कोरोना संकट के दौरान जब हम महामारी के संक्रमण से बचने के लिए घरों में बंद थे, उस वक्त बहुत से लोग ढेर सारे नए प्रयोग भी कर रहे थे। द बेटर इंडिया ने ऐसी कई कहानी आप तक पहुँचाने का काम किया है।
लॉकडाउन के दौरान हमने आपको कर्नाटक के किसानों का कद्दु से पेठा बनाने की कहानी सुनाई थी, इसके अलावा हिमाचल के दो भाई की कहानी आपको याद ही होगी, जिन्होंने अपना पिज़्ज़ा आउटलेट खोला था।
हाल ही में, पंजाब से भी एक खबर आई थी कि कैसे लॉकडाउन में एक बढ़ई ने अपना काम बंद होने के बाद लकड़ी की साइकिल बना दी।
ऐसे ही आत्म-निर्भरता की कहानी है मणिपुर के 26 वर्षीय युवक की। इम्फाल के एक कस्बे के रहने वाले कोंसम रोमेश सिंह ने बांस का मोबाइल ट्राईपॉड बनाकर सबको हैरान कर दिया। जी हाँ, मोबाइल ट्राईपॉड- यूट्यूब और अलग-अलग वीडियो एप पर वीडियो ब्लॉगिंग करने वाले लोगों के लिए ज़रूरी चीज़।
मोबाइल के लिए खासतौर पर आने वाले छोटे ट्राईपॉड को कहीं भी लाना-ले जाना आसान होता है और यह वीडियो आदि बनाते वक़्त काफी फायदेमंद रहता है। सिर्फ वीडियो बनाने के दौरान ही नहीं बल्कि बच्चों की ऑनलाइन क्लास के लिए, कोई वीडियो लेक्चर देखने के लिए या फिर कोई फिल्म आदि देखने के लिए भी आप ट्राईपॉड की मदद से फ़ोन को सेट कर सकते हैं।
12वीं कक्षा तक पढ़े रोमेश को बांस का क्राफ्ट करने का शौक है और वह बांस से तरह -तरह की खूबसूरत चीजें बनाते रहते हैं। साथ ही, वह अपने क्राफ्ट की वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड करते हैं। उन्हें अपनी वीडियो आदि बनाने के लिए ही एक ट्राईपॉड की ज़रूरत थी। लेकिन जब वह ऑनलाइन ऑर्डर करने लगे तो उस दौरान लॉकडाउन था, सभी जगह डिलीवरी बंद थी।
“मैंने सोचा की मैं इतनी चीजें बांस से बनाता हूँ तो ट्राईपॉड भी बनाने की कोशिश कर सकता हूँ। इसलिए मैंने मेटल के बने ट्राईपॉड की एक वीडियो देखी और उसी हिसाब से अपना बांस का ट्राईपॉड बनाया। पहली बार बना रहा था तो मुझे इसे बनाने में 7 दिन लगे,” उन्होंने कहा।
रोमेश ने जैसे ही इस ट्राईपॉड के बारे में अपने यूट्यूब चैनल और फेसबुक पर डाला, उन्हें अलग-अलग जगह से लोग संपर्क करने लगे। स्थानीय मीडिया ने भी इसके बारे में लिखा। रोमेश कहते हैं कि अपने ट्राईपॉड के अलावा वह और 10 लोगों के लिए भी ट्राईपॉड बना चुके हैं और कुछ अभी बना रहे हैं!
बांस का यह ट्राईपॉड प्लास्टिक और मेटल के ट्राईपॉड का इको-फ्रेंडली विकल्प है। रोमेश अलग-अलग हाइट के ट्राईपॉड लोगों के लिए बना रहे हैं। वह बताते हैं कि बांस के क्राफ्ट का काम बहुत ही मेहनत वाला है। सबसे पहले आपको सही क्वालिटी का बांस चुनना पड़ता है और फिर इसे ट्रीट करके क्राफ्ट आइटम बनाए जाते हैं। रोमेश पिछले 3 साल से बांस से क्राफ्ट बनाने का काम कर रहे हैं।
“शुरुआत में मेरे परिवार में कोई भी इस काम से खुश नहीं था। उनको लगता था कि मुझे पढ़ाई करनी चाहिए लेकिन मेरा पढ़ाई से ज्यादा मन इस काम में लगता है और मुझे एकदम अलग चीजें बनाने में बहुत ख़ुशी मिलती है। अब घरवालों को भी मेरा पैशन समझ में आने लगा है और ट्राईपॉड के बाद तो सभी खुश हैं,” उन्होंने कहा।
ट्राईपॉड से पहले भी उन्होंने बहुत से अलग और खूबसूरत क्राफ्ट बनाए हैं, जिनमें ताजमहल, जहाज, कांगला गेट, लालटेन और मणिपुरी घर आदि के मॉडल शामिल हैं। उनका हर एक प्रोडक्ट्स दूसरे से अलग होता है। अपने प्रोडक्ट्स के ज़रिए वह मणिपुर की विरासत को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने मशहूर कांगला गेट का मॉडल बांस से बनाया है और मणिपुर यूनिवर्सिटी के गेट का भी एक मॉडल बनाया है।
रोमेश कहते हैं कि उन्हें एक क्राफ्ट तैयार करने में 2-3 दिन का समय लगता है। महीने भर में वह 20 से ज्यादा क्राफ्ट बनाकर बेचते हैं और इससे उन्हें लगभग 15 हज़ार रुपये तक की कमाई हो जाती है। रोमेश को मणिपुर राज्य के मेरिट अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया है। इस साल, उन्हें नेशनल हैंडलूम डे पर उनके क्राफ्ट के लिए यह अवॉर्ड मिला, वह भी 50 हज़ार रुपये की पुरस्कार राशि के साथ।
इस सम्मान से उन्हें काफी प्रेरणा मिली है और अब उनका सपना है कि वह अपना खुद का एक शोरूम खोलें, जहाँ उनके बांस के हेंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बिकें। अगर कोई उनसे बांस का मोबाइल ट्राईपॉड खरीदना चाहता है तो इसकी कीमत 800 रुपये है।
आप ऑर्डर करने के लिए उन्हें उनके फेसबुक पेज पर संपर्क कर सकते हैं!
उनका यूट्यूब चैनल देखने के लिए यहाँ क्लिक करें!
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