वह एक फोटोग्राफर था – दुसरो की मदद करने वाला, नेक दिल और दयालु। उसकी इस विरासत को उसके परिवारवालों ने एक अनोखे रूप में जीवित रखा है।
अगस्त 2011 का वह एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था जब 22 वर्षीय फोटोग्राफर निमेश तन्ना किसी मीटिंग में जाने के लिए ट्रेन में चढ़ा। उसके बाद न वो उस मीटिंग पर पहुंचा न अपने घर पर। ट्रेन की ट्रैक के समीप लगे एक पोल से उस वक़्त उसका सर टकरा गया जब उसने अपना सर बाहर देखने के लिए निकाला। चलती ट्रेन से निमेश गिर पड़ा और वहीँ उसकी मृत्यु हो गयी।
भारी मन से निमेश के मित्र किन्तन पारेख बताते हैं,
” हम बचपन से ही बेस्ट फ्रेंड्स थे। एक ही स्कूल और उसके बाद एक ही कॉलेज से हम दोनों ने साथ ही अपनी पढाई पूरी की। हमने एक ही कंपनी में नौकरी भी ज्वाइन की पर बाद में निमेश फोटोग्राफी की ओर मुड़ गया। उस रात हमने साथ ही मूवी जाने का प्लान बनाया था पर मुझे नहीं पता था की निमेश लौट कर कभी नहीं आने वाला।”
इस घटना को चार साल बीत चुके हैं फिर भी किन्तन की आवाज़ में वही दर्द जीवित है। वे उस दिन को याद करते हैं जब रेलवे अधिकारियो का उन्हें फ़ोन आया था कि CST रेलवे ट्रैक के पास एक शव मिला है।
“मैं उस वक़्त निमेश के माता पिता के साथ ही था। निमेश का फ़ोन न लगने कारण वे लोग बहुत चिंतित थे। उसके पिताजी दिल के मरीज़ हैं इसलिए मैंने उन्हें इस घटना के बारे में ज्यादा नहीं बताया। मैंने उनसे बस इतना कहा कि निमेश का एक्सीडेंट हो गया है पर अभी वो ठीक है। पर दुर्घटना वाली जगह पर पहुँचते ही उसके पिताजी बिल्कुल टूट गए। उनको इस हकीकत पर यकीन नहीं हो पा रहा था। यह स्वीकार करना सभी के लिए बहुत मुश्किल था। जब हम निमेश का मृत शरीर ले कर घर पहुचे तो उसके सैंकड़ो दोस्त उसकी माँ के साथ घर पर थे। वह बहुत ही भला और लोकप्रिय लड़का था जिस से सब बहुत प्यार करते थे।”
प्रदीप तन्ना एवं दमयंती तन्ना के लिए इस घटना से उबर पाना बेहद कठिन था क्यूंकि निमेश उनका इकलौता बेटा था।

इस दम्पति की ज़िन्दगी बिलकुल रुक सी गयी। अभी वे इस दुःख से उबर भी नहीं पाए थे कि उनको एक और बड़ा झटका लगा। प्रदीप की मुलुंड में स्थित मिठाई की दूकान को उसके पार्टनर ने धोखे से हड़प लिया था।
किन्तन, जो इस परिवार के हर दुख में साथ खड़ा था, उसने ऐसे वक़्त में फिर से इनका साथ दिया। उसने प्रदीप के सामने एक नया बिज़नेस शुरू करने का प्रस्ताव रखा। किन्तन ने अपना पारिवारिक बिज़नेस छोड़ कर तन्ना परिवार का साथ देने का फैसला किया। इन दोनों ने मुलुंड में एक नयी मिठाई की दूकान खोल ली।
ये परिवार धीरे धीरे अपने पाँव पर खड़ा होने लगा और इन लोगों ने अपने खोये बेटे की याद को एक अनोखे तरीके से जीवित रखने का विचार किया।
किन्तन बताते हैं,
” निमेश शुरू से ही एक सामाजिक लड़का था। वो ज़रुरतमंदो की हरसंभव मदद करता था, पैसे दान किया करता था, वालंटियर के काम में बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया करता था। उसके माता पिता ने निमेश के नाम पर एक स्वयं सेवी संस्था शुरू कर उसे श्रधांजलि देने का मन बनाया।”
26 जनवरी 2013 को तन्ना दम्पति ने श्री निमेष तन्ना चैरिटेबल ट्रस्ट (SNTCT) नाम की एक स्वयं सेवी संस्था रजिस्टर की।
SNTCT की शुरुवात ज़रुरतमंदो को फ्री टिफ़िन सर्विस की सेवा देने के उद्देश्य से शुरू की गयी।

तन्ना दम्पति ने इस कार्य की शुरुवात करीब 30 लोगो का खाना, अपने ही छोटे से किचन से बनाकर की। आज की तारीख में SNTCT हर रोज़ मुंबई के करीब 100 परिवारों को लंच भेजता है।
दो साल पूरे होने पर भी ऐसा एक भी दिन नहीं है जब तन्ना परिवार ने खाना न पहुँचाया हो। अभी उनके घर के नज़दीक मुलुंड में वे एक नए किचन से ये काम कर रहे हैं। अपने 7 स्टाफ के साथ हर रोज़ वे गरीबों के लिए भोजन पकाते हैं।
समय से डिब्बे पहुँचाने के लिए इन्होने मुंबई के प्रसिद्ध डब्बावाला के साथ पार्टनरशिप कर ली है जिससे सही समय पर खाना पहुंचाने में इन्हे मदद मिलती है।
किन्तन बताते हैं,
“शुरुवात में टिफ़िन पहुँचाना बहुत ही चुनौती भरा हुआ काम था। कई बार मुझे और अंकल को खुद ही डिब्बा पहुँचाने जाना पड़ता था। पर ये हर दिन मुमकिन नहीं था क्यूंकि मेरा उस वक़्त खुद का ऑफिस था और अंकल को भी दूकान का ख्याल रखना पड़ता था।”
अब SNTCT, मुंबई के आदिवासी समुदाय के लिए भी काम करने लगा है।
चूँकि आदिवासी समुदाय समाज की मुख्यधारा से कटा हुआ है, उसके पास रोज़गार के उचित साधन नहीं होते। इसीलिए SNTCT इनके लिए ‘फ़ूड किट’ तैयार करके भेजता है।
इस किट में खाना पकाने की सामग्री होती है जैसे अनाज, चीनी, तेल, आटा आदि। ट्रस्ट हर महीने के पहले रविवार को 50 आदिवासी परिवार में महीने भर की ये राशन सामग्री बाँट देता है।
इसके अलावा SNTCT, ‘किड्स बैंक’ भी चलाता है, जिसके द्वारा ज़रूरतमंद बच्चो तक कपडे, खिलौने, किताबें, साइकिल आदि भेजे जाते है। यह ट्रस्ट वृद्धो के लिए दवाईयां भी सप्लाई करता है।
SNTCT मूलतः तन्ना परिवार द्वारा मिठाई की दुकान से कमाए हुए पैसों से चलाया जाता है। हालाँकि अब इस परिवार को इस नेक काम के लिए अन्य लोगों से दान भी मिलने लगा है।
किन्तन कहते हैं,
” निमेश को इस से बेहतर श्रधांजलि नहीं दी जा सकती थी। उसका दिल बहुत बड़ा था और हम इस ट्रस्ट द्वारा उसे जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं।”
सभी से प्यार पाने वाला निमेश भले ही अब इस दुनिया में न हो पर फिर भी उनके परिवार और मित्र उन्हें इस नेक कार्य द्वारा जीवित रख रहे हैं।
इस ट्रस्ट के बारे में और जानकारी पाने और इनको सहयोग देने के लिए आप किन्तन से – tfpckintan@gmail.com पर या फिर इनकी वेबसाइट पर संपर्क कर सकते हैं।
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