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UPSC में नहीं हुए सफल, तो तीन दोस्तों ने शुरू कर दी मिलिट्री मशरूम की खेती, लाखों है कमाई

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कार्डिसेप्स मिलिट्री मशरूम यानी कीड़ा-जड़ी को प्राकृतिक रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है और कोरोना काल में, भारत में इसकी खेती का चलन भी तेजी से बढ़ा है। हालांकि, चीन, तिब्बत, थाईलैंड जैसे कई देशों में इसे लंबे अरसे से व्यवहार में लाया जा रहा है।

आज हम आपको तीन ऐसे दोस्तों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने भारत में मिलिट्री मशरूम की संभावनाओं को देखते हुए, करीब डेढ़ साल पहले ही इसकी खेती शुरू कर दी, जिससे उन्हें लाखों की कमाई हो रही है।

यह कहानी है राजस्थान के गंगानगर जिले के रावल मंडी गाँव के रहने वाले संदीप बिश्नोई, अभय बिश्नोई और मनीष बिश्नोई की। बता दें कि संदीप और मनीष बी.टेक करने के बाद और संदीप एमसीए करने के बाद प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इसमें दो-बार प्रयास करने के बाद, उन्होंने अपना खुद का कुछ शुरू करने का फैसला किया।

संदीप, अभय और मनीष

अभय ने द बेटर इंडिया को बताया, “हम अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इसमें कोई संभावना नहीं देखते हुए, हमने कुछ अलग करने का फैसला किया। इसी कड़ी में, मुझे यूनाइटेड किंगडम के एक दोस्त के जरिए मिलिट्री मशरूम के बारे में पता चला, वहाँ लोग इसे हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर लेते हैं। इसके बाद मैंने इंटरनेट पर इसके बारे में जानकारी हासिल की।”

वह आगे बताते हैं, “इसी सिलसिले में मुझे उत्तराखंड में मिलिट्री मशरूम की खेती करने वाली दिव्या रावत जी के बारे में पता चला और मैंने उनके यूट्यूब चैनल पर इससे संबंधित कई वीडियो देखे और इन विचारों को अपने दोस्त संदीप और मनीष से साझा किया।”

इसके बाद, साल 2018 में तीनों ने नैनीताल स्थित अम्ब्रोस फूड फर्म से मिलिट्री मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली और मार्च 2019 में अपने गाँव में 12 लाख रुपए की लागत से अपने वेंचर ‘जेबी कैपिटल’ को स्थापित किया और मिलिट्री मशरूम की खेती करने लगे।

अभय बताते हैं, “हमने पहली बार में 1200 जार लगाए, जो पूरी तरह से बर्बाद हो गए। लेकिन, हमने हिम्मत नहीं हारी और अपनी गलतियों से सबक लेते हुए, एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़े।”

कैसे करते हैं खेती

अभय बताते हैं, “मिलिट्री मशरूम एक चिकित्सकीय उत्पाद है। इसे जार में उगाया जाता है। एक 400 ग्राम के जार में 1.5-2 ग्राम मशरूम का उत्पादन होता है और हमारे लैब में 3000 जार रखे जा सकते हैं।”

400 एमएल के जार में तैयार करते हैं मिलिट्री मशरूम को

अभय कहते हैं, “हमारे पास एक बार में 3-4 किलो मिलिट्री मशरूम का उत्पादन होता है और इसे तैयार होने में करीब 3 महीने लगते हैं। इस दौरान हमें जीरो कंटामिनेशन सुनिश्चित करना पड़ता है और एक छोटी सी चूक पूरी फसल को बर्बाद कर सकती है।”

अभय कहते हैं कि मिलिट्री मशरूम को जार में ब्राउन राइस को 120 डिग्री ताप पर ऑटोक्ले किया जाता है, ताकि यह बैक्टीरिया फ्री हो जाए। फिर, इसे जार में भर कर सभी जरूरी रसायन डाले जाते हैं। फिर, इसे लेमिनार के अंदर 12 घंटे के लिए रखा जाता है, जहाँ यूवी लाइट लगी होती है, जिससे कि बैक्टीरिया की कोई संभावना न रहे। इसके अगले दिन, इसे करीब एक हफ्ते के लिए अँधेरे कमरे में रखा जाता है।

अभय बताते हैं, “जार में, 7 दिनों में मशरूम उगने लगता है। इसके बाद, इसे दूसरे कमरे में रखा जाता है, जहाँ रोशनी की पूरी व्यवस्था होती है, ताकि फसल को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करने में कोई दिक्कत न हो।”

मिलिट्री मशरूम

एक फसल को तैयार होने में 85-90 दिन लगते हैं और इस पूरी प्रक्रिया में कमरे का तापमान 18-22 डिग्री होता है। उन्होंने कमरे में ह्यूमिडिटी को नियंत्रित करने के लिए दो बड़े ह्यूमिडिटी फायर को भी लगाया है। 

एक बार जब फसल तैयार हो जाती है, तो इसे इंडस्ट्रियल ओवन में ड्राय किया जाता है, जिसके बाद इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

दिया ब्रांड का रूप

अभय बताते हैं, “हमारे उत्पाद बाजार में 1.5 लाख से 2 लाख रुपए प्रति किलो बिकते हैं। इस तरह हर 3 महीने में हमारा टर्न ओवर करीब 6 लाख रुपए है। आज हमारे 200 से अधिक ग्राहक हैं और हमारे बाजार का दायरा गंगानगर, बीकानेर और चोरू के अलावा पंजाब में भी है।”

फिलहाल, वह अपने उत्पादों की आपूर्ति डाक के जरिए करते हैं। 

तीनों दोस्तों ने दिया अपने उत्पाद को ब्राँड का रूप

अभय बताते हैं, “हमें जो नतीजे देखने को मिल रहे हैं, उससे हम उत्साहित हैं और इसी को देखते हुए हमने इसे एक ब्रांड का रूप दिया है ‘कोर्डिमाइन’। इसके पैकेजिंग का काम जारी है और अगले महीने से यह फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा।”

कोरोनाकाल में हुआ काफी नुकसान

संदीप बताते हैं, “इस साल अपने कारोबार को आगे लेकर जाने की कई योजनाएँ थीं, हम कई कृषि मेलों में हिस्सा लेने वाले थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण हम यह कर न सके। इसके अलावा, हम बाजार में अपने उत्पादों को पहले 2 लाख रुपए प्रति किलो बेचते थे, लेकिन आर्डर डिस्टर्ब होने की वजह से हमें 1.5 लाख रुपए प्रति किलो बेचना पड़ता है।”

युवा किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए तैयार

संदीप बताते हैं, “जेबी कैपिटल, राजस्थान में मिलिट्री मशरूम की खेती के लिए पहला वेंचर है और हमारा उद्देश्य राज्य में इसे बढ़ावा देने का है। इसलिए यदि कोई युवा किसान इसकी ट्रेनिंग हासिल करना चाहता है, तो हम इसके लिए तैयार हैं। हम चाहते हैं कि जिन कठिनाईयों से हम गुजरे, उसे किसी और किसान को नहीं झेलना पड़े।”

मिलिट्री मशरूम को कैसे करें इस्तेमाल

अभय बताते हैं, “मिलिट्री मशरूम, डायबिटीज, थायराइड, अस्थमा, ट्यूमर जैसी कई बीमारियों में कारगर है। इसमें कॉर्डीसेपीन और एडिनोसिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।”

अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है जेबी कैपिटल

वह आगे बताते हैं, “हर दिन एक ग्राम मिलिट्री मशरूम का सेवन पर्याप्त है। इसे पहले एक ग्लास पानी में उबालें, इससे मशरूम का कॉर्डीसेपीन सक्रिय होता है और रात भर पानी में रखने के बाद इसका एडिनोसिन सक्रिय हो जाता है। मिलिट्री मशरूम को हर सुबह खाली पेट खाना चाहिए।”

यदि आपको मिलिट्री मशरूम के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए तो आप अभय से 9779159029 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन – जी. एन झा

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