केरल स्थित कोचीन में चेल्लानाम के रहने वाले के. जे. अंतोजी कभी एक वायर तकनीशियन और टीवी मैकेनिक हुआ करते थे। लेकिन आज पूरा देश उन्हें एक आविष्कारक के तौर पर जानता है। उन्होंने वर्षा जल संचयन की एक अद्भुत तकनीक ढूंढी है- रेनवाटर सिरिंज तकनीक।
इस तकनीक से बारिश के पानी को ज़मीन में समुद्र के स्तर से नीचे इकट्ठा किया जा सकता है। इससे भूजल स्तर बढ़ता है और फिर इस पानी को ज़रूरत के समय एक मोटर की मदद से आप अपने इस्तेमाल के लिए निकाल सकते हैं।
अंतोजी ने द बेटर इंडिया को बताया कि तटीय इलाकों में भूजल के गिरते स्तर की वजह से पानी बहुत ही ज्यादा नमकीन हो रहा है। ऐसे में, इन इलाकों के लोग पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। इसका एक ही उपाय है कि हम बारिश के पानी को भूजल स्तर तक पहुंचाएं, जिससे कि वह इसमें बढ़ते नमकीन स्वाद को बैलेंस कर दे। इसके लिए सबसे सही तरीका है रेनवाटर सिरिंज मेथड क्योंकि इसकी मदद से आप बारिश के पानी को समुद्र के स्तर से नीचे इकट्ठा कर सकते हैं।
कैसे हुआ आविष्कार
अंतोजी बताते हैं, “मैंने इसके लिए कहीं कुछ पढ़ा नहीं था बस एक घटना घटी और मुझे यह जुगाड़ मिल गया। साल 1988 की बात है, नवंबर का महीना था और मैं एक पाइप से पेड़ों में पानी दे रहा था कि अचानक मेरे घर में टेलीफोन की घंटी बजी। मैं एकदम से चौंका और मेरे हाथ से पाइप गिर गई। जब मैं अंदर से बात खत्म करके वापस आया तो मैंने देखा कि पाइप का सिरा ज़मीन में गढ़ गया था, मैंने इसे बाहर निकाल लिया, लेकिन फिर भी जो गड्ढा पाइप के पानी के प्रेशर की वजह से हुआ था, उसमें से अभी भी पानी निकल रहा था।”
इसके बाद, जिज्ञासावश उन्होंने एक जगह और पानी के प्रेशर से गड्ढा किया और देखा कि लगभग 8 फीट तक गड्ढा होने के बाद उससे पानी का निकलना बंद हुआ। मतलब कि ज़मीन में जब हम पानी डालते हैं और जब वह 8 फीट से नीचे पहुंचता है तब ज़मीन उसे सोखना शुरू करती है। इससे ही हमारा भूजल स्तर बढ़ता है। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि बारिश का पानी भूजल स्तर बढ़ाए तो इसके लिए ज़रूरी है कि वह 8 फीट की गहराई तक पहुंचे जबकि हमारे यहां तो बारिश का पानी सतहों से होता हुआ सीधा समुद्र में जाता है और यह अच्छा नहीं है।
अंतोजी आगे बताते हैं कि यहीं से उनकी ‘रेनवाटर सिरिंज तकनीक’ की शुरूआत हुई। उन्हें समझ में आ गया कि इस तकनीक से भूजल को नमकीन होने से रोका जा सकता है। अगले चार साल तक उन्होंने अपने घर में ही यह एक्सपेरिमेंट किए और इस तकनीक में महारत हासिल की।
वह बताते हैं, “रेनवाटर सिरिंज से हम बारिश के पानी को प्रेशर से ज़मीन के 6 फीट नीचे बने एक स्टोरेज टैंक में पहुंचाते हैं। इसके लिए आपको अलग से कोई मशीन नहीं चाहिए लेकिन बाद में इस पानी को अपने इस्तेमाल के लिए निकालने के लिए आपको मोटर की ज़रूरत होती है। गड्ढा हम लोगों की ज़रूरत के हिसाब से बनाते हैं जैसे परिवार में कम सदस्य हैं तो छोटा गड्ढा बनाते हैं। अगर सामुदायिक स्तर पर कहीं लगाना है तो छोटे-छोटे कई सरे गड्ढे बनाते हैं।”
क्या है विधि
सबसे पहले आपको ज़मीन में 6 मीटर गहरा गड्ढा करना है और फिर इसे 3 मीटर तक नदी की रेत से भरना है। यह रेत पानी के लिए फिल्टर का काम करता है और इससे गुज़र कर पानी नीचे इकट्ठा होता है। इसके ऊपर एक टैंक बनाया जाता है, लेकिन पानी वहां जमा नहीं होता बल्कि जैसे-जैसे टैंक भरता है पानी प्रेशर से ज़मीन में और नीचे जाता है।
इस गड्ढे के नीचे एक फूट वाल्व लगाया जाता है, जिससे कि मोटर का कनेक्शन होता है और बाद में, इससे पानी इस्तेमाल के लिए निकाला जा सकता है। अंतोजी कहते हैं कि इस सिरिंज की मदद से बारिश के पानी को ज़मीन में 70 फीट नीचे तक भी पहुंचाया जा सकता है।
इससे भूजल स्तर को प्रभावी रूप से बढ़ाया जा सकता है। अब तक उन्होंने 400 से भी ज्यादा यूनिट लगाई हैं, जिनमें लगभग 500 करोड़ लीटर पानी को संरक्षित किया गया है।
कम रखी है कीमत
उन्होंने इस सिस्टम की कीमत भी कम से कम रखी है। वह कहते हैं कि इस काम में मोटर, पीवीसी पाइप आदि की ज़रूरत पड़ती है और उनकी लागत के हिसाब से हम इस सिस्टम को 3000 रुपये प्रति मीटर की दर से करते हैं। मतलब कि अगर किसी को 10 मीटर गहरा सिस्टम लगवाना है तो उन्हें 30 हज़ार रुपये की लागत आएगी।
“मैं पिछले 30 सालों से यह इस्तेमाल कर रहा हूँ और मुझे आज तक इस सिस्टम की कोई शिकायत या कमी नहीं मिली है। बल्कि यह कम लागत में काफी प्रभावी तरीका है,” उन्होंने बताया। समय-समय पर उन्होंने इस सिस्टम में बदलाव भी किए हैं और अभी भी, ज़रूरत के हिसाब से वह इसे और बेहतर बनाने में जुटे हैं। अंतोजी का यह आविष्कार तटीय क्षेत्र जैसे कि केरल, महाराष्ट्र, गुजरात आदि में काफी प्रभावी है।
अपने इस आविष्कार को पहचान मिलने का श्रेय वह नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन को देते हैं। केरल की एक संस्था पीरमेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने अंतोजी के काम के बारे में NIF को बताया। इसके बाद, NIF की टीम ने उनके इस तरीके की जांच की।
मिल चुका है राष्ट्रीय सम्मान
साल 2009 में उन्हें प्रतिभा पाटिल द्वारा राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा गया। यह सम्मान मिलने के बाद अंतोजी और उनके आविष्कार पर लोगों का भरोसा काफी बढ़ गया। अभी भी वह दिन-रात कुछ न कुछ अलग करने में जुटे रहते हैं।
अंतोजी कहते हैं, “मैंने अनुभव से पानी को समझा है। पानी बात करता है बस ज़रूरत है आपके ध्यान से सुनने-समझने की। अब मैं कह सकता हूं कि मैं पानी की बात सुनता हूं और उसी हिसाब से आगे बढ़ रहा हूं। आप भी कभी कोशिश करें यह जानने की कि पानी आखिर आपसे क्या कहना चाहता है।”
पानी को लेकर इस तरह के आविष्कार के बारे में हम सभी को जानने की जरूरत है। अंतोजी ने भले ही तटीय इलाकों को ध्यान में रखकर इस तकनीक का आविष्कार किया हो लेकिन इसकी जरूरत देश के अन्य इलाकों को कब हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता।
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के. जे. अंतोजी से संपर्क करने के लिए आप उन्हें 8893863663 पर कॉल कर सकते हैं!