आज ही ट्विटर पर अभिनेता विकी कौशल ने अपनी एक तस्वीर साझा की है, जिसमें वे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के किरदार में नजर आ रहे हैं। उनकी तस्वीर और पोस्ट से पता चला कि जल्द ही भारतीय सेना के सबसे महान फील्ड मार्शल मानेकशॉ के जीवन पर मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित फिल्म दर्शकों को देखने के लिए मिलेगी।
The swashbuckling general & the first Field Marshal of India- SAM MANEKSHAW. I feel honoured & proud of getting a chance to unfold his journey on-screen. Remembering him on his death anniversary & embracing the new beginnings with @meghnagulzar and @RonnieScrewvala.@RSVPMovies pic.twitter.com/ozyUO69wKV
— Vicky Kaushal (@vickykaushal09) June 27, 2019
बहरहाल, फिल्म हो या न हो, फील्ड मार्शल मानेकशॉ को कौन नहीं जानता। आज भी भारतीय सैनिकों के लिए वे एक प्रेरणा है और उनके किस्से हर एक आर्मी रेजिमेंट में मशहूर हैं। अपनी हाज़िर जवाबी, खुश-मिजाज़ी और दृढ़ता के लिए जाने जाने वाले मानेकशॉ सेना के मान-सम्मान के लिए किसी से भी अड़ सकते थे। अपने सैनिकों के हित के लिए वे किसी के भी सामने खड़े हो जाते।
बताया जाता है कि एक बार उन्होंने पे-कमीशन के अफ़सरों के साथ मीटिंग बुलाई क्योंकि उस समय पे-कमीशन ने सैनिकों की वर्दी के लिए मिलने वाले फण्ड में कटौती करने का फ़ैसला किया था। मानेकशॉ ने उन्हें मीटिंग में कहा, “महोदय, अब आप मुझे बताएं, कि अगर मैं धोती और कुर्ता पहनकर आदेश दूँ तो क्या कोई मेरे आदेश मानेगा।” और इस बात के बाद सारा मुद्दा ही हल हो गया।
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मानेकशॉ के ऐसे कई किस्से मशहूर हैं, जिनसे हमें पता चलता है कि अपने सैनिकों और अपने सेना के लिए काम करने वाले लोगों का वे बहुत सम्मान करते थे। गोरखा रेजिमेंट के प्रति उनके प्रेम और आदर का पता उनकी कही सिर्फ़ एक बात से ही झलक जाता है। उन्होंने कहा था,
“अगर कोई सैनिक ये कहे कि वह मरने से नहीं डरता, तो फिर या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर वह गोरखा है।”
उन्हें ‘सैम बहादुर’ नाम भी गोरखा रेजिमेंट से ही मिला। एक बार उन्होंने हरका बहादुर गुरुंग नाम के एक गोरखा सिपाही से पूछा, “मेरा नाम के हो?” (मेरा नाम क्या है)
उस गोरखा सिपाही ने बिना पलक झपकाए जवाब दिया, “सैम बहादुर, साब!” और तब से यह नाम प्रसिद्ध हो गया।
सैम बहादुर का व्यक्तित्व बहुत ही सरल और सहज था। उनकी इस सरलता के बारे में भी एक अनसुना किस्सा मशहूर है।
भारतीय सेना में एक प्रसिद्द जासूस था, रणछोड़ पागी, जो समय-समय पर सेना तक दुश्मनों की महत्वपूर्ण गतिविधियों के बारे में जानकारियाँ पहुंचाता था। उससे मिलने वाली सुचना के चलते भारतीय सेना ने कई मौकों पर फ़तेह हासिल की थी।
साल 1971 के युद्ध के बाद सैम मानेकशॉ ने पागी को मिलने के लिए बुलाया।
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फील्ड मार्शल ने गुजरात से पागी को लाने के लिए एक हेलीकॉप्टर भेजा, उनके काम की सराहना की, और उन्हें 300 रुपये का इनाम भी दिया। इसके बाद यह कड़क मिजाज़ आर्मी जनरल उनके साथ दोपहर का भोजन करने के लिए बैठ गए।
पागी ने बाद में आउटलुक को बताया,
“जनरल बहुत अचम्भित हुए, जब भोजन के दौरान मैंने अपने थैले से बाजरो नो रोटलो (बाजरे की रोटी) और एक प्याज़ निकाली। पर मुझे भी आश्चर्य हुआ जब उन्होंने ख़ुशी-खशी मेरे साथ यह खाया।”
उम्मीद है कि उन पर बन रही बायोपिक में हमें उनके जीवन की इन छोटी पर महत्वपूर्ण घटनाओं की भी झलक मिलेगी।