इस डिवाइस से चल सकते हैं पंखा, बल्ब जैसे 3 इलेक्ट्रिक डिवाइस

Portable Energy Device Invented by Prerna Wadikar

भारत में बहुत से छात्रों का सपना होता है कि उन्हें विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मौका मिले। बेंगलुरु की प्रेरणा वाडिकर को जब यह मौका मिला तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। क्योंकि इस यूनिवर्सिटी से एमबीए करना और वह भी स्कॉलरशिप के साथ तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है? लेकिन प्रेरणा ने इस मौके को न सिर्फ अपने लिए बल्कि लोगों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी उपयोग में लिया है। जब उन्होंने दाखिला लिया तब वह सिर्फ एक छात्रा थीं, लेकिन आज उनकी पहचान एक आविष्कारक के रूप में है।

इनोवेशन करने के साथ-साथ प्रेरणा ने और भी कई गतिविधियों पर काम किया है। जिस कारण उन्हें हाल ही में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ‘Vice-Chancellor’s Social Impact Award‘ से सम्मानित किया गया है। साल 2010 में इस सम्मान को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर, डॉ. एंड्रू हैमिलटन ने शुरू किया था। हर साल यह सम्मान यूनिवर्सिटी के उन छात्रों को दिया जाता है जो सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के लिए असाधारण उपलब्धि और प्रतिबद्धता दिखाते हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए प्रेरणा ने बताया, “मुझे यह अवॉर्ड मेरे इनोवेशन, ‘जीवा’ पर काम करने और ‘जीवा ग्लोबल‘ शुरू करने के साथ-साथ ऑक्सफ़ोर्ड इंडिया बिजनेस कॉन्क्लेव बनाने, ऑक्सफ़ोर्डशायर में अप्रवासी समुदायों के लिए काम करने और लंबे समय तक निजी और प्रोफेशनल स्तर पर सामाजिक विकास के क्षेत्र में काम करने के लिए दिया गया है।” 

प्रेरणा ने एक खास तरह का पोर्टेबल एनर्जी डिवाइस बनाया है, जो दिखने में ‘पावर बैंक’ की तरह है लेकिन यह इससे कहीं ज्यादा खास है और बहुत से लोगों और संगठनों के लिए मददगार हो सकता है। 

Prerna Wadikar

दादी से मिली कुछ अलग करने की प्रेरणा 

अपने सफर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे घर में हर कोई शिक्षा को लेकर हमेशा से ही सजग रहे हैं। मेरी दादी ने अपने पांचवें बच्चे के जन्म के बाद अपनी पीएचडी की। वह एक स्कूल में पढ़ाती थीं और इसके साथ-साथ अपने घर पर एक पार्ट टाइम फ्री स्कूल भी चलाती थीं। वह शिक्षा का महत्व समझती थीं और इसलिए ऐसे बच्चे को मुफ्त में पढ़ाती थीं जो स्कूल नहीं जा सकते थे। वह मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा रहीं क्योंकि जिस जमाने में लड़कियों की शिक्षा का कोई महत्व नहीं था। तब उन्होंने कुछ अलग किया और अपनी पहचान बनाई।” 

इसी तरह, उनकी माँ एक योग शिक्षिका हैं और वह हमेशा प्रेरणा से कहती हैं कि विज्ञान का उपयोग लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। बचपन से ही उनके घर में हमेशा कुछ नया करने, सीखने और आगे बढ़ने का माहौल रहा। इसके बाद, उनकी सोच को पंख तब मिलने लगे, जब वह हनी बी नेटवर्क और इसके संस्थापक, प्रोफेसर अनिल गुप्ता के संपर्क में आई। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री करने के बाद प्रेरणा ने IIM बेंगलुरु में दाखिला लिया। यहां वह एमबीए नहीं बल्कि पब्लिक पालिसी पर एक कोर्स कर रही थीं। 

“अपनी पढ़ाई के दौरान मुझे प्रोफेसर अनिल गुप्ता से मिलने का मौका मिला। मैं उनके साथ कई शोधयात्राओं में गयी। इस दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा क्योंकि शोधयात्रा में बहुत से आविष्कारकों, जानकारों और एक अलग सोच व अनुभव रखने वाले लोगों से मिलना-जुलना हुआ। इस दौरान मैंने समझा कि भारत की समस्याएं क्या हैं और हमें क्या इनोवेट करने की जरूरत है,” उन्होंने कहा। 

क्या है ‘जीवा’ 

अपने इनोवेशन के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया, “जीवा एक पोर्टेबल एनर्जी डिवाइस है। जिसे कहीं भी ले जाया जा सकता है। यह दिखने में पावर बैंक की तरह है। इसे चार्ज होने में सिर्फ एक घंटा लगता है। बिजली न होने पर सौर पैनल से भी इसे चार्ज किया जा सकता है। इसमें इलेक्ट्रिक ग्रेड और सौर पैनल, दोनों ही लगे हुए हैं। इसलिए यह डिवाइस बिजली पर निर्भर नहीं है। एक बार चार्ज होने के बाद इस डिवाइस से आप तीन डिवाइस जैसे लाइट, पंखा या अन्य कोई इलेक्ट्रिक डिवाइस चला सकते हैं।” 

एक बार चार्ज होने के बाद जीवा चार से छह घंटे तक काम करता है। वह कहतीं हैं कि इस इनोवेशन का उद्देश्य ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है और इसे किफायती बनाना है। उन्होंने इस डिवाइस को ठेला चलाने वाले लोगों को ध्यान में रखकर बनाया है। प्रेरणा ने बताया कि उन्होंने न सिर्फ भारत में बल्कि और भी कई विकासशील देश में बहुत से लोगों को ठेले पर अपना रोजगार करते हुए देखा है। ऐसे ही लोगों के काम को आसान बनाने के लिए उन्होंने इस डिवाइस को तैयार किया है। 

वह कहती हैं कि ठेले के अलावा उनका यह डिवाइस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीन रेफ्रीजिरेटर को चलाने के लिए, दुकानों में बल्ब, पंखा चलाने के लिए और ग्रामीण इलाकों में लोगों के घरों को रौशन करने के काम आ सकता है। 

Pushcart Vendor using portable energy device

उन्होंने आगे बताया, “मैंने बेंगलुरु की एक कंपनी, Livaah innovations Pvt Ltd से संपर्क किया और उन्हें अपने आईडिया के बारे में बताया। मुझे कम्पनी के डायरेक्टर भरत कृष्णा राव से पूरा सहयोग मिला। वह काफी समय से ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, लिथियम आयन तकनीक पर काम करने वाले डॉ. सत्या का साथ मिला। इनकी मदद से मैंने अपना यह डिवाइस तैयार किया और इसके बाद वाराणसी में इसका एक पायलट प्रोजेक्ट हुआ। यह प्रोजेक्ट सफल रहा और हमें बहुत से ठेले चलाने वाले लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।”

फिलहाल, इसके कमर्शियल उत्पादन के लिए वह Livaah कंपनी के साथ काम कर रही हैं। राव कहते हैं, “हमारी कंपनी पहले ही IOT तकनीक एक इस्तेमाल करके सौर और बैटरी से चलने वाले उत्पाद बना रही है। ऐसे में, प्रेरणा के आईडिया के साथ काम करना हमारे लिए ख़ुशी की बात है।” अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा ने भी अपनी एक ग्रीन एनर्जी एंटरप्राइज, जीवा ग्लोबल शुरू की है। इसके जरिए वह अपने डिवाइस को छोटे उद्यमियों, सार्वजनिक संगठनों और सामाजिक संगठनों तक पहुंचाने की कोशिश करेंगी। 

अंत में उन्होंने कहा, “हम भारतीय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की धारणा में विश्वास रखते हैं और इसलिए इस डिवाइस को इस तरह से बनाया है कि यह न सिर्फ भारत में बल्कि दूसरे देशों में भी लोगों के काम आ सके।”

संपादन- जी एन झा

तस्वीर साभार: प्रेरणा वाडिकर

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