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दुनिया भर में भारतीय अपनी मेहमान नवाजी के लिए जाने जाते है। खासकर भारत में शादियों में लोग मेहमान नवाजी का कोई मौका नहीं छोड़ते। गरीब से गरीब आदमी भी अपने बच्चो की शादी में दिल खोल कर खर्च करता है और मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखता।
पर 8 नवम्बर के बाद जिन घरों में भी शादी थी, उनके लिए मानो आसमान ही टूट पडा हो। प्रधानमंत्री के नोटबंदी के फैसले ने उनकी नींद ही उड़ा दी थी। इसके बाद शादी वाले घरो के लिए ढाई लाख रूपये निकालने की छूट, कुछ राहत तो लायी थी पर इससे भी परेशानियाँ ख़त्म होती नज़र नहीं आ रही थी।
सूरत के रहने वाले दक्षा और भरत परमार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इन दोनों की शादी 24 नवम्बर को होनी थी। पर इन दोनों के परिवार वालो ने न तो शादी में कोई बाधा आने दी और न ही इसके आनंद में।
शादी तय किये हुए दिन और समय पर ही हुई, फर्क सिर्फ इतना था कि इस शादी में कोई भी फ़िज़ूल खर्ची नहीं की गयी। मेहमानों को ढेरों पकवान खिलाने के बजाय आदर सहित चाय और पानी पिलाया गया। जिसमे वधु पक्ष को सिर्फ रु. 500 ही खर्च करने पड़े।
परिवार का कहना है कि शादी की तारीख पहले से ही तय थी, जिसे आगे बढ़ाना भी संभव नहीं था। एेसे में हमने बिना किसी शानौशौकत के ये शादी करने का फैसला लिया। परिजनों ने बताया कि हमने मेहमानों की खातिरदारी चाय-पानी से की।
दूल्हे भरत ने ANI को बताया, "हमारी शादी पहले ही तय हो गर्इ थी इसलिए हमने भव्य तरीके से शादी नहीं करने का फैसला किया। इसकी जगह हमने चाय-पानी वाली शादी की। " उन्होंने कहा कि एेसी मेहमाननवाजी का किसी ने भी विरोध नहीं किया आैर शादी हो गर्इ।
भले ही नोटबंदी की वजह से इन परिवारों ने ये कदम उठाया पर फिर भी महज़ 500 रूपये में की गयी ये शादी इस बात की पुष्टि करती है कि ऐसे कार्यक्रम बिना फ़िज़ूल खर्ची के भी हो सकते है, ज़रूरत है बस दो परिवारों और उनसे जुड़े लोगो के साथ की।