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भारत में, त्यौहार उत्साह और हर्षोल्लास के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस साल बहुत-सी चीजें बदल गईं हैं। दुनियाभर में फैली महामारी ने हमारे त्यौहार मनाने के तरीकों में भी बदलाव किया है। सबसे बड़ी बात जिसका हमें ध्यान रखना है, वह है उचित दूरी बनाए रखना और भीड़-भाड़ के इलाकों से बचना।
हाल ही में, जब तिरुमाला मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया था तो कुछ दिनों में ही यहाँ काम करने वाले 700 कर्मचारी कोविड-19 से संक्रमण ग्रस्त हो गए थे। इस तरह की घटनाएं हमारे लिए चेतावनी है कि हमें बहुत संभलकर रहने की ज़रूरत है। जरा सी भी लापरवाही भविष्य में हमारे लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
जन्माष्टमी का त्यौहार को भी हम घर में रहकर ही अच्छे से मना सकते हैं।
आज हम आपको कुछ अनोखे तरीके बता रहे हैं, जिनसे आप इस त्यौहार के मौके को इस मुश्किल की घड़ी में भी खास बना सकते हैं।
जन्माष्टमी के लिए ऑनलाइन दर्शन:
स्कूल की ऑनलाइन क्लास और ऑफिस की ऑनलाइन मीटिंग्स के अलावा, अब आप 'कान्हा' के ऑनलाइन दर्शन भी कर सकते हैं।
जेकेयोग जन्माष्टमी महोत्सव, डैलस
जो लोग मशहूर आर्टिस्ट को भक्ति भजन गाते हुए सुनना चाहते हैं, वो जेकेयोग के यूट्यूब चैनल पर 11 और 12 अगस्त को देख सकते हैं। यूट्यूब चैनल पर जन्माष्टमी से जुड़े कई तरह के इवेंट दिखाए जाएंगे। यहाँ आप कई सम्मानित कलाकारों, जैसे विदुषी इन्द्राणी मुखर्जी, डॉ. विजयकुमार कृष्णन, विदुषी और देबमित्रा सेनगुप्ता को परफॉर्म करते हुए देख सकते हैं।
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हरे कृष्णा मंदिर, अहमदाबाद
12 अगस्त को यूट्यूब और फेसबुक पर मंदिर में आयोजित होने वाले अलग-अलग इवेंट दिखाए जाएंगे। यह सुबह 8 बजे से शुरू होकर रात के लगभग 1 बजे तक चलेगा।
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घर पर ही करें जन्माष्टमी की सजावट:
जहाँ सरकार और मंदिर व्यवस्थापक अपनी-अपनी तरफ से समाधानों की कोशिश में जुटे हैं, वहीं कुछ आम लोग भी हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।
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मुंबई में रहने वाली एक गृहिणी, स्वाति हरसोरा कहतीं हैं, "मैं पिछले लगभग 40 सालों से जन्माष्टमी के अवसर पर अलग-अलग मंदिरों में जाती रहीं हूँ क्योंकि वहां की सजावट देखना मुझे बहुत पसंद है। पर इस साल मैंने घर पर ही रहने का फैसला किया है और अपने मंदिर को सजाया है। मैंने भगवान् श्रीकृष्ण के लिए 3-4 तरह की सजावट की हैं।"
पेड़-पौधों से अथाह प्रेम करने वाली स्वाति ने अपने घर में उगी साग-सब्जियों से छोटा-सा मंदिर तैयार किया है। उन्होंने आर्टिफीशियल घास को भी बैकड्रॉप के लिए इस्तेमाल किया है और कार्डबोर्ड से उन्होंने झूला बनाया है।
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वहीं, दूसरी तरफ राजस्थान में रहने वाली कल्पना ने अपने घर की चीजों को अपसाइकिल करके त्यौहार मनाने की ठानी है। वह द बेटर इंडिया को बतातीं हैं, "मैंने दो दिन के भीतर ही कान्हा जी की जन्मभूमि गोकुल धाम को बनाया है। हमने कार्टन और रंग-बिरंगे कागजों से झोपड़ियाँ बनायीं हैं। अख़बार से झूला बनाया है, पुराने जूतों के डिब्बों से गाय का तबेला भी बनाया है। पेपर क्ले से मटकी भी बनाई है। हमने कागज के फूल बनाएं हैं और अपने गार्डन की घास भी इस्तेमाल की है। मैं और मेरी बेटी मटकी तोड़ने का कम्पटीशन भी करेंगे।"
आप कल्पना का #DIY आईडिया यहाँ देख सकते हैं:
अगर आप अपने बच्चों के लिए दही-हांडी कम्पटीशन रखना चाहते हैं तो यह #DIY तरीका अपना सकते हैं:
- सबसे पहले मिट्टी की कोई मटकी ले लें और इसे रंग दें। अगर आपके पास मिट्टी की मटकी नहीं है तो आप अखबार से भी यह बना सकते हैं।
- कोई नायलॉन की रस्सी या दुपट्टा लें और इसे अपनी बालकनी या किसी कमरे में एक निश्चित उंचाई पर बाँध दें।
- अब एक पतला दुपट्टा या रस्सी लेकर मटकी की गर्दन पर बाँध दें और इसे पहले वाली रस्सी के बीच में बांधकर लटका दें।
- इस मटकी को आप दही, मिठाई और चॉकलेट्स से भर सकते हैं।
- अब बच्चों को तैयार करें और उन्हें दही-हांडी का खेल खिलाएं।
स्वाति हमें एक गुजराती पकवान थोर/साटा के बारे में भी बता रही हैं जो जन्माष्टमी पर बनता है। यह कान्हा जी को प्रसाद स्वरूप चढाया जाता है। यह आटे और सूजी की बनी पुड़ी होती है जिसे अच्छे से फ्राई करके चाशनी में डुबोया जाता है।
इसे बनाने में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है।
सामग्री:
एक कप मैदा, 2 चम्मच सूजी, 3 चम्मच देसी घी या फिर 2 चम्मच तेल
चाशनी बनाने के लिए- एक कप चीनी और 3-4 चम्मच पानी
2-3 चम्मच पिस्ता कटे हुए एक चम्मच सूखी गुलाब की पत्तियां जिन्हें खाया जा सके!
विधि:
- मैदा और सूजी में हल्का-हल्का पानी डालकर टाइट आटा गूँथ लें।
- इस आटे से छोटी-छोटी लोई बनाएं और इनसे पूड़ी बनाएं।
- इन पूड़ियों में फोर्क से छोटे-छोटे छेद कर लें।
- अब इन्हें तेल या घी में फ्राई करें जब तक कि यह भूरे रंग की न हो जाएं।
- अब पूड़ियों को अलग निकालकर रखें और ठंडा होने दें।
- चाशनी बनाने के लिए पानी में चीनी डालें और इसे गाढ़ा होने तक पकने दें।
- चाशनी तैयार होने के बाद, एक-एक करके पूड़ियों को इसमें डालें।
- अब इन्हें गुलाब की पत्तियों और पिस्ता से सजाएँ।
- इसके बाद, इन्हें ठंडा होने के लिए 30 मिनट तक रखें।
- आपका प्रसाद तैयार है!
मूल लेख: गोपी करेलिया
संपादन - मानबी कटोच