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17 साल के इस युवा का स्टार्टअप, हर दिन 10 टन प्लास्टिक रीसायकल कर, बनाता है फैब्रिक

भीलवाड़ा (राजस्थान) के आदित्य भटनागर वैसे तो केवल 17 साल के हैं, लेकिन अपने बिजनेस के साथ पर्यावरण को बचाने की एक अदद कोशिश, उन्हें बाकी टीन-एज बच्चों से अलग करती है। इस छोटी-सी उम्र में उन्होंने अपना खुद का स्टार्टअप लॉन्च किया है, जिसका नाम है ट्रैश टू ट्रेजर । साधारण शब्दों में कहें, तो इसका अर्थ है कचरे से खजाना।

वह अपने इस स्टार्टअप में रोजाना 10 टन कचरे को रीसाइकल कर, उससे फैब्रिक बनाते हैं और ये फैब्रिक आगे कंपनियों को बेचा जाता है ताकि उससे कपड़ा तैयार किया जा सके।

आदित्य ने द बेटर इंडिया को दिए अपने एक इंटरव्यू में बताया, “कचरे से कपड़ा तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में एक से दो दिन का समय लगता है, लेकिन इस तकनीक से तैयार होने वाला फैब्रिक आम सूती कपड़े से ज्यादा मजबूत और टिकाऊ होता है।” आदित्य राजस्थान के मायो कॉलेज में 12वीं कक्षा के छात्र हैं।

उन्होंने अपनी कंपनी ट्रैश टु ट्रेजर को जनवरी 2021 में लॉन्च किया था। आज वह रोजाना 10 टन कचरे को रीसाइकल कर, उससे कपड़ा तैयार कर रहे हैं। 

कैसे शुरू हुआ ट्रैश टू ट्रेज़र का सफर?

आदित्य का पूरा परिवार टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस से जुड़ा है। दो साल पहले बिज़नेस के सिलसिले में आदित्य अपने अंकल के साथ चीन गए थे। उनके अंकल ‘कंचन इंडिया लिमिटेड’ के मालिक हैं। वहां जाकर आदित्य ने कपड़ा बनाने की कई नई निर्माण (मैनुफैक्चरिंग) तकनीकों के बारे में जानकारी इकट्ठा की। 

आदित्य कहते हैं, “इस दौरान मैंने एक ऐसी यूनिट देखी, जो बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के कचरे को फेब्रिक में बदल रही थी। इससे न केवल लैंडफिल में बढ़ने वाले कचरे के ढेर को कम किया जा रहा था, बल्कि एक बेहतरीन क्वालिटी का कपड़ा भी तैयार हो रहा था। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़े थे।” 

साल 2019 में जारी की गई एक रिपोर्ट की बात करें, तो अनुमान है कि पूरे भारत में 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा लैंडफिल तक पहुंच चुका है। आदित्य पर्यावरण पर पड़ने वाले बोझ को अपने बिज़नेस के जरिए कम करना चाहते थे। वह उस समय दसवीं क्लास में पढ़ रहे थे।

परिवार ने जताया युवा सोच पर भरोसा

Aditya’s Recycling Unit

आदित्य ने भारत वापस आकर अपने परिवार को प्लास्टिक से फैब्रिक तैयार करने के बारे में बताया। वह इस बिज़नेस को शुरू करना चाहते थे। उनके अंकल और पिता को यह विचार अच्छा लगा और उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति दे दी। उसके बाद आदित्य ने एक विदेशी कंपनी के साथ मिलकर भीलवाड़ा में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का सेटअप तैयार कर लिया।

उन्होंने बताया, “इस प्रोजेक्ट में सहयोगी कंपनी कंचन इंडिया लिमिटेड ने पैसा लगाया है और फिलहाल हम इसी कंपनी के लिए फैब्रिक तैयार कर रहे हैं।”

जनवरी 2021 में जब लॉकडाउन में ढील दी गई, तो आदित्य ने पूरे भारत से प्लास्टिक के कचरे की सोर्सिंग शुरू कर दी। इसके अलावा, उन्होंने अपने इलाके में मौजूद स्थानीय वेस्ट कलेक्शन सेंटर से संपर्क साधा और पीईटी ग्रेड की प्लास्टिक को 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदना शुरू कर दिया।

कचरे को रीसाइकल करना

यूनिट तक कचरा पहुंचने के बाद, सबसे पहले प्लास्टिक पर लगे सभी लेबल्स को हटाया जाता है और उसके बाद उन्हें साफ करके सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर प्लास्टिक को बारीक टुकड़ों में काटकर पिघलाते हैं, ताकि जहरीले रसायनों को हटाया जा सके। यही पिघली हुई प्लास्टिक, जिसे प्लास्टिक फिलामेंट भी कहते हैं, ठंडा होने पर फाइबर बन जाती है।

आदित्य कहते हैं, “फाइबर को कातकर धागा बनाते हैं और फिर इसे कॉटन के साथ मिलाकर फैब्रिक तैयार किया जाता है। इस तैयार फैब्रिक को हम आगे कंपनियों में बेच देते हैं, ताकि इससे कपड़ा तैयार किया जा सके।”
हालांकि, प्लास्टिक का कचरा खरीदना उनके बिज़नेस के लिए काफी महंगा सौदा साबित हो रहा है। लेकिन आदित्य ने इसके लिए एक नया रास्ता खोजा है।

अब वह लोगों से सीधे संपर्क करके उनसे यूनिट में प्लास्टिक भेजने की अपील कर रहे हैं, ताकि वह उसे रीसाइकल कर सकें। आदित्य ने बताया, “प्लास्टिक PET ग्रेड की होनी चाहिए। लेकिन आपको उसे साफ करने या धोने की जरूरत नहीं है। वह सब हमारा काम है। आप इसे सीधे हमारी यूनिट में भेज सकते हैं, जहां हम इससे धागा बनाएंगे।”

अगर आप अपनी बेकार प्लास्टिक को ‘ट्रैस टू ट्रेजर’ में डिपॉजिट करना चाहते हैं, तो उसके लिए आदित्य से संपर्क कर सकते हैं। उनका पता हैः- ए 110, शास्त्रीनगर, भीलवाड़ा, 311001 राजस्थान। या फिर उनके इंस्टाग्राम पेज पर जाकर, संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

मूल लेखः- रोशिनी मुथुकुमार 

संपादनः अर्चना दुबे

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