Powered by

Home इतिहास के पन्नों से दिल्ली के फिरोज़ शाह कोटला का ये गुप्त खंडहर आज भी है लोगो की उम्मीद की वजह !

दिल्ली के फिरोज़ शाह कोटला का ये गुप्त खंडहर आज भी है लोगो की उम्मीद की वजह !

New Update
दिल्ली के फिरोज़ शाह कोटला का ये गुप्त खंडहर आज भी है लोगो की उम्मीद की वजह !

र गुरूवार, फिरोज़ शाह कोटला का यह खँडहर वापस जीवित हो जाता है। लोग इस दिन अपनी छुपी हुई इच्छाएं यहाँ के वासी- जिन्नों को बताने के लिए दूर दूर से आते हैं।

अलग अलग शैलियों में लिखी हुई ये चिट्ठियाँ न जाने कितने थके और निराश लोगो के लिए उम्मीद की किरण होती होंगी।

firozshah1

Source: Travelling Slacker/Flickr

जिन्न के अस्तित्व को आमूमन "अरेबियन नाइट्स' और ऐसे ही पुरानी कथाओं से जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे हमारी इच्छाओ को पूरी करते हैं; इसी विश्वास के कारण फिरोज़ शाह कोटला में लोगो का आना बरकरार रहता है। इनमे से कुछ न जाने कितने सालो से हर हफ्ते यहाँ हाजिरी लगाते हैं।

इस प्रथा से अनेकों कहानियाँ जुड़ी हैं। कुछ मानते हैं कि जिन्न बोलने वाले कौवे होते हैं, कुछ उन्हें लम्बी दाढ़ी एवं सादे लिबास में लिपटे हुए व्यक्ति के रूप में चित्रित करते हैं। कुछ का कहना है कि जिन्न कई संख्या में होते हैं और उन्हें उनकी खुशबू से पहचाना जाता है। ऐसी न जाने कितनी कहानियाँ यहाँ सुनी सुनाई जाती है।

firozshah2

Source: Usaid/Flickr

ऐसा माना जाता है कि चिट्ठी लिखने की इस परंपरा का संबंध चौदहव़ी सदी की उस प्रथा से हो सकता है जब शहर के हर आम नागरिको के लिए महल का दरवाज़ा खोल दिया जाता था। वे बिना किस रोक टोक के सुल्तान तुग़लक से मिल कर अपनी परेशानी व्यक्त करते थे।

हर व्यक्ति की बात सुनी जाती थी। उम्र, पैसे, जाति का कोई भेद भाव नहीं किया जाता था।

मानव-विज्ञानी आनंद विवेक तनेजा की शोध के अनुसार, जिन्नों को चिठ्ठियाँ लिखने की यह परंपरा असल में 1970 में शुरू हुई जब इस खँडहर में लड्डू शाह फ़क़ीर आकर रहने लगा था।

चौदहवी सदी में बना हुआ यह महल एक ऐसी धरोहर है जो तेज़ी से बदल रहे समाज में भी अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई है। लोगों के विश्वास ने इसे जीवित रखा और इसके बदले इस  खँडहर ने लोगो की उम्मीदों को मरने नहीं दिया।

मूल लेख बोशिका गुप्ता द्वारा लिखित।

यदि आपको ये कहानी पसंद आई हो या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें [email protected] पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।