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केला, अमरुद, नींबू जैसे फलों के अचार व जैम बना लाखों में कमा रही है यह 64 वर्षीया महिला

यदि मजबूत इच्छाशक्ति से किसी भी काम की शुरुआत की जाए, तो कुछ भी असभंव नहीं है। आज हम आपको केरल की जिस महिला उद्यमी की कहानी सुनाने जा रहे हैं, उन्होंने 10 साल पहले घर से ही केले का जैम (Banana Jam) बनाने की शुरुआत की थी और आज वह हर महीने, एक लाख रुपये आसानी से कमा लेती हैं। 

यह प्रेरक कहानी, केरल के इडुक्की जिला स्थित मुण्डकयम (Mundakayam) में रहने वाली 64 वर्षीया शीला चाको की है। जो पिछले दस सालों से अपना अचार और जैम का बिजनेस चला रही हैं। इतने सालों तक उनका व्यवसाय ऑफलाइन चल रहा था लेकिन, लगभग दो महीने पहले उन्होंने ऑनलाइन बाजार में भी दस्तक दे दी है।

शीला कहती हैं कि लॉकडाउन के चलते दूसरे व्यवसायों की तरह, उनके व्यवसाय पर भी असर पड़ा और उनके ऑनलाइन आने की वजह भी यही रही। लेकिन, उन्हें ऑनलाइन भी ग्राहकों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। अब उनके अचार और जैम सिर्फ केरल के कुछ स्टोर्स तक नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग कोनों तक पहुँच रहे हैं। 

शीला ने अपने इस पूरे सफर के बारे में द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे हमेशा से खाना पकाने और खिलाने का शौक था। बहुत-सी पारंपरिक रेसिपी मैंने अपनी माँ, दादी और फिर सास से सीखीं। हालांकि, मुझे हमेशा लगता था कि मैं बेकिंग में ज्यादा अच्छी हूँ। मैंने अचार और जैम ज्यादा नहीं बनाए थे। कोई भी नहीं कह सकता था कि एक दिन मैं अचार और जैम का व्यवसाय करुँगी।” 

Kerala Woman Entrepreneur, Sheila Chacko

शीला बतातीं हैं कि केरल के लगभग सभी घरों में आपको केले, नारियल आदि फल मिल जाएंगे। उनके घर के चारों तरफ, उनकी लगभग दो एकड़ जमीन है, जहाँ केले के बहुत सारे पेड़ हैं। इसके अलावा, उनके पति भी पिछले कई सालों से खेती कर रहे हैं। शीला अक्सर देखती थीं कि उनकी सभी उपज बाजार तक नहीं पहुँच पाती है और ऐसे में, बहुत से फल-सब्जियों की बर्बादी होती थी। खासकर केलों की। क्योंकि, इन्हें आप ज्यादा समय के लिए रख नहीं सकते। शीला ने व्यवसाय की शुरुआत भी केले के जैम (banana jam) बनाने से की। 

शीला कहती हैं, “केले का जैम (banana jam) आपको ज्यादातर केरल में ही मिलेगा। अब तो यहाँ भी इसका चलन कम हो गया है, क्योंकि लोग इसे घर में नहीं बनाते हैं। इसे बनाने की प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल और समय लेने वाली है। दूसरा, केले को लकड़ी की आंच पर पकाना पड़ता है, जो शहरों में मुमकिन नहीं हो पाता है।”

इसलिए, शीला ने केले के जैम (banana jam) से शुरुआत की।

पहली कमाई से मिला आगे बढ़ने का हौसला

शीला कहती हैं कि उनके घर में लगे पेड़ों से केले की जो भी उपज मिली, उनसे उन्होंने घर पर ही जैम बनाया और कांच की छोटी-छोटी बोतलों में पैक करके, उस पर अपना लेबल चिपका दिया। इन बोतलों को लेकर वह स्थानीय बेकरी पहुँची और उनसे पूछा कि क्या वे उनका जैम बिक्री के लिए रख सकते हैं?
वह कहतीं हैं, “उस समय लोग बहुत मददगार थे। उन्होंने तुरंत हाँ कर दी और फिर कुछ दिन बाद, जब मैं वापस गयी तो उन्होंने जैम के पैसे दे दिए क्योंकि, सभी बोतलें बिक गयी थीं। वह कमाई ज्यादा नहीं थी लेकिन, उससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिला।”

Making Jam from Homegrown Bananas

इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपनी रसोई से ही, वह अपना काम करने लगी। और, आज शीला हर महीने करीब 500 किलो जैम बनाती हैं।

सिर्फ केले तक ही नहीं रहीं सीमित

केले के जैम (banana jam) के बाद उन्होंने पपीते का जैम भी बनाना शुरू किया। हालाँकि, इसमें लगने वाली मेहनत और भी ज्यादा थी। इसलिए, वह इसे लंबे समय तक जारी नहीं रख सकीं। आज वह केले के साथ-साथ अमरुद का जैम भी बना रही हैं। जैम के साथ उन्होंने अचार के बिजनेस में भी हाथ आजमाया। उनके बनाये अचारों में आम, बैंगन, लहसुन, नींबू, आंवला आदि शामिल हैं।  

उन्होंने आगे बताया, “कुछ वक्त तक, मैंने अकेले काम किया और मेरे पति इसमें मेरी मदद करते थे। लेकिन दो-तीन स्टोर के बाद, हमारे व्यंजन और भी कई बड़े स्टोर पर जाने लगे तो मैंने कुछ महिलाओं को अपने साथ काम पर रख लिया। काम बढ़ने से, रसोई में जगह कम होने लगी। इसके बाद, हमने अपने घर के ही बाहर अपनी एक यूनिट बना ली। अब सभी काम वहीं पर होते हैं। आज मैं हर महीने औसतन एक लाख रुपये कमा लेती हूँ।”

कुछ फल और सब्जियां उनके अपने घर के बगीचे में उगते हैं, तो अन्य वह स्थानीय किसानों से खरीदती हैं। अब, शीला के साथ चार महिलाएं भी काम करती हैं। उन्होंने अपने बिजनेस के लिए FSSAI सर्टीफिकेट और जीएसटी नंबर भी लिया हुआ है। 

Her helpers

लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन बाजार 

लगभग नौ-दस सालों तक ऑफलाइन काम करने वाली शीला को लॉकडाउन के बाद, ऑनलाइन काम शुरू करने की जरूरत महसूस हुई। लॉकडाउन के दौरान, सभी दुकानें बंद थीं। सभी छोटे-बड़े व्यवसायियों के लिए यह मुश्किल समय था। उस दौरान, शीला को भी लगा कि उनके पास ग्राहकों तक पहुँचने का सीधा विकल्प भी होना चाहिए। 

इसलिए, लगभग दो महीने पहले उन्होंने एक वेबसाइट लॉन्च की। वेबसाइट को उनके बेटे ने तैयार किया है। शीला कहतीं हैं, “हमने कभी भी अपने व्यवसाय को कहीं पर भी प्रमोट नहीं किया। यह हमारे व्यंजनों की गुणवत्ता और स्वाद है, जिस वजह से लोग हमसे जुड़े हुए हैं। पहले हमें ग्राहकों से सीधा फीडबैक नहीं मिल पाता था लेकिन, अब हम ग्राहकों से सीधा जुड़ रहे हैं।”

वेबसाइट के जरिये उनके ग्राहक लगातार बढ़ रहे हैं। उनके कई ग्राहक ऐसे भी हैं, जो तीन-चार बार उनसे आर्डर ले चुके हैं। मुंबई से उनकी एक ग्राहक दीपिका कामत कहतीं हैं कि उनके सभी व्यंजन बहुत अच्छे और स्वादिष्ट हैं। उन्होंने बहुत वक्त बाद, घर जैसे अचार खाये हैं। उनके बच्चों को भी ये अचार बहुत पसंद आये। 

वह अभी भी, कुछ स्टोर पर अपने अचार और जैम दे रही हैं। साथ ही, ऑनलाइन बिजनेस होने से उनके ग्राहकों की संख्या और कमाई भी बढ़ी है। शीला कहतीं हैं, “उनके लिए व्यंजनों की गुणवत्ता और स्वाद बहुत मायने रखता है। यही वो चीजें हैं, जो आपके ग्राहकों को सालों साल आपसे जोड़े रखती हैं। इसके अलावा, मैं हर एक महिला या गृहिणी से बस यही कहूँगी कि अगर आप में कोई हुनर है, तो इसे अपना व्यवसाय बनाने की एक कोशिश जरूर करें।”

अगर आप शीला चाको से संपर्क करना चाहते हैं या अचार और जैम आर्डर करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें। 

संपादन- जी एन झा

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