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रिटायरमेंट के बाद बच्चों पर न रहना पड़े निर्भर, 72 की उम्र में शुरू की ड्रैगन फ्रूट नर्सरी

Dragon fruit Nursery by 72 YO Joseph

छह साल पहले, केरल के कोट्टायम में चंगनास्सेरी के रहनेवाले जोसेफ कराकाडु अपने बेटे के परिवार से मिलने अमेरिका गए थे। तभी उन्होंने पहली बार वहां मीठे ड्रैगन फ्रूट का स्वाद चखा। उस समय ड्रैगन फ्रूट की कीमत सात डॉलर थी। उन्होंने फल पर लगा एक छोटा सा स्टिकर देखा, जिसपर लिखा था कि फल, इक्वाडोर की एक कंपनी से इंपोर्ट किया गया है।

वह स्टिकर देखकर जोसेफ की उत्सुकता बढ़ी, उन्होंने इंटरनेट पर यह नाम खोजा और फल के बारे में भी पढ़ा। उन्हें यह जानकर काफी खुशी हुई कि इस फल को उगाते समय बहुत कम देखभाल की ज़रूरत होती है और कुछ ही सालों में अच्छे परिणाम भी मिलने लगते हैं।

जोसेफ ने उस स्टिकर पर लिखे इक्वाडोर की उस कंपनी से संपर्क भी किया और कंपनी उन्हें कुछ स्टेम भेजने के लिए तैयार हो गई। उन्होंने अपने परिवार की मदद से अमेरिका से कुछ अन्य किस्में भी मंगवाईं। जोसेफ न केवल ड्रैगन फ्रूट स्टेम के साथ अपने देश वापस लौटे, बल्कि उन्होंने तय किया कि वह इन फलों के लिए विशेष रूप से एक नर्सरी भी बनाएंगे।

आज साल 2022 में, जोसेफ, ‘कराकाडु ऑर्चर्ड्स’ के मालिक हैं, जो ताइवान, ब्राजील, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, इक्वाडोर और अमेरिका सहित कई देशों से इकट्ठे किए गए ड्रैगन फलों की 88 किस्में बेचते हैं।

दो बार शुरू किया बिज़नेस, लेकिन हुए फेल

Raw dragon fruits in the nursery.

पेशे से इंडस्ट्रियल टेक्निशियन रहे जोसेफ को पहले से खेती का कोई अनुभव नहीं था। उन्होंने बताया, “मैं कई सालों तक हैदराबाद में मशीन टूल्स इंडस्ट्री चलाता था, लेकिन फिर एक समय ऐसा आया, जब मैं बस अपने घर, केरल वापस आना चाहता था, इसलिए मैंने यहां भी इंडस्ट्री लगाई। लेकिन इस बार पहले जैसी सफलता नहीं मिली। 

इसके बाद, मैंने इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री में भी किस्मत आजमाई, लेकिन वहां भी बात नहीं बनी। वैसे भी, मैं कभी भी रिटायर होने और अपने बच्चों के पैसों पर जीने के लिए तैयार नहीं था और इसी का नतीजा है कि मैं यहां तक पहुंचा हूं।”

जोसेफ के तीनों बच्चे विदेश में रहते हैं। अपने बच्चों की मदद से ही 72 वर्षीय जोसेफ ने ड्रैगन फ्रूट की नर्सरी शुरू की, जो उनके घर के पास 65 सेंट (0.65 एकड़) ज़मीन पर है। जोसेफ के ज्यादातर ड्रैगन फ्रूट स्टेम कोरियर, पहले अमेरिका पहुंचते हैं और फिर भारत लाए जाते हैं। क्योंकि यह एक रेगिस्तानी पौधा है और इसमें बहुत कम पानी की ज़रूरत होती है, इसलिए इसकी स्टेम्स यात्रा के दौरान जीवित रहती हैं।

जोसेफ बताते हैं, “मैं यह जानकर हैरान था कि ड्रैगन फ्रूट कहीं भी आसानी से उगाया जा सकता है, चाहे जलवायु या मिट्टी का प्रकार कुछ भी हो। हां, यह एक विदेशी फल है, लेकिन आपको विश्वास नहीं होगा कि यह सबकुछ, हर तरह का मौसम सहन कर सकता है। अगर आप एक स्टेम खेत में छोड़ देते हैं, तो भी उसमें से जड़ें उग जाएंगी और कुछ ही दिनों में पौधा अपनी पकड़ आसानी से बना लेगा।”

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Different varieties of dragon fruit

खुद विकसित की कुछ ड्रैगन फ्रूट की नई किस्में

जोसेफ का दावा है कि उन्होंने खुद से ड्रैगन फ्रूट की कुछ किस्में भी विकसित की हैं। 10 में से दो किस्में तो नर्सरी में सफलतापूर्वक विकसित भी हो गई हैं। इनका नाम ‘लाल मिर्च’ और ‘वंडर बॉय’ रखा गया है। वह कहते हैं, “एक नए प्रकार के फल को विकसित करने और इसे स्वीकृति मिलने में कम से कम पांच साल लगते हैं।”

जोसेफ के प्रमुख ग्राहक देश भर के किसान हैं। उन्हें गुजरात और महाराष्ट्र से थोक ऑर्डर मिलते हैं और वह ऑर्डर के आधार पर नए प्लांट तैयार करते है। वह बताते हैं, “चूंकि यह पौधा तेज़ी से बढ़ता है और चौड़ा होता है, इसलिए मैं उनमें से कई को तब तक नहीं लगाता, जब तक कि कोई बड़ा ऑर्डर न हो। यह बहुत अधिक जगह लेता है।”

पौधे बनाने के लिए चौड़े बर्तनों या गमले में 12-16 इंच की कटिंग लगाई जाती है। कमर्शिअल आधार पर प्रत्येक स्टेम को रोपने से पहले जोसेफ उसके फल के स्वाद की जाँच करते हैं। यह स्टेप काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि फलों की सैकड़ों किस्में होती हैं, जिनमें से कई इतनी स्वादिष्ट नहीं होतीं।

क्या है इसकी कीमत?

ड्रैगन फ्रूट के एक तने की कीमत फल के स्वाद और विविधता पर आधारित होती है। यह कीमत 100 रुपये से 1,200 रुपये तक होती है। जो लोग कूरियर के ज़रिए इसे मंगवाते हैं, उनके लिए अतिरिक्त फीस भी जोड़ी जाती है।

रेड जैना, कंट्री रोड्स, शुगर ड्रैगन, फ्रेंकीज़ रेड और कोलम्बियन येलो, अरमांडो, अमेरिकन ब्यूटी, डिलाइट, इज़राइल येलो, आइसिस गोल्ड, पलोरा, नेचुरल मिस्टिक, लेमन ऑरेंज, वीनस, ऑरेजोना और वाल्डिविया रोजा कुछ प्रकार के ड्रैगन फ्रूट्स हैं, जो जोसेफ बेचते हैं। हर फल का वज़न 250 ग्राम से 400 ग्राम के बीच होता है।

हर महीने विभिन्न प्रकार के फलों के कम से कम 6,000 तने बेचे जाते हैं। वह कहते हैं, “मैं इसे कमर्शिअल इस्तेमाल के लिए उगाता हूं, इसलिए इसमें खाद और पानी दिया जाता है। लेकिन सच तो यह है कि इस पौधे को इनमें से किसी की भी ज़रूरत नहीं होती है। आप उन्हें एक-दो साल में ऐसे ही उगा सकते हैं। ”

फिलहाल जोसेफ फलों की नई किस्में विकसित करने और उन्हें मंजूरी दिलाने में व्यस्त हैं। उन्होंने बाजार में फल बेचने की भी योजना बनाई है।

जोसेफ से +91 94472 94236 पर संपर्क किया जा सकता।

मूल लेखः अनाघा आर मनोज

संपादनः अर्चना दुबे

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