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पोती ने किया मोटिवेट, 78 की उम्र में दादी हुई अपने पैरों पर खड़ी, शुरू किया क्रोशिया बिज़नेस

Granddaughter motivated and Dadi started Croatia Business in old age

दादी, नानी, बीजी,आजी, अम्मा, पाटी, आप चाहे उन्हें जिस भाषा या जिस भी नाम से पुकारें, आपके लिए उनका प्यार और आशिर्वाद कभी कम नहीं होता। उनकी सुनाई गई कहानियां हों या फिर उनके हाथ का बना खाना हर जगह उनका प्यार झलकता है। 

26 साल की युक्ति बजाज और उनकी दादी शीला बजाज (78) का रिश्ता भी प्यार की ऐसी ही एक मजबूत डोर से बंधा है। जब युक्ति अकेली थीं तो दादी ने उन्हें संभाला था। लेकिन आज दादी को अकेलेपन से बचाने के लिए, युक्ति उन्हें उनके पुराने शौक़ की तरफ वापस लेकर आईं हैं। दादी क्रोशिए से बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े, स्वेटर, मग वार्मर जैसे तरह-तरह के प्रोडेक्ट तैयार करती हैं और युक्ति उन्हें इंस्टाग्राम पर डालकर लोगों तक पहुंचाती हैं।

युक्ति के लिए उनकी दादी हमेशा से एक सुरक्षा का अहसास रही हैं। उन्होंने काफी कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था।

वह द बेटर इंडिया को बताती हैं, “मेरी जिंदगी का वह ऐसा दौर था, जब मैं दादी से बिना कहानी सुने सो नहीं पाती थी। मम्मी (दादी) मुझे कहानी सुनाती थीं और विश्वास दिलाती थीं कि सब ठीक हो जाएगा। उस समय मेरे मन में जो असुरक्षा की भावना थी, उन्होंने ही उसे दूर किया था।”

जब उनके अकेलेपन को महसूस किया

Sheela Bajaj

युक्ति के लिए जीवन कभी आसान नहीं रहा। कुछ साल पहले, उन्होंने अपनी माँ को भी खो दिया था। युक्ति और दादी दोनों एक साथ रहते हैं। लेकिन आपस में उनके बीच जो विश्वास और प्यार की डोर है, वह उन्हें कभी किसी रिश्ते की कमी महसूस नहीं होने देती। युक्ति, नौकरी करती हैं और दादी ने घर संभाला हुआ है।

युक्ति ने बताया, “मैं दिल्ली की एक कंपनी के साथ भाषा विशेषज्ञ के तौर पर जुड़ी हुई हूं। पहले काम के सिलसिले में अक्सर मेरा बाहर आना-जाना लगा रहता था। लेकिन कोविड के बाद, मैं घर से ही काम कर रही हूं। घर पर दादी के साथ रहकर, मैंने जाना कि वह अकेले कितना बोर हो जाती हैं। कई बार उनके पास करने के लिए कुछ नहीं होता था। तब मेरे मन में विचार आया कि क्यों न मैं उन्हें उनके बचपन के शौक़ की तरफ वापस लेकर जाऊं और मैंने एक कोशिश की, जो कामयाब रही।”

दादी के लिए बनाया ‘कॉट क्राफ्ट हैंडेड’

शीला दादी, काफी लंबे समय से बुनाई और क्रोशिया का काम करती रही हैं। वह परिवार के बच्चों के लिए अक्सर कपड़े और स्वेटर बनाया करती थीं। युक्ति ने बताया, “एक मायने में घर से काम करना, हम दोनों के लिए एक वरदान साबित हुआ। बहुत लंबे समय बाद, कुछ करने के लिए मैं, उनका हौसला बढ़ा रही थी। मैंने उनके लिए इंस्टाग्राम पेज भी बनाया। इस पेज पर वह अपने हाथों से बने सामान, लोगों के सामने रखती हैं। जिसे जो अच्छा लगता है, वह उसका आर्डर देता है।”

दादी के क्रोशिए से बने सामान को बेचने के लिए ‘कॉट क्राफ्ट हैंडेड’ पेज को नवंबर 2020 में शुरू किया गया था। वह बताती हैं कि शुरुआत में रेस्पोंस कोई खास नहीं था। लेकिन हमने फैसला किया कि हम निराश नहीं होंगे और अपने काम को बिना रुके आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहेंगे।

दादी में बदलाव देख, अच्छा लगता है

A hand knitted stole

शुरुआत में तो शीला, वही सब कुछ बना रही थीं, जो उन्हें अच्छे से बनाना आता था, जैसे- तकिया, कुशन कवर आदि। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इंटरनेट पर देखकर बहुत कुछ बनाना सीख लिया। आज वह बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े. स्वेटर, बोतलों के कवर, मग वॉर्मर, स्कार्फ, हेडबैंड और यहां तक कि पैर और टखने को गर्म करने के लिए कैप भी बनाती हैं। कोई भी अपने बजट और पसंद के हिसाब से कुछ भी तैयार करवा सकता है।

युक्ति बताती हैं, “इस काम को शुरु करने के बाद से, मेरी दादी का नजरिया बदल गया है। आज वह काफी पॉज़िटिव हो गई हैं और खुश नज़र आती हैं। यह मेरे लिए सबसे अच्छी बात है। इससे पहले दादी घर में घूमती रहती थीं। कोशिश करती थीं कि उन्हें कोई काम नज़र आ जाए और उनका टाइम पास हो जाए। लेकिन आज वही दादी समय से अपना सारा काम खत्म कर देती हैं, ताकि वह ‘अपना काम’ कर सकें। उनकी दिनचर्या में यह बदलाव अच्छा लगता है।”

अब साथ बिताते हैं ज्यादा समय

आज युक्ति और दादी एक दूसरे के साथ काफी समय बिताती हैं। युक्ति कहती हैं, “अपना काम करने के बाद मैं उनके साथ बैठती हूं। उन्हें कुछ इमेज दिखाती हूं और बताती हूं कि लोगों को क्या कुछ नया चाहिए। मैं उनसे क्रोशिया चलाना भी सीखती हूं और खाना बनाने में उनकी मदद भी करती हूं।”

इन उत्पादों को बनाने में कितना समय लगता है? इसके बारे में शीला का कहना है, “नवजात शिशु से लेकर तीन साल तक के बच्चे की एक ड्रेस बनाने में मुझे लगभग तीन दिन लग जाते हैं। इसकी कीमत 1600 रुपये है। वैसे हर प्रोडेक्ट की कीमत अलग-अलग है। आप क्या बनवाना चाहते हैं और उसमें कितना काम करना पड़ेगा, उसी आधार पर कीमत तय की जाती है।”

एक बुकमार्क की कीमत सौ रुपये है, वहीं स्कार्फ आपको 850 रुपये में मिलेगा और पोटली का दाम 600 रुपये से ऊपर है।

प्यार भी और गिफ्ट भी

Head to their instagram and place your order

अपने हर ऑर्डर के साथ शीला हाथ से लिखा एक प्यारा सा नोट और एक छोटा सा गिफ्ट जैसे बुकमार्क, स्क्रंची या हेडबेंड भी साथ देती हैं। युक्ति बताती हैं, “दरअसल हमारा इरादा कस्टमर के चेहरे पर खुशी लाने का है और उन्हें खुश देखकर हम भी खुश हो जाते हैं।”

युक्ति ने बताया “अधिकांश उत्पाद ऑर्डर के आधार पर तैयार किए जाते हैं। आप अपने प्रोडक्ट के लिए मनचाहा रंग या मनचाहा लुक कुछ भी चुन सकते हैं। पहले महीने में आठ से दस ऑर्डर आते थे। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर तकरीबन 20 हो गई है। दादी सारे ऑर्डर खुद तैयार करती हैं, इसलिए जिस तरह से लोगों को यह उत्पाद पसंद आ रहे हैं उसे देखते हुए हम काफी खुश हैं।”

आखिर में युक्ति कहती हैं, “अपने दम पर कुछ करने और पैसे कमाने की चमक दादी की आंखों में साफ दिखाई देती है। आज वह काफी कॉन्फिडेंट दिखती हैं और खुद को आर्थिक तौर पर ज्यादा सेक्योर भी महसूस करती हैं। पैसे भले ही बहुत ज्यादा ना हों, लेकिन खुद कुछ करके उसे पाने की खुशी अलग ही होती है और मैं उनकी इन खुशियों का जरिया बन पाई, इससे बेहतर भला और क्या हो सकता है?”

क्रोशिए से बने उनके उत्पादों को देखने और ऑर्डर करने के लिए यहां क्लिक करें।

यहां देखें वीडियो

मूल लेखः विद्या राजा

संपादनः अर्चना दुबे

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