घर की छत पर केले का पेड़! सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लगता है, लेकिन विद्यारण्यपुरा के अश्विनी गजेन्द्रन ने सिर्फ केला ही नहीं, बल्कि सेब, पपीता और बेर जैसे कई पेड़ अपने घर की छत पर उगा रखे हैं। उन्होंने इसके लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। बस अपने अनुभवों से सीखती रहीं और आगे बढ़ती रहीं।
अश्विनी कहती हैं, “अनुभव से सीखना कई मायनों में खास है। आप सवाल उठाते हैं, समाधान ढूंढते हैं और कुछ ऐसे सबक सीखते हैं, जिन्हें आप जिंदगी भर नहीं भूलते।” जीवन के इस फलसफे को अश्विनी ने छत पर बागवानी करते हुए जाना।
मैसूर के पास स्थित एक शहर में रहने वाली यह गार्डनर, अपने परिवार को रोजाना घर में उगी ताज़ी सब्जियां और फल खिलाती हैं। उनके लिए बागवानी सीखने का सफर बेहद खास रहा। इस सफर ने ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाया और सिखाया कि सामने आने वाली चुनौतियों से कैसे लड़ा जाए। आज इसी के बल-बूते वह अपने परिवार को कुछ बेहतर खिला पा रही हैं।
मजबूरी में शुरू की थी बागवानी
शहरी लोगों के बागवानी के शौक़ के पीछे अनगिनत कारण होते हैं, लेकिन अश्विनी को बागवानी की तरफ मुड़ने की वजह उनकी जरूरतें थीं। उनके बागवानी का यह सफर साल 2017 में शुरू हुआ, जब वह बेंगलुरु के मल्लेश्वरम से विद्यारण्यपुरा आईं। उनका परिवार अब ऐसी जगह पर रह रहा था, जहां किराने की जो दुकान घर के सबसे पास थी, उसकी दूरी भी लगभग दो किलोमीटर थी।
अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए उन्होंने बागवानी की तरफ रुख किया। उन्होंने शुरुआत कुछ टमाटर, धनिया और करी पत्तों के पौधों के साथ की थी। लेकिन आज उनका टैरेस गार्डन एक हजार वर्ग फुट में फैला है। जिसमें कई तरह के फल, सब्जियां और मेडिसिनल प्लांट लगे हैं। अब उनके परिवार को सब्जी या फल लाने के लिए मार्केट तक की दौड़ नहीं लगानी पड़ती।
द बेटर इंडिया ने उनसे बातचीत की और घर पर ही फलदार पेड़ लगाने के कुछ टिप्स जाने-
1. स्ट्रॉबेरी

अश्विनी गमलों में स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए जैविक खाद के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर देती हैं। उनका सीधा सा मंत्र है, “ज्यादा खाद और कम मिट्टी।” वह सुझाव देते हुए कहती हैं, “हो सके तो सकर (पौधे की महीन जड़) से पौधे लगाएं। ये सकर प्लांट, आपको बागवानी के शौकीन अपने किसी दोस्त या परिवार के घर में लगे गमलों में आसानी से मिल जाएंगे।” उनके हिसाब से नर्सरी से लिए गए पौधों की तुलना में, यह बेहतर काम करते हैं।
2. बेर

इन्हें हम चीनी खजूर भी कहते हैं। इस फल से सूखी कैंडी बनाई जाती है। इस पौधे की कलम आसानी से मार्केट में मिल जाएगी। घर में उगाने के लिए यह एक बेहतर विकल्प है। अश्विनी कहती हैं, “मैंने अपने बेर का पेड़ छोटी सी बाल्टी में उगाया हुआ है। जब ज्यादा फल चाहिए होते हैं, तो इन्हें मैं एक बड़े से कंटेनर में ट्रांसफर कर देती हूं।” वह आगे बताती हैं, “अब मैं समझ चुकी हूं कि ज्यादा उपज के लिए बस आपको जगह के साथ खेलना होता है। ज्यादा जगह, यानी ज्यादा उपज।”
3. खीरा

अश्विनी के घर की छत पर लगी खीरे की बेल, खूब हर-भरी होने के बाद भी लंबे समय से फल नहीं दे रही थी। वह कहती हैं, “आखिरकार, मैं इसकी खोज में लग गई कि ऐसा क्यों है? लोगों से इस बारे में बात भी की। तब मुझे पता चला कि खीरे के पौधे को पॉलीनेशन (परागण) की जरूरत होती है। मादा फूल तब परागित होते हैं, जब मधुमक्खियां या अन्य इन्सेक्ट नर फूल से मादा तक पराग ले जाते हैं। फिर मैंने इस पर काम करना शुरू कर दिया। खीरे के चारो ओर काफी सारे पौधे लगाए ताकि मेरी छत पर मधुमक्खियां पनप सकें।”
4. अंगूर

अश्विनी के अनुसार, अंगूर की बेल को नियमित रुप से कटाई-छंटाई की जरूरत होती है। वह कहती हैं, “हर बार फल आने के बाद बेल की कटिंग जरुरी है। आप जितनी बार इसे काटते हैं, उतनी तेजी से ये फलती-फूलती हैं।”
5. ड्रेगन फ्रूट

बाजार में एक ड्रैगन फ्रूट की कीमत भले ही 80 से 150 रुपये के बीच हो, लेकिन इसे गमलों में उगाना कोई मुश्किल काम नहीं है। अश्विनी सुझाव देती हैं, “इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस थोड़ी सी जगह चाहिए। आप पौधे लगाने के बाद, उनका ज्यादा ध्यान नहीं रख पाते हैं, तो घबराएं नहीं। तब भी रिजल्ट उतना ही अच्छा रहेगा, ये पौधे अच्छी उपज देते हैं। यह कैक्टस फैमिली का पौधा है, तो इसमें कांटे होना लाजमी है। बेहतर होगा कि इसे आप अपनी छत के किसी कोने में लगाएं।”
6. केला

क्या केले के पौधे को टैरेस गार्डन में लगाया जा सकता है? अश्विनी कहती हैं, यह बिल्कुल संभव है, लेकिन इसके लिए आपको बड़े ग्रो बैग या कंटेनर चाहिए होंगे। वह बताती हैं, “इस पौधे को लगाए हुए डेढ़ साल हो गए हैं, अब जाकर इस पर केले लगने लगे हैं। केले का पौधा रिजेनरेट होता है, इसलिए इसे ऊपर से काटा जाता है। आप इसकी पत्तियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।”
7. शहतूत

‘धूप और प्रॉपर ट्रीमिंग’, शहतूत के पेड़ के लिए बस यही मायने रखता है। यह एक सूखे क्षेत्र में पनपने वाला पौधा है, जिसके साथ ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। अश्विनी के अनुसार, शहतूत पेड़ से तोड़ने के बाद ज्यादा समय तक ताजा नहीं रहता है। इसलिए, वह इसे अपना गार्डनिंग स्नैक मानती हैं। यह ‘पेड़ से तोड़ने से लेकर चम्मच से खाने तक’ ही ताजा रहता है।
8. सेब

सेब के लिए भी अन्य पौधों की तरह सूरज की रोशनी की जरूरत होती है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि पौधे को कितनी और किस तरह की धूप मिलती है। अश्विनी कहती हैं, “सेब के पौधे छाया में अच्छे से पनपते हैं। उन्हें अपने गार्डन में उस जगह पर रखें, जहां उन पर सीधी धूप न पड़ सके।” मतलब साफ है सेब के पौधे को दोपहर की धूप से बचाकर रखना है।
9. पपीता

अगर आपके पपीते का पौधा फल नहीं दे रहा, तो उसमें कट लगा दें और फिर देखें कितनी तेजी से फल आते हैं। अश्विनी ऐसा करने की वजह बताती हैं, “जब हम पौधे में कट लगा देते हैं, तो पौधे सोचते हैं कि वह मरने जा रहे हैं। बस वो फल देना शुरु कर देते हैं और अगली पीढ़ी के लिए बीज छोड़ देते हैं। मैंने हाल ही में गमले में लगे अपने पपीते के पेड़ में मिट्टी के ठीक थोड़ा ऊपर, चाकू से चीरा लगाया था। पहली बार इसमें तीन बड़े पपीते लगे हैं।”
10. संतरा, मौसमी व अन्य सिट्रस फ्रूट

अश्विनी के अनुसार खट्टे फल यानी सिट्रस फ्रूट वाले पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। यह सूखे में पनपने वाले पौधे हैं। इसका मतलब है कि इन्हें जरुरत से ज्यादा या रोजाना पानी देने की जरूरत नहीं है। इनकी पत्तियां पानी को स्टोर करके रखती हैं। यह घर के बगीचे के लिए आइडियल प्लांट है।
टिप्स: बागवानी का शौक़ रखने वालों को अश्विनी सुझाव देती हैं कि पौधों का चयन करते समय सावधानी बरतें। हो सके तो लोकल पौधे लगाएं। यह मौसम के अनुकूल होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं। आकर्षक दिखने वाले विदेशी पौधों से बचें, क्योंकि वातावरण में ढलने में इन्हें थोड़ा समय लग सकता है।
मूल लेखः रिया गुप्ता
संपादनः अर्चना दुबे
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