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बात 90 के दशक की है। संजय, मुंबई से आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे। उसी दौरान एक दिन वह अपने दोस्त से मिलने गए। वहां वह अपने दोस्त के पिता से बातचीत कर रहे थे। बातों-बातों में संजय के दोस्त के पिता ने उन्हें सलाह देते हुए कहा कि वह अपनी व्यक्तिगत ज़रूरत के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
द बेटर इंडिया के साथ बात करते हुए संजय बताते हैं, “मैं एक किराए के कमरे में रह रहा था और मुंबई की गर्मी से मुकाबला करने में परेशानी हो रही थी। मेरे दोस्त के पिता ने मुझे सलाह दी कि मैं एक छोटा सोलर पैनल लगा लूं, जिससे बड़ी आसानी से कमरे का पंखा चल सके।” संजय कहते हैं कि उस समय वह वैकल्पिक ऊर्जाओं के बारे में भी पढ़ रहे थे। इसलिए उनकी दिलचस्पी इस ओर बढ़ी और उन्होंने इसे आज़माने का फैसला किया।
वर्तमान में संजय हुबली में आर्किटेक्ट के रूप में काम कर रहे हैं। वह कहते हैं, “मैंने 12V और 40W का एक छोटा पैनल खरीदा और इसे खिड़की के छज्जे (सन शेड) पर रखा। इससे मैंने दिन भर मेरे कमरे में एक टेबल फैन और एक बल्ब चलाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा हासिल कर ली। इसने मुझे चिलचिलाती गर्मी से बचाया और मेरे खर्चों को कम कर दिया।”
जब साल 2000 में संजय अपने घर हुबली लौटे, तो उन्होंने सोलर एनर्जी के अपने पहले प्रयोग से सबक और प्रेरणा लेते हुए, इसे अपने मूल स्थान, हुबली में भी लगाने का फैसला किया।
आज की तारीख में उनका घर और ऑफिस पूरी तरह से सोलर एनर्जी से चलता है, जिससे उन्हें प्रति वर्ष 2 लाख रुपये बचाने में मदद मिलती है।
5 कंप्यूटर, प्रिंटर, समेत कई चीज़ें चलती हैं सोलर पावर से
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1996 में, जब संजय ने पहली बार सोलर एनर्जी के साथ प्रयोग शुरू किया, तो पैनल महंगे थे। पिछले दो दशकों में, कीमत कम हो गई है और यह अब बहुत ज्यादा किफायती है। 2001 में, उन्होंने अपने घर पर एक सोलर वॉटर हीटर भी लगाया और फिर धीरे-धीरे अपने कॉरिडोर और बगीचों को रौशन करने के लिए छोटे पैनल लगाए।
संजय कहते हैं, "मुझे सोलर पैनल, मुंबई और गुजरात जैसी जगहों से लेना पड़ा। छोटे पैनल कम पावर उत्पन्न करते हैं, लेकिन वे उस समय पर बड़े पैनलों की तुलना में कम खर्चीले थे।" 2007 में आगे बढ़ते हुए, उन्होंने 1kW का सोलर पैनल खरीदा और घर पर अपने 1kW पावर इन्वर्टर को हटा दिया।
इसके बाद साल 2013 में, जब वह और उनका परिवार हुबली में भवानी नगर में एक नए घर गए, तो उन्होंने 165W 36V सोलर पैनल लगाए। संजय कहते हैं, "वे कम पावर उत्पन्न करते हैं, लेकिन हम अपने टीवी, पंखे और लाइट आराम से चला लेते हैं।"
संजय अपनी पत्नी सुहासिनी के साथ एक आर्किटेक्चर फर्म चलाते हैं। उन्होंने 2020 में 3kW क्षमता के सोलर पैनल लगाकर अपने ऑफिस को पूरी तरह से बदल दिया। वह कहते हैं, “अब दो साल हो गए हैं जब से हमारा ऑफिस पूरी तरह से सोलर एनर्जी पर चल रहा है। हम पांच कंप्यूटर, प्रिंटर, प्लॉटर और सबकुछ ग्रिड के बिना चलाते हैं।”
सोलर पैनल लगाने से कितनी होती है बचत?
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संजय ने बताया कि पहले उनके ऑफिस का बिजली बिल हर महीने करीब 4,500 से 5,500 रुपये तक आता था। लेकिन जब से उन्होंने सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करना शुरु किया है, उन्हें बिजली का बिल नहीं देना पड़ता है। वे केवल HESCOM (Hubli बिजली की आपूर्ति कंपनी) को मूल मीटर चार्ज का भुगतान करते हैं।
एक साल से ज्यादा समय तक अपने ऑफिस को सफलतापूर्वक सोलर एनर्जी से चलाने के बाद, संजय का अगला कदम अपने घर में भी बदलाव लाना था। वह कहते हैं, “मैंने ऐसे सोलर पैनल लगाए, जो मेरी छत पर औसतन 4.5kW ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके साथ हमने ग्रिड का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया।”
सुहासिनी कहती हैं, "अब हम अपने सभी उपकरणों को सोलर एनर्जी से चला रहे हैं, जिनमें दो फ्रिज, वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर, चार एयर कंडीशनर और हमारी दो इलेक्ट्रिक कारें शामिल हैं।"
वह आगे बताती हैं, “पहले हम हर महीने बिजली के बिल के रूप में लगभग 4,000 रुपये का भुगतान करते थे, लेकिन अब हमें बिजली बिल पर कुछ खर्च नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा, हम बची हुई ऊर्जी, HESCOM ग्रिड को ट्रांसफर कर देते हैं और वे हमें लगभग 500 रुपये से 1,000 रुपये/माह भुगतान कर हैं।"
कुल कितने पैनल्स लगाए हैं?
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संजय बताते हैं कि उन्हें और उनकी पत्नी को हर रोज अलग-अलग साइटों पर बहुत बार यात्रा करनी पड़ती है, इसलिए उन्हें दो अलग-अलग गाड़ियों की ज़रूरत थी। वे कहते हैं, “पेट्रोल से चलने वाली एक गाड़ी पर हम ईंधन के लिए हर महीने करीब 12,000 रुपये खर्च करते थे। लेकिन जब से हमने ईवी पर स्विच किया, हमें एक पैसा खर्च नहीं करना पड़ा, क्योंकि हम उन्हें सोलर एनर्जी का उपयोग करके घर पर चार्ज करते हैं।”
संजय बताते हैं कि वह हर महीने व्यक्तिगत खर्चों में करीब 18,000 रुपये की बचत कर रहे हैं, जिसमें घर के बिजली के बिल और ईंधन का खर्च शामिल है।
अपने ऑफिस और घर के अलावा, संजय अपने दो खेतों पर भी सोलर एनर्जी का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह बताते हैं कि हुबली के पास मिश्रिकोटी गांव में उनका आम का बगीचा है, जहां मुख्य रूप से सिंचाई के लिए सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जाता है।
वह बताते हैं, “मैंने 3KW सोलर पैनल स्थापित किए हैं, जो पूरे पांच एकड़ ज़मीन को पानी देने के लिए हाई पावर पंप सेट चलाने में मदद करते हैं।” इसके अलावा, उन्होंने अपने अन्य दो खेतों में 1KW के पैनल लगाए हैं, जो केवल लाइट्स जलाने के लिए हैं।
संजय बुनियादी उद्देश्यों के लिए छोटे सोलर पैनलों का उपयोग करने का भी सुझाव देते हैं। वह कहते हैं, “हमारे घर में, ऑन-ग्रिड 4.5kW सौर पैनलों के अलावा, हमने कई माइक्रो सौर पैनल लगाए हैं, जो घर के चारों ओर खिड़कियों और बालकनियों पर रखे जाते हैं। ये माइक्रो पैनल्स कम मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और हमारे कॉरिडोर, टेरेस गार्डन, बालकनियों और यहां तक कि बेडसाइड लैंप को चलाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।"
कितना आया खर्च और क्या देना चाहेंगे सुझाव?
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संजय सुझाव देते हुए कहते हैं कि लोग पहले इन माइक्रो पैनलों के साथ प्रयोग कर सकते हैं और बाद में एक ऑन-ग्रिड सिस्टम की तरफ बढ़ सकते हैं। उनका कहना है कि सोलर पैनलों और ऊर्जा उत्पादन की बात को लेकर लोगों में अब भी कई गलतफहमियां हैं। लोगों को लगता है कि बारिश के मौसम में इनसे ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती है। लेकिन बादल या बारिश के दिनों के दौरान भी सोलर पैनल चार्ज होते हैं, जो आवश्यक ऊर्जा का लगभग 60 प्रतिशत उत्पन्न कर सकते हैं।
उन्होंने बताया, "पैनल, 5kW पावर उत्पन्न करते हैं, हालांकि लोग भूल जाते हैं कि उन्हें एक दिन में इतनी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है।" सोलर पैनल की स्थापना के खर्च को लेकर भी लोगों में काफी गलतफहमी है। वह कहते हैं, “4.5kW से 5kW क्षमता के सौलर पैनलों को स्थापित करने के लिए (एक ऑन-ग्रिड सिस्टम है) हमें लगभग 3 लाख रुपये की आवश्यकता होती है, जिसमें पैनल और ढांचा खड़ा करने की लागत भी शामिल है।"
उन्होंने आगे बताया, "अगर हम वह 3 लाख रुपये एक फिक्स्ड डिपॉजिट में डालते हैं, तो हमें ब्याज के रूप में हर महीने 1,200 रुपये मिल सकते हैं। लेकिन अगर हम सोलर एनर्जी सिस्टम स्थापित करने में उस पैसे का निवेश करते हैं, तो हम हर महीने बिजली बिल के खर्चे को बचा सकते हैं और फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में, मासिक ब्याज राशि करीब तीन गुना हो जाएगी। इसलिए, कुछ वर्षों के भीतर, हमने जो पैसे निवेश किए हैं, वे हमें वापस मिल जाएंगे।”
मूल लेखः अंजली कृष्णन
संपादनः अर्चना दुबे
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