क्या आपको पता है, हम प्लास्टिक का बस इस्तेमाल ही नहीं करते बल्कि इसे खा भी रहे हैं। जी हां, हम सभी की पसंदीदा च्युइंग गम पीवीए (पॉलीविनाइल एसीटेट) से बनी होती है जिसका उपयोग टायर और गोंद बनाने में किया जाता है।
वहीं, सोशल नेटवर्किंग साइट Research Gate की रिपोर्ट में बताया गया है कि हर साल इससे 105 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा लैंडफिल में जाता है।
सबसे ज्यादा दिक्कत की बात तो यह है कि इस कचरे को इकट्ठा करना या ट्रैक करना काफी कठिन है। इसी गंभीर समस्या का एक ईको-फ्रेंडली और हेल्दी विकल्प खोज निकाला है बेंगलुरु के मयंक नागौरी ने। वह अपने स्टार्टअप ‘गुड गम’ के ज़रिए देश की पहली प्लास्टिक-फ्री और पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल च्युइंग गम बना रहे हैं। 2022 में लॉन्च होने के बाद से 5 लाख से अधिक गम बेचकर वह अब तक करीब 700 किलो प्लास्टिक गम को लैंडफिल में जाने से बचा चुके हैं।
प्लास्टिक गम का खोजा प्राकृतिक विकल्प
बचपन से ही मयंक पर्यावरण के प्रति जागरूक रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में प्लास्टिक का कम से कम उपयोग होता है। ऐसे में जब एक बार उन्हें उनकी स्कूल टीचर से पता चला कि च्युइंग गम में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है तो उन्होंने इसे खाना ही छोड़ दिया। उन्होंने स्कूल के समय से ही इसका एक ईको-फ्रेंडली विकल्प खोजने का विचार मन में बना लिया था।
फ़ूड साइंस के छात्र रहे मयंक पढ़ाई के बाद नौकरी कर रहे थे। साथ ही साथ अपने सपने को पूरा करने का ख्याल भी हमेशा से उनके मन में था। उन्होंने एक छोटी सी रिसर्च के साथ काम की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु के कई लोगों से पूछा कि च्युइंग गम किससे बनती है? ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था कि इसमें प्लास्टिक होता है।
इस रिसर्च के बाद उन्होंने च्युइंग गम के ईको-फ्रेंडली विकल्प पर काम जोर-शोर से शुरू किया। आख़िरकार, उन्हें पेड़ से निकलने वाले गम के बारे में पता चला। यह प्लांट बेस गम अमेरिका में बनता है जो पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली है। इसी गम के रॉ मैटेरियल को अमेरिका से मंगवाकर, उन्होंने देश की पहली प्लास्टिक फ्री च्युइंग गम बनाई और मार्केट में गुड-गम के नाम से लॉन्च की। अलग-अलग नेचुरल फ्लेवर्स में मौजूद यह Gud-Gum सही मायनों में एक सस्टेनेबल स्टार्टअप का बेहतरीन उदाहरण है।
आप उनके स्टार्टअप के बारे में ज़्यादा जानने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर संपर्क कर सकते हैं।
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