Powered by

Home हिंदी 39 साल के इस युवक का आखरी सपना था कि इनके अंतिम संस्कार के पैसो से गरीबो के लिए घर बनाया जाएँ!

39 साल के इस युवक का आखरी सपना था कि इनके अंतिम संस्कार के पैसो से गरीबो के लिए घर बनाया जाएँ!

New Update
39 साल के इस युवक का आखरी सपना था कि इनके अंतिम संस्कार के पैसो से गरीबो के लिए घर बनाया जाएँ!

कैंसर से जूझ रहे राज ब्रायना सिंह को जब ये मालुम हुआ कि अब उनकी इस लड़ाई का अंत होने वाला है और वे चंद ही दिनों के मेहमान है, तब उन्होंने अपनी आखरी इच्छा जाहिर की। उनकी ये आखरी इच्छा उनके या उनके सगे सम्बन्धियों के लिए कुछ करने की नहीं थी बल्कि राज गरीब और बेसहारा लोगो के लिए कुछ करके जाना चाहते थे। वे चाहते थे कि उनके मरने के बाद भी लोग उन्हें याद करके गरीबो की मदद करते रहे। और इसी लिए इंग्लैंड में रहनेवाले इस प्रवासी भारतीय ने गरीब दुखियो की मदद करने के लिए एक फंड रेजिंग पेज शुरू किया।

39 वर्षीय राज की कैंसर के कारण हाल ही में मृत्यु हो गयी। पर जाने से पहले उन्होंने खालसा ऐड इंटरनेशनल के साथ मिल कर एक मुहीम की शुरुआत की, जिसमे उन्होंने लोगो से उनके अंतिम संस्कार पर खर्च न करते हुए गरीबो की मदद के लिए पैसे दान करने की अपील की।

publive-image
राज ब्रायना सिंह

उन्हें असली श्रधांजलि तब मिली जब इस मुहीम के ज़रिये ‌‍30,000 पौंड (करीब 24 लाख रूपये) जमा किये गए और इन पैसो से पंजाब के मलेरकोटला और फरीदकोट में चार मकान बनायें गए।

इस फंड रेजिंग पेज पर राज ने लिखा था ..."अगर ये पेज अभी भी एक्टिव है, इसका मतलब मेरे आखरी सपने को अभी तक आकार दिया जा रहा है और मैं कोलोन कैंसर से अपनी जंग हार चुका हूँ ... मैं आप सब लोगो से गुजारिश करूँगा कि मेरे मरने के बाद मेरे लिए फूल लाने के लिए पैसे खर्च न कर के इस मुहीम के लिए उदारता से दान करे, जिससे सभी धर्म और जाती के लोगो की मदद की जा सके।"

राज के परिवार वालो ने हाल ही में इन गाँवों में बनाए इन मकानों का दौरा किया। जिन गरीब और कमज़ोर लोगो को इन मकानों में सहारा मिला है, वे उनसे भी मिले।

राज के जानने वालो का कहना है कि वे एक लम्बे अरसे से इसी तरह गरीबो की मदद के लिए कुछ न कुछ करते आये थे। इस मुहीम से जोड़ी गयी बाकी की रकम से अफ्रीका में राज के स्मारक के रूप में पानी के पंप लगवाए जायेंगे।

राज तो हम सभी को अलविदा कर गए है पर उनके द्वारा चलाई गयी ये मुहीम अब भी जिन्दा है। इस मुहीम में दान करने के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते है। खालसा ऐड इंटरनेशनल से संपर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करे।


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें [email protected] पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।