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36 साल के मोहब्बत दीप सिंह चीमा और मनप्रीत कौर पंजाब के रहनेवाले हैं। दीप सिंह एक फूड ट्रक चलाते हैं। दीप सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर बताती हैं कि काफी समय तक वह, लोगों को बताने में संकोच करती थीं कि उनके पति फूड ट्रक चलाते हैं। वह कहती हैं, “ऐसा नहीं था कि मुझे शर्मिंदगी होती थी, लेकिन लोगों के तानों के डर से मैं किसी को बताना नहीं चाहती थी।”
COVID-19 लॉकडाउन के दौरान दीप की नौकरी चली गई। नौकरी गंवाने के बाद, दीप पंजाब के अपने गांव ढिलवां चले गए और वहां उन्होंने, पिज्जा फैक्ट्री नाम से एक फूड ट्रक की शुरुआत की। इस फूड ट्रक की खासियत यह है कि यहां केवल 199 रुपये में आप अनलिमिटेड पिज्जा, बर्गर और फ्राइज़ का मजा ले सकते हैं।
अगस्त 2020 में 4 लाख रुपये के निवेश से इसकी शुरुआत करने वाले दीप आज हर महीने करीब 2 लाख रुपये कमा रहे हैं। लेकिन आज मनप्रीत को अपने पति के काम पर बेहद गर्व है। वह बताती हैं कि लोग आज उन्हें दीप की पत्नी के रूप में पहचानते हैं और उन्हें बेहद खुशी होती है, जब लोग उनके पति के फूड ट्रक पर बिकने वाले पिज्जा उंगलियां चाट-चाट कर खाते हैं।
12वीं के बाद शुरू कर दिया था कमाना
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द बेटर इंडिया से बात करते हुए दीप बताते हैं कि उनका जन्म पंजाब के ढिलवां में हुआ था। जब वह चार साल के थे, तब वह अपने चाचा-चाची के पास दिल्ली आ गए। दिल्ली/एनसीआर में उन्होंने अपने जीवन के करीब चार साल बिताए। दिल्ली में ही उन्होंने पढ़ाई पूरी की और फिर कई तरह के काम भी किए।
दिल्ली के एक स्कूल से 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद, दीप ने 5,000 रुपये के मासिक वेतन के साथ एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। वह बताते हैं, “मैंने काम करने के साथ-साथ, ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद मुझे एक आईटी मैनेजमेंट कंपनी में नौकरी मिल गई।”
दीप के लिए जल्दी काम शुरू करना एक विकल्प और आवश्यकता दोनों था। उन्होंने बताया, "मैं अपने चाचा के साथ रह रहा था और उनसे पैसे मांगना पसंद नहीं करता था, इसलिए नौकरी करना शुरु किया।"
उस समय, वह पंजाब लौटना नहीं चाहते थे और इस तरह काम करना और खुद की देखभाल करना ही उनके पास एकमात्र विकल्प था।
"2.5 लाख की नौकरी खोना, किसी सदमे से कम नहीं था"
दीप कहते हैं कि उन्हें हमेशा लगता था कि उनके माता-पिता को उनकी ज्यादा परवाह नहीं है और जब उन्हें चाचा के पास रहने भेजा गया, तो उन्हें और ज्यादा बुरा लगा। वह कहते हैं, “खुद को स्थापित करने और अपनी नौकरी की सुरक्षा के लिए कड़ी मेहनत करने के बाद भी जब मैंने अपनी नौकरी खो दी, तब मेरी तनख्वाह करीब 2.5 लाख रुपये थी और उस फाइनेंशिअल सेक्युरिटी को खोना, मेरे लिए सदमे से कम नहीं था।"
दीप आगे बताते हैं कि नौकरी जाना निश्चित रूप से उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्हें जल्द ही यह एहसास हो गया कि वह अकेले नहीं हैं, जो इस कठिन समय से गुज़र रहे हैं। कई और लोग ऐसी ही कठिनाई का सामना कर रहे हैं। फिर उन्होंने पंजाब वापस जाने का फैसला किया।
उनकी योजना कुछ हफ्ते अपने गांव में रहने की थी, लेकिन वहां से उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया। दीप एक संयुक्त परिवार से हैं और धालीवाल में परिवार की करीब 100 एकड़ से ज्यादा कृषि ज़मीन है। बावजूद इसके वह कभी भी खेती के काम से नहीं जुड़ना चाहते थे। वह कहते हैं, "मैं इसके लिए नहीं बना हूं और इससे दूर रहने का फैसला किया है।"
फूड ट्रक शुरू करने पर लोगों ने उड़ाया मज़ाक
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दीप ने उस दौरान काफी ज्यादा यात्राएं कीं और उन्हें विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद लेने का मौका मिला। उन्होंने पाया कि कई जगहों पर बेहतर पिज़्ज़ा, बर्गर और फ्राइज़ नहीं मिल रहे थे और इस तरह उन्होंने इन व्यंजनों के साथ फ़ूड ट्रक शुरू करने का सोचा।
दीप बताते हैं, ''पिज्जा और बर्गर के नाम पर जो बिक रहा था, वह बहुत ही बेकार था। मैं इसे बदलना चाहता था।" खुद के 3 लाख रुपये और पत्नी के 1 लाख रुपये यानि कि कुल चार लाख रुपये के साथ दीप ने फूड ट्रक की शुरुआत की। वह कहते हैं, “दिल्ली / एनसीआर में फूड ट्रक कल्चर बहुत प्रचलित था। चाइनीज़ फूड से लेकर काठी रोल तक, वहां हर तरह के खाने का स्वाद लिया जा सकता था।”
हालांकि, दीप बताते हैं कि जब उन्हें धालीवाल में इसकी शुरुआत की, तो प्रतिक्रियाएँ बहुत अच्छी नहीं थी। वह कहते हैं कि “लोगों ने काफी मज़ाक उड़ाया। यहां तक कि मेरे सामने भविष्यवाणी की कि यह काम बुरी तरह विफल हो जाएगा।”
दीप बताते हैं, "जब मैंने शुरुआत की, तो मुझे बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनमें से सबसे बड़ी चुनौती लोगों की मानसिकता थी। वे मेरे फूड ट्रक को रेहड़ी (स्ट्रीट वेंडर) कहते थे और मुझे पिज्जा बर्गर वाला कहते थे। उन्होंने मुझे नीचा दिखाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए, लेकिन इस काम को करने का मेरा दृढ़ संकल्प बहुत मजबूत था।”
बचपन से ही होटल मैनेजमेंट करना चाहते थे दीप
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दीप कहते हैं कि शुरुआती कुछ महीने काफी ज्यादा संघर्षपूर्ण थे, क्योंकि उन्हें सबकुछ ग्राउंड जीरो से शुरू करना था। पिज्जा और बर्गर खाने में लोगों को खास मजा नहीं आया। दरअसल, यह एक भीड़ थी, जिसने हमेशा समोसा, पकौड़े और चाय का आनंद लिया। यहां वह उन्हें कुछ नए व्यंजन और स्वाद देने की कोशिश कर रहे थे। फिर दीप ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने और अपने व्यंजन आज़माने के लिए ऑफर रखा और अपने मेन्यू की कीमत 199 रुपये रखी।
वे कहते हैं, ''अभी तक किसी ने सबसे ज्यादा चार पिज्जा, बर्गर और फ्राई खाए हैं। इससे ज्यादा कोई नहीं खा सकता। वह भी एक पिता-पुत्र की जोड़ी थी, जो मुझसे मिलने आए थे।” एकमात्र पॉलिसी, जिसे दीप अपनाते हैं वह है 'नो वेस्टेज, नो टेकअवे लेफ्टओवर पॉलिसी'। यानी आपको जो खाना है वहीं खाना है, बचा हुआ खाना आप वापस घर नहीं ले जा सकते हैं।
परिवार के सदस्यों के लिए घर पर खाना बनाना और आजीविका के लिए खाना बनाना दो अलग-अलग चीजें हैं और दीप ने इसे बहुत पहले ही समझ लिया था। वह कहते हैं, “जब मैं स्कूल में था, तब मैं होटल मैनेजमेंट करना चाहता था और खाना पकाने का आनंद लेना चाहता था। लेकिन उस समय परिस्थितियों ने मुझे ऐसा करने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए खाना बनाना और इसके लिए मेरा जुनून पीछे रह गया।”
"रणवीर बरार मेरे गुरू और मैं उनका एकलव्य"
दीप ने जो कुछ भी सीखा है, उसका श्रेय वह अपने गुरु-शेफ रणवीर बरार को देते हैं। वह कहते हैं, "वह मेरे गुरु हैं और मैं उनका एकलव्य। मैं खाना पकाने के बारे में जो कुछ भी जानता हूं, उसका श्रेय उनके YouTube वीडियोज़ को जाता है। रेडीमेड पिज़्ज़ा बेस का उपयोग करने से लेकर, आटा लगाने का तरीका सीखने तक, यह सब उनके ट्यूटोरियल वीडियोज़ से सीखा है।”
हरविंदर सिंह, उन ग्राहकों में से एक हैं, जो सप्ताह में कम से कम एक बार फूड ट्रक पर जाते हैं। वह कहते हैं, “मैं काफी समय से फूड ट्रक पर जाता रहता हूं। वैसे तो उनके पिज्ज़ा और बर्गर का स्वाद बेहतरीन है, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा मज़ेदार गार्लिक ब्रेड लगता है। मैंने अभी तक ऐसा स्वाद कहीं नहीं चखा है। यहां तक कि उनके द्वारा चार्ज की जाने वाली राशि भी इतनी सस्ती है कि सप्ताह में दो बार खर्च करने पर भी जेब पर बोझ नहीं आता है।”
वह आगे कहते हैं, “इन सबसे बढ़कर, दीप पाजी (भाई) बहुत स्वागत करते हैं और हमेशा अच्छी बातें करते हैं। इससे मेरा दिन बन जाता है।"
कहां और कब लगता है यह फूड ट्रक?
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पिज्जा ट्रक की सफलता को देखकर दीप कहते हैं कि यहां चार अन्य फूड ट्रक भी शुरू हुए हैं। वह कहते हैं, "मुझे खुशी है कि मानसिकता बदल रही है। खाना बनाना और परोसना बहुत अच्छी बात है और मुझे समझ में नहीं आया कि इसे क्यों हेय दृष्टि से देखा जाता है। आज, दीप के धालीवाल जंक्शन को 'पिज्जा-बर्गर जंक्शन' के रूप में जाना जाता है।"
अब लोग न केवल पिज्जा और बर्गर खाने के लिए, बल्कि दीप से मिलने और फूड ट्रक व्यवसाय स्थापित करने का तरीका जानने के लिए भी आते हैं। वह कहते हैं, ''मैंने गोरखपुर से लोगों को सिर्फ कारोबारी तौर-तरीकों को समझने के लिए बुलाया है।''
मनप्रीत ने यह भी बताया कि उनकी बेटियां अपने पिता से इतनी प्रेरित हैं कि अक्सर वे बिज़नेस-बिज़नेस का खेल खेलती हैं। वह कहते हैं, "यह देखकर मुझे विश्वास होता है कि मैं सही काम कर रहा हूं।"
पनीर मखनी पिज्जा उनके यहां की सबसे सुपरहिट डिश है और बुधवार को एक के साथ एक मुफ्त ऑफर मिलता है और इस दिन आमतौर पर फूड ट्रक पर भीड़ रहती है। फूड ट्रक रोजाना सुबह 11 बजे से रात करीब 9 बजे तक चालू रहता है।
आप पिज्जा फैक्ट्री के लिए टोल प्लाजा, ग्रैंड ट्रंक रोड, ढिलवां, पंजाब - 144804 जा सकते हैं।
मूल लेखः विद्या राजा
संपादनः अर्चना दुबे
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