पंजाब अपने लहराते खेतों और यहां के शौक़ीन मिजाज़ लोगों के लिए काफी मशहूर है। आज हम आपको पंजाब के एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं, जो अपने अनोखे आविष्कार के लिए मशहूर हो गए हैं। उन्होंने साल 2012 में अपने दिमाग और हुनर का इस्तेमाल करके एक मिनी जीप बनाई थी, जो साइज़ में एक स्कूटर जितनी है, लेकिन इसे चलाने वाले को यह जीप जैसा ही आनंद देती है।
वह कहते हैं न आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, ऐसा ही कुछ हुआ पंजाब के 66 वर्षीय बब्बर सिंह के साथ भी। दरअसल, अपने एक दिव्यांग दोस्त की फरमाइश को पूरा करने के लिए उन्होंने एक कोशिश की, जो इतनी सफल रही कि आज वह इसके कारण न सिर्फ अपने गांव, बल्कि देशभर में मशहूर हो गए हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए बब्बर सिंह ने बताया, “मैंने अपने दोस्त की ज़रूरत को पूरा करने के मकसद से एक छोटी जीप बनाई थी। लेकिन बाद में मुझे पता चला कि उसके जैसे कितने ही दिव्यांगजन हैं, जिनके लिए यह जीप एक काम की चीज़ बन सकती है।”
बचपन से जीप के शौक़ीन हैं बब्बर
पेशे से मोटर मैकेनिक बब्बर को यूं तो बचपन से ही गाड़ियों, विशेषकर जीप का शौक़ रहा है। जब वह छोटे थे तब उनके घर में एक बड़ी जीप आई थी। उस छोटी उम्र में ही उन्होंने पहली बार एक छोटी जीप बनाने का सपना देखा था। लेकिन बचपन का उनका वह सपना साल 2012 में 56 साल की उम्र में तब पूरा हुआ, जब उनके एक मित्र ने उनसे एक छोटी गाड़ी बनाने को कहा।
बब्बर कहते हैं, “मेरा दोस्त दिव्यांग था, वह स्कूटर तो चला लेता था, लेकिन परिवार के साथ कहीं जाने के लिए उसके पास कोई वाहन नहीं था। उसने मुझे एक छोटी गाड़ी बनाने को कहा, तो मैंने सोचा क्यों न उसके लिए एक जीप बनाई जाए।” इसके बाद, उन्होंने अपने ही गैरेज में एक मिनी जीप बनाना शुरू कर दिया। उनके लिए यह काम करना उनके शौक़ का काम था, इसलिए वह बड़ी ख़ुशी के साथ इसे बना रहे थे।
बब्बर ने एक बड़ी जीप की कॉपी करके छोटी जीप की बॉडी बनाई, जिसके बाद स्कूटर का 100cc का एक मोटर और मारुती 800 का स्टियरिंग लगाकर उन्होंने एक मिनी जीप तैयार कर दी, जिसमें चार लोग आराम से बैठ सकते हैं। अपनी पहली जीप को बनाने में उन्हें 70 हजार रुपये का खर्च आया था।
उन्होंने जब इस जीप को अपने दोस्त को इस्तेमाल करने के लिए दी, तो उन्हें यह जीप काफी आरामदायक लगी। उन्होंने इसमें एक ऑटोमेटिक इंजन लगाया, इसलिए इसे चलाना बेहद आसान है।
अब तक 15 दिव्यांगजनों के लिए बना चुके हैं मिनी जीप
इस जीप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई गियर नहीं है। इसके सभी फंक्शन स्टेयरिंग के पास दिए गए हैं, जिससे आपको पैर के इस्तेमाल की ज़रूरत नहीं होती। इसके साथ ही अपनी साइज़ के कारण यह दिव्यांगजनों के उपयोग के लिए बिल्कुल सही है। धीरे-धीरे पूरे पंजाब में उनकी जीप की चर्चा होने लगी।
बब्बर कहते हैं, “लोगों को यह जीप पसंद आई और मैंने ऑर्डर लेकर दूसरे लोगों के लिए भी जीप बनाना शुरू किया। अब तक मैं 15 दिव्यांगजनों के लिए जीप बना चुका हूँ।” हरियाणा के जसबीर सिंह ने आठ साल पहले बब्बर से एक मिनी जीप खरीदी थी।
जसबीर बताते हैं, “मैं दोनों पैरों से दिव्यांग हूँ और मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन मुझे भी जीप चलाने का मौका मिलेगा। मुझे बब्बर सिंह के बारे में मेरे एक रिश्तेदार ने बताया था, जो खुद भी दिव्यांग हैं। उनके पास भी एक ऐसी ही जीप थी, जिसके बाद मैंने भी एक जीप खरीदने का फैसला किया। इससे मुझे कहीं भी आने जाने में काफी आसानी हो गई। क्योंकि इसमें पैर की ज़रूरत नहीं पड़ती, इसलिए मेरे जैसे लोग इसे आराम से चला लेते हैं।”
एक छोटे से गांव के बब्बर सिंह का यह कारगर आविष्कार साबित करता है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और अपनी हर समस्या का समाधान, यहां के लोग अपने जुगाड़ से निकाल ही लेते हैं। अगर आपके आस-पास भी ऐसी कोई प्रतिभा है, तो उसके बारे में हमें ज़रूर बताएं।
संपादनः अर्चना दुबे
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