जैसे ही देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर अलर्ट जारी हुआ और स्थिति बिगड़ती नज़र आई, सरकार ने देश में लॉकडाउन का आदेश दे दिया। 25 मार्च 2020 से भारत में लॉकडाउन जारी है। हालांकि, बहुत से शहरों में जहां कोरोना वायरस का प्रभाव काफी पहले से नजर आने लगा था, वहां 25 मार्च से पहले से ही एहतियात बरती जाने लगी थी।
बेंगलुरु शहर का हाल भी कुछ ऐसा ही था। इस शहर को देश का आईटी हब कहा जाता है। यहां देश के हर एक कोने से आने वाले युवा रहते हैं और नौकरियां करते हैं। लेकिन जब हालात बदतर होते दिखे तो आईटी कंपनियों में कार्यरत ये लोग अपने घरों की तरफ लौटने लगे, इस उम्मीद में कि जब परिस्थितियां सामान्य होंगी तो वापस आया जाएगा।
सुशीलेंद्र कुलकर्णी और उनके कुछ दोस्त भी ऐसे ही युवाओं में से हैं, जो लॉकडाउन पूरी तरह लागू होने से पहले ही अपने परिवार के पास हावेरी लौट आए।
सुशीलेंद्र ने द बेटर इंडिया को बताया, “जब हम हावेरी लौटे तो देखा कि यहां भी लोग काफी डरे हुए हैं। बीमारी के साथ-साथ आमदनी और घर की रोज़मर्रा की ज़रूरतों की भी काफी चिंता है सबको। जिन लोगों के पास घर से काम करने का विकल्प नहीं है उनकी सैलरी भी कट रही है। एक दिन जब हम सब्जी लेने बाज़ार गए तो देखा कि अचानक से हर चीज़ इतनी महंगी हो गई है। तब लगा कि हम ऐसे मुश्किल वक़्त में कैसे अपने शहर की मदद कर सकते हैं।”
इस सोच को रखने वाले सिर्फ वही नहीं थे बल्कि उनके कुछ अन्य साथी, सुजय हुबलीकर, राघवेन्द्र देसाई, रघुवीर, प्रयाग, चिन्मय, पवन कुलकर्णी, प्रभांजन, पवन गुडी, रवि और रतन भी यही सोच रहे थे। उन्होंने सब्ज़ी और फल की होम डिलीवरी की योजना बनाई, वह भी बाज़ार की कीमतों पर न कि अपने मन-मुताबिक। उन्होंने हावेरी के लिए एक विशेष ऑनलाइन पोर्टल बनाया- स्टे सेफ हावेरी। इस पोर्टल पर जाकर हावेरी के निवासी अपनी ज़रूरत के हिसाब से फल और सब्ज़ी ऑर्डर कर सकते हैं। ऑर्डर मिलने के बाद दूसरे दिन सुबह में सभी सामान की डिलीवरी उनके घर पर हो जाती है।
सुशीलेंद्र कहते हैं कि उनका उद्देश्य स्पष्ट है- लोग कम से कम अपने घरों से बाहर निकलें। इस पोर्टल को उन्होंने ‘नो प्रॉफिट, नो लोस’ के सिद्धांत पर शुरू किया है। वह अपनी डिलीवरी के लिए या फिर अन्य सावधानियां जो वे बरत रहे हैं, उसके लिए कोई अलग से पैसे नहीं लेते हैं। जिस मूल्य पर वह सब्ज़ी खरीद रहे हैं, उसी मूल्य पर ग्राहकों को दी जा रही हैं।
कैसे कर रहे हैं काम:
उन्होंने बताया कि अपना यह अभियान शुरू करने से पहले उन्होंने हावेरी के प्रशासनिक अधिकारियों से बात की। प्रशासन को अच्छा लगा कि उनके शहर के युवा इस मुश्किल घड़ी में अपने लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने इन युवाओं को अनुमति दी और साथ ही, उनका संपर्क आस-पास के कुछ किसानों से भी कराया जो सब्जी और फल उगाते हैं।
“हमने 8-10 किसानों से संपर्क किया और फिर उनसे जाकर मिले भी। उन्हें समझाया कि हम उनसे रोज़मर्रा की ज़रूरत के हिसाब से सब्ज़ी और फल खरीदेंगे और उन्हें बाज़ार के हिसाब से ही मूल्य दिया जाएगा। हमने सबसे पहले टमाटर और खीरे से शुरुआत की। क्योंकि हमें देखना था कि हमारी इस पहल को कितनी प्रतिक्रिया मिलती है,” उन्होंने आगे कहा।
सुशीलेंद्र और उनकी टीम ने 20 किलो टमाटर और 20 किलो खीरा खरीदा और अपने पोर्टल पर अपडेट किया। हावेरी के ऑफिसियल सोशल मीडिया एकाउंट्स ने इस ग्रुप के बारे में लोगों को बताया। देखते ही देखते, उन्हें पहले दिन से ही ऑर्डर आना शुरू हो गये। 1 अप्रैल से शुरू हुए उनके पोर्टल पर हर दिन उन्हें 8 से 10 ऑर्डर आ रहे हैं।
सबसे पहले ऑर्डर के हिसाब से वह सुबह-सुबह जाकर किसानों से सब्ज़ी और फल लेकर आते हैं। पहले उन्होंने अपने घर में ही सब्जियों को स्टोर किया था लेकिन फिर प्रशासन की मदद से उन्हें एक गोदाम मिल गया। इस गोदाम में सब्जियों के पहुंचने के बाद, इन्हें एडिबल सैनीटाइज़र से सैनीटाइज़ किया जाता है। टीम खुद को भी अच्छे से सैनीटाइज़ करती है और फिर हर एक ऑर्डर के हिसाब से सब्जियों को पैक करके ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है।
डिलीवरी का काम भी सुशीलेंद्र और उनके दोस्त ही कर रहे हैं। इस दौरान वह सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। मास्क और ग्लव्स हमेशा पहने जाते हैं और हर एक ऑर्डर डिलीवर करने के बाद, वह खुद को सैनीटाइज़र से सैनीटाइज़ करते हैं और फिर मास्क और ग्लव्स भी बदलते हैं। मास्क और ग्लव्स की मदद उन्हें हावेरी के रोटरी क्लब से मिल रही है।
सुबह 6 बजे से 10 बजे तक डिलीवरी का काम खत्म करके, यह टीम अपने ऑफिस के लिए लॉग इन करती है। जी हाँ, शाम के 6 बजे तक उन्हें अपने ऑफिस का काम करना होता है। इसके बाद, वह फिर से लोगों की सेवा में जूट जाते हैं।
किसानों की भी हो रही मदद:
स्टे सेफ हावेरी से जुड़े हुए एक किसान, एस. एम. नावली कहते हैं, “हमने हमारी फसल का सही दाम मिल रहा है। इन लोगों की वजह से मिडिल मैन हट गया है और अब हमें वही पैसे मिल रहे हैं जो कि कृषि विभाग ने तय किए हैं। इससे अच्छा और क्या हो सकता है।”
हम सभी जानते हैं कि किसानों के देश में क्या हालात हैं। हर कोने से खबरें मिल रही हैं कि उनकी फसल खराब हो रही है और अगर कहीं खरीदी जा रही है तो बहुत कम मूल्य पर। जबकि वही उपज ग्राहकों को मूल्य बढ़ा कर दी जा रही है। ऐसे में, यह टीम सुनिश्चित कर रही है कि किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिले। साथ ही ग्राहकों को भी उचित मूल्य पर सब्ज़ियां मिलें।
स्टे सेफ हावेरी के काम से काफी खुश एक ग्राहक, पी. डी. शिरूर कहते हैं कि इन आईटी प्रोफेशनल्स की वजह से हमें हरी सब्ज़ी मिल रही है। हमने खुद देखा है कि ये हर एक सुरक्षा गतिविधि का ध्यान रख रहे हैं। वहीं, एक और ग्राहक, रमेश कहते हैं, “हमने लगता था कि आईटी वालों को बस सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर का ही ज्ञान होता है। लेकिन इन्होंने हमें गलत साबित कर दिया। साथ ही, जिस तरह से यह सैनीटाइजेशन का ध्यान रख रहे हैं, अब हमें मन में कोई डर नही है।”
सुशीलेंद्र कहते हैं कि वह हर दिन 300 से 500 किलोग्राम सब्ज़ी खरीदते हैं और अब तक लगभग 115 परिवारों को उनकी सर्विस मिल रही है। हालांकि, लॉकडाउन के बाद, जब सब सामान्य हो जाएगा, तब इस पोर्टल का क्या होगा, इस बारे में उन्होंने नहीं सोचा है। उन्होंने कहा, “फ़िलहाल, हमें यह पता है कि लोगों को हमारी ज़रूरत है और इसलिए हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं उनकी मदद करने की। बाद का हम बाद में देखेंगे कि क्या करना है।”
बेशक, सुशीलेंद्र और उनके दोस्त, देश के सभी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो अपने ज्ञान और समझ का इस्तेमाल लोगों की मदद के लिए कर रहे हैं। सही ही कहते हैं कि यदि दिल में मदद की चाह हो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं।
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