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देसी टॉयलेट को दिया ऐसा सिंपल ट्विस्ट कि बुज़ुर्गों के लिए भी आसान हो गया बैठना

indian toilet design squatease


देसी टॉयलेट (Indian Toilet) इस्तेमाल करना स्वास्थ्य और पाचन के लिए बेहद लाभदायक होता है। इस बात को आजकल चिकित्सक भी मानने लगे हैं। अगर आपने ‘पीकू’ फिल्म देखी है, तो अमिताभ बच्चन भी आपको इसका सबूत देते नज़र आएंगे। लेकिन बुज़ुर्गों के लिए इसका इस्तेमाल करना अक्सर मुश्किल हो जाता है। बुज़ुर्ग ही क्या, आजकल वेस्टर्न टॉयलेट (indian toilet) इस्तेमाल करते-करते हम सभी की Squat करने की आदत छूट चुकी है। इस वजह से पूरी तरह पाँव के तलवों के सहारे बैठना बहुत कठिन काम लगता है। पर इस समस्या का हल ढूंढ निकाला है सत्यजीत मित्तल ने।

क्या है SquatEase Indian Toilet?

MIT, Institute of Design के छात्र रह चुके सत्यजीत मित्तल ने SquatEase बनाया है। यह एक तरह का देसी टॉयलेट (Indian Toilet) ही है, लेकिन एक छोटे-से ट्विस्ट के साथ। दरअसल, सत्यजीत ने बस इसके फुटरेस्ट को पीछे की तरफ से हल्का सा ऊँचा कर दिया है, जिससे इसपर आसानी से बैठा जा सकता है

SquatEase

क्या ख़ास है Indian Toilet के इस डिज़ाइन में?

सत्यजीत कहते हैं, “मैंने पहले समस्या की पहचान की, लोगों को स्वास्थय, साफ़-सफ़ाई, रख-रखाव की समस्या थी और इसके साथ ही, लोग आसानी से बैठ नहीं पा रहे थे। सबसे ज़रूरी था लोगों की टॉयलेट जाने की आदत को बदलना. ज़्यादातर लोग अपनी एड़ियां ऊंची कर के बैठते हैं और अपने पैर की उंगलियों पर शरीर को संतुलित करते हैं, क्योंकि उन्हें Squat करने में परेशानी होती है।”

पैर की उंगलियों पर पूरा भार देने से गिरने का डर रहता है और घुटनों पर भी असर पड़ता है। लेकिन SquatEase टॉयलेट (indian toilet) के फ़ुटरेस्ट ज़रा ऊंचे हैं, जिससे आपकी एड़ियों को सपोर्ट मिलता है।

2016 में ही सत्यजीत को SquatEase का आईडिया आया था। इसके बाद, भारत सरकार से उन्हें Prototyping Grant मिला और उन्होंने काम शुरू कर दिया।

कैसे अलग है ये साधारण Indian Toilet से?

लोगों के घुटनों, जांघ, कूल्हों या जोड़ों पर ज़्यादा प्रेशर न पड़े, इसलिए सत्यजीत ने देसी टॉयलेट (indian toilet) को रिडिज़ाइन किया। सत्यजीत के डिज़ाइन में लोगों को अपनी एड़ी अच्छे से रखने की सुविधा मिलेगी। टॉयलेट (indian toilet) में ज़्यादा जगह है, जिससे लोग आसानी से अपनी पीठ, पैर की उँगलियों और घुटनों को एडजस्ट करके आराम से बैठ सकते हैं। सत्यजीत का दावा है कि दृष्टिहीन व्यक्ति भी आसानी से इस टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सत्यजीत ने बताया कि SquatEase की टेस्टिंग के लिए वह उन लोगों के पास गए जो पैर की उंगलियों पर बैठकर टॉयलेट (indian toilet) का इस्तेमाल करते थे।

उन्होंने अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग ओर्थपेडीक डिपार्टमेंट में की। यहाँ, उन लोगों ने इस्तेमाल करके देखा, जिन्हें घुटने के दर्द की शिकायत थी और रिज़ल्ट पॉज़िटिव मिला। जो लोग किसी चीज़ को पकड़कर बैठते थे, उन्हें भी यह प्रोडक्ट सही लगा।

सत्यजीत को इस टॉयलेट (indian toilet) को बनाने में 2 साल और 10 लाख रुपये निवेश किया, लेकिन परिणाम सार्थक रहा।

सत्यजीत मित्तल

सत्यजीत कहते हैं, “2018 में मैंने World Toilet Organistion, सिंगापुर के साथ साझेदारी की और उसी साल अक्टूबर में यह मार्केट तक पहुंच गई।”

क्या है कीमत?

उपयोगी होने के साथ-साथ यह टॉयलेट (indian toilet) काफी किफायती भी। इसकी क़ीमत मात्र 999 रुपये है। शायद तभी, प्रयागराज कुम्भ 2019 में 5000 SquatEase लगाए गए थे।  

सत्यजीत को अपने इस इनोवेशन के लिए स्वच्छ भारत दिवस, 2018 पर स्वच्छ इनोवेशन ऑफ़ 2018 का खिताब भी मिला है।

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