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UP का पायलट और कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक, मिलकर बनाने लगे ‘देसी बर्गर’ और बन गए करोड़पति

चटपटा बर्गर और साथ में कोई कोल्ड ड्रिंक हो, तो खराब से खराब मूड भी अच्छा हो जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी को बर्गर पसंद होता है। अक्सर लोगों के बीच बहस छिड़ी होती है कि ‘बर्गर किंग’ ज्यादा बेहतर है या ‘मैकडॉनल्ड्स’। लेकिन आज हम आपको एक ‘मेड इन इंडिया’ बर्गर ब्रांड (Swadeshi burger Brand) के बारे में बता रहे हैं, जो मेट्रो शहरों के साथ -साथ टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी अपनी पहचान बना रही है। हम बात कर रहे हैं, Wat-a-Burger फूड चेन की, जिसके आउटलेट आज लगभग 11 राज्यों के 16 शहरों तक पहुँच चुके हैं। 

इस बर्गर ब्रांड को साल 2016 में, मूल रूप से इलाहबाद (अब प्रयागराज) के रहनेवाले रजत जैसवाल और फरमान बेग ने शुरू किया। रजत और फरमान बचपन से दोस्त हैं। दोनों ने ही अपनी पढ़ाई बिल्कुल अलग-अलग क्षेत्र में की और अलग-अलग इंडस्ट्री में काम भी कर रहे थे। लेकिन अपने काम के साथ-साथ उन्होंने अपना फ़ूड बिज़नेस शुरू किया। रजत जैसवाल एक पायलट हैं और आज भी एक एयरलाइन कंपनी के लिए काम कर रहे हैं। वहीं, यूके से मास्टर्स करनेवाले फरमान अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी चला रहे हैं। 

लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने एक और नया बिज़नेस करने की सोची और इसे सफल भी बनाया। अपने इस सफर के बारे में रजत और फरमान ने द बेटर इंडिया को विस्तार से बताया। 

साथ मिलकर बनाया ‘इंडिया का बर्गर’:

Rajat and Farman

रजत एक बिज़नेस परिवार से आते हैं और शायद वह अपने परिवार के अकेले ऐसे सदस्य हैं, जो नौकरी कर रहे हैं। वहीं, फरमान अपने परिवार में बिज़नेस करनेवाले पहले सदस्य हैं। हालांकि, अपनी नौकरी के साथ रजत हमेशा से कोई बिज़नेस करना चाहते थे और फरमान भी नौकरी करने की बजाय बिज़नेस में ही आगे बढ़ना चाहते थे। फरमान कहते हैं, “2013 में पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैंने एक IT फर्म शुरू किया था और बाद में इसे छोड़कर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी भी शुरू कर दी। रजत से जब भी मुलाकात होती थी, तो हम दोनों केवल और केवल बिजनेस को लेकर बात करते थे।” 

रजत कहते हैं, “मैं खाने के बिज़नेस को लेकर हमेशा से आश्वस्त रहा हूँ। क्योंकि खाना ऐसी चीज है, जो जीवन की मूलभूत जरूरत है। इसलिए जब मैं और फरमान बिज़नेस आइडियाज पर काम कर रहे थे, तो हमने फ़ूड बिज़नेस को टॉप पर रखा।” उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए फरमान कहते हैं, “इसके बाद, हमने बर्गर आउटलेट पर काम करने का फैसला किया, क्योंकि बर्गर बनाना काफी आसान है। सबसे अच्छी बात है कि हम सभी बर्गर के स्वाद को एक जैसा रख सकते हैं।” 

उन्होंने आगे बताया कि वैसे भी भारत में बर्गर के लिए विदेशी कंपनियों का बोलबाला है। अगर स्वदेशी कंपनी बर्गर बनाती भी है, तो वे भी वही बनाने की कोशिश करते हैं, जो पहले से बाजार में है। इसलिए रजत और फरमान ने कुछ अलग करने की योजना बनाई। उन्होंने ऐसे भारतीय व्यंजनों के स्वाद को बर्गर में डाला, जो भारतीय अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में खाते हैं। जैसे आलू, पूरी, अचार, चिकन चिल्ली, पनीर चिल्ली आदि। काफी समय तक आउटलेट और मेन्यू पर रिसर्च करने के बाद, 2016 में उन्होंने नोएडा में अपना पहला आउटलेट खोला। 

ग्राहकों से मिली अच्छी प्रतिक्रिया:

उनका यह आउटलेट मैकडॉनल्ड्स के आउटलेट से कुछ ही दूरी पर था। रजत कहते हैं, “यह रिस्की था, लेकिन हमें अपने बर्गर के स्वाद पर पूरा भरोसा था। शुरुआत में मुश्किलें काफी आयी, लेकिन हमने अलग-अलग तरह से मार्केटिंग की। जैसे हमने लोगों से कहा कि अगर खाने के बाद उन्हें हमारा बर्गर अच्छा न लगे, तो उन्हें पैसे देने की कोई जरूरत नहीं है। हमारा यह कैंपेन काम कर गया और यकीन मानिए हमने एक भी ग्राहक को पैसे नहीं लौटाए।” 

India ka Burger

पिछले पांच सालों में उनके मेन्यू में बहुत कुछ बदला है। वेज और नॉन-वेज बर्गर के साथ वह सैंडविच, रैप, ड्रिंक, शेक आदि भी दे रहे हैं। अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने के साथ, उनका सिर्फ यही उद्देश्य है कि वे ‘Wat-a-Burger’ को विदेशी ब्रांड्स की तरह एक इंटरनेशनल ब्रांड बनाए। वे देसी लोगों के लिए ‘इंडिया का बर्गर’ बनाकर, देश के कोने-कोने में पहुँचाना चाहते हैं। 

नियमित तौर पर ‘Wat-a-Burger’ से खानेवाले उनके एक ग्राहक, अनिमेश मोहंती कहते हैं, “बात अगर खाने में कुछ नया, लेकिन स्वादिष्ट परोसने की हो तो, Wat-a-Burger से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है। उनका तंदूरी चिकन मखनी बर्गर मुझे बहुत पसंद है। बाजार में आज बर्गर से सस्ते से सस्ते विकल्प हैं, ऐसे में, इस मार्किट में कुछ अलग लेकर उतरना बहुत ही मुश्किल है। पर Wat-a-Burger ने यह करके दिखाया और इतने सालों से अपनी गुणवत्ता और स्वाद को बरकरार रखा है।” 

वहीं, अपने और अपने परिवार के खाने-पीने को लेकर काफी सजग रहनेवाली, डॉ. तरन कहती हैं, “मैं फास्ट फ़ूड खाने की शौक़ीन नहीं हूँ, लेकिन अपने पति और बच्चों के लिए कभी-कभी खाना पड़ता है। ऐसे में, मुझे Wat-a-Burger का मेन्यू काफी ठीक लगा, क्योंकि यह हमेशा ताजा होता है और साथ ही, यह बहुत ऑयली भी नहीं होता है।” 

16 शहरों में 60 आउटलेट

रजत और फरमान ने यह स्टार्टअप अपनी फंडिंग से शुरू किया था। उन्हें कभी कोई लोन नहीं लेना पड़ा और न ही अब तक कहीं से कोई इन्वेस्टमेंट मिली है। इसका बड़ा कारण है कि पहले साल से ही उन्हें लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। पहले साल ही उनका टर्नओवर एक करोड़ रुपए से ज्यादा गया था और इसके बाद यह सिर्फ बढ़ा है। हालांकि, लॉकडाउन के कारण उनकी सेल कम हुई और टर्नओवर भी कम हुआ है, लेकिन इस पूरे समय को उन्होंने अपनी आगे की रणनीति बनाने में लगाया। 

उन्होंने बताया कि 16 आउटलेट उनकी अपनी कंपनी के हैं और अन्य 44 आउटलेट फ्रेंचाइजी मॉडल से हैं। दिल्ली, एनसीआर, लखनऊ, कानपुर, जयपुर, गोरखपुर से लेकर रांची, झाँसी, सूरत, वड़ोदरा, गुवाहाटी जैसे शहरों तक उनके आउटलेट फैले हुए हैं। आगे उनकी योजना और नए आउटलेट शुरू करने की है। इसके अलावा, उन्होंने यूके और दुबई में भी आउटलेट खोलने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है। सबसे अच्छी बात यह है कि जगह तय करने से लेकर आउटलेट बनाने तक, हर एक कदम पर रजत और फरमान खुद चीजें संभालते हैं। 

रजत कहते हैं, “अक्सर लोगों को लगता है कि पायलट की जॉब के साथ, मैं कैसे बिज़नेस कर पा रहा हूँ। लेकिन सच यह है कि अगर आपका टाइम-मैनेजमेंट सही है, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं। मेरी नौकरी सामान्य नौ से पांच की नहीं है। मुझे हर दिन अलग-अलग समय पर फ्लाइट ले जानी होती है। इसलिए मेरा एक महीने का शेड्यूल पहले से तय होता है और उसी के हिसाब से, मैं अपने बिज़नेस से जुड़ी मीटिंग या दूसरे काम तय करता हूँ। मैं या फरमान हर दिन अपने किसी न किसी आउटलेट पर होते ही हैं।” 

अपनी इस ‘मेड इन इंडिया’ बर्गर ब्रांड को लेकर रजत और फरमान बहुत ही आश्वस्त हैं और उन्हें विश्वास है कि आनेवाले सालों में वे विदेशी ब्रांड्स को टक्कर दे पाएंगे। अपने इस बिज़नेस से वह लगभग 450 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इस साल का उनका टर्नओवर लगभग 13 करोड़ रुपए रहा है। हालांकि, यह पिछले साल, लॉकडाउन से पहले तक के टर्नओवर से कम है। लेकिन उनका कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण उनका काम धीमा हुआ है, रुका नहीं है। जैसे ही स्थिति बेहतर होगी, वे न सिर्फ अपने आउटलेट बल्कि अपना टर्नओवर भी बढ़ा पाएंगे। 

फिलहाल, उनके बर्गर की कीमत 49 रुपए से शुरू होकर 149 रुपए तक है। लेकिन आनेवाले समय में, वे और कम कीमत का बर्गर लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। बेशक, रजत और फरमान की कहानी हर एक भारतीय के लिए प्रेरणा है। ‘मेड इन इंडिया’ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की उनकी चाह और जज़्बे को हमारा सलाम। आप उनकी वेबसाइट देखने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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