गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन: कारगिल युद्ध में जाने वाली पहली महिला पायलट्स

कारगिल युद्ध में बहादुरी से अपना मिशन पूरा करने के लिए गुंजन सक्सेना को शौर्य चक्र से नवाज़ा गया और वह पहली महिला पायलट हैं जिन्हें यह सम्मान मिला!

साल 1999, कारगिल युद्ध में भारत-पाकिस्तान की सेना आमने-सामने थी। दोनों तरफ से लगातार गोलीबारी हो रही थी। बहुत से भारतीय सैनिक घायल होने के बावजूद लड़ रहे थे। भारतीय वायुसेना लगातार सैनिकों तक मदद पहुंचा रही थी और पाकिस्तान की सेना का सामना भी कर रही थी।

एक वक़्त आया, जब भारतीय वायु सेना को कारगिल की बटालिक और द्रास घाटियों में फंसे अपने घायल जवानों को सुरक्षित लाने के लिए और पायलट की ज़रूरत थी। उनके ज़्यादातर पुरुष पायलट पहले ही ड्यूटी पर थे। ऐसे में, वायुसेना ने अपनी महिला पायलटों को मदद के लिए भेजा। यह पहली बार था, जब युद्ध क्षेत्र में महिला पायलटों को भेजा गया था!

गुंजन सक्सेना का जन्म और पालन-पोषण ऐसे परिवार में हुआ था जहाँ खुद से पहले देश को रखा जाता है। उनके पिता और भाई भारतीय सेना में कार्यरत थे। गुंजन दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में पढ़ रहीं थीं, जब उन्होंने फ्लाइंग क्लब में दाखिला लिया। शुरुआत में यह उनके लिए वोकेशनल कोर्स था। पर फिर उन्हें पता चला कि पहली बार भारतीय वायुसेना में महिलाओं की भर्ती की जा रही है। उन्होंने SSB पास करके भारतीय वायुसेना में अपनी जगह बना ली। साल 1994 में भारतीय वायुसेना के पहले महिला पायलट ट्रेनी बैच का हिस्सा थीं।

Gunjan Saxena and Srividya Photo Source

इस बैच में गुंजन के साथ श्रीविद्या सहित और 23 लड़कियां ट्रेनिंग कर रही थीं। तब तक महिलाओं को युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाता था क्योंकि धारणा यही थी क्या महिलाएं युद्ध क्षेत्र के तनाव और बुरे हालातों को झेल पाएंगी? हालांकि, इन महिला पायलटों को सिर्फ एक मौका चाहिए था अपनी काबिलियत साबित करने का।

और वह मौका आया 1999 के कारगिल युद्ध में। सेना को अपने घायल सैनिकों तक दवाई, भोजन और ज़रूरी मदद पहुंचाने के लिए और पायलट चाहिए थे। उस वक़्त पहली बार गुंजन और उनकी साथी श्री विद्या को युद्ध क्षेत्र में भेजने का फैसला किया गया। गुंजन उस वक़्त सिर्फ 25 साल की थीं। जब गुंजन से पूछा गया कि क्या वह यह करना चाहेंगी तो उन्होंने तुरंत हां कर दी। उन्हें पता था कि यह मिशन आसान नहीं है क्योंकि उन्हें पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी और एयरक्राफ्ट्स के हमलों से बचते हुए अपने साथियों की मदद करनी थी। लेकिन उन्हें खुद पर भरोसा था कि वह यह कर सकती हैं।

गुंजन और श्रीविद्या, दोनों ने ही अपने-अपने चीता हेलिकॉप्टर में उड़ान भरी और पाकिस्तानी सेना के हमले से खुद को बचाते हुए अपने सैनिक साथियों तक मदद पहुंचाई। उन्होंने द्रास और बटालिक की घाटियों में दवाई और भोजन पहुँचाया। वह अपने घायल सैनिकों को वापस भी लेकर आईं। इसके साथ ही, इन दोनों महिला पायलटों का एक काम पाकिस्तानी सेना की स्थिति का जायजा लेना भी था। जिसके लिए कई बार उन्होंने लाइन ऑफ़ कंट्रोल के बहुत पास से उड़ानें भरीं। Photo Story

कई बार उन्होंने 13 हज़ार फीट की उंचाई से अपने हेलिकॉप्टर को हैलीपैड पर उतारा जो किसी भी नए पायलट के लिए आसान नहीं होता है। एक बार जब गुंजन उड़ान भर रही थीं, तो पाकिस्तानी सेना ने उनके हेलिकॉप्टर पर मिसाइल छोड़ी। इस हमले से गुंजन का हेलिकॉप्टर बाल-बाल बचा और मिसाइल ने पास की एक चट्टान को उड़ा दिया। मौत से इतने करीब से बचने के बाद भी गुंजन का हौसला नहीं टुटा। उन्होंने बिना एक पल भी सोचे, फिर से उड़ान भरी और अपने साथियों की मदद के लिए जा पहुंची।

युद्ध के दिनों में गुंजन ने बहुत से सैनिकों की मदद की। वह अपने साथ एक राइफल और छोटी बंदुक भी रखती थी ताकि अगर कभी उन्हें दुश्मन का सामना करना पड़े तो वह पूरी तरह से तैयार हों। हालांकि, बिना हथियारों के भी उन्होंने जो लड़ाई लड़ी वह कम महत्वपूर्ण नहीं थी।

कारगिल युद्ध में अपने साहस और जज़्बे के लिए गुंजन को शौर्य चक्र से नवाज़ा गया। वह पहली महिला अफसर हैं जिन्हें यह सम्मान मिला।

Gunjan Photo Source

उस समय भारतीय सेना में महिलाओं के लिए बहुत ही कम मौके होते थे और इस वजह से गुंजन और श्रीविद्या का भी बतौर कमिशंड ऑफिसर करियर 7 सालों में ही समाप्त हो गया। लेकिन अब महिला पायलटों को परमानेंट कमीशन मिलता है और कुछ समय पहले ही, तीन महिला पायलट अवनि चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह को भारतीय वायुसेना ने फाइटिंग स्क्वाड्रन में शामिल किया है। यह देश की महिलाओं के लिए गर्व और सम्मान की बात है।

पर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि भारतीय वायुसेना में महिलाओं के लिए इस मौके को खोलने में गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या का योगदान भी है। भले ही, उस समय उन्होंने फाइटर प्लेन नहीं उड़ाये पर युद्ध क्षेत्र में दुश्मन के हमलों का सामना करते हुए अपने मिशन को पूरा कर यह साबित ज़रूर किया कि अगर महिलाओं को मौका दिया जाए तो वो ज़रूर युद्ध के समय देश की रक्षा कर सकती हैं।

गुंजन सक्सेना को आज भी ‘द कारगिल गर्ल’ के नाम से जाना जाता है। उनकी ज़िंदगी पर आधारित फिल्म भी बन रही है, जिसमें अभिनेत्री जाह्नवी कपूर उनका किरदार निभा रही हैं। उम्मीद है इस फिल्म के रिलीज़ होने बाद, गुंजन सक्सेना की कहानी देश की और भी बेटियों को वायुसेना जॉइन करने के लिए प्रेरित करे!

मूल लेख: संचारी पाल


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X