ऐसा कहा जाता है कि आज-कल इंसान ही इंसान के काम नहीं आ रहा तो वह पृथ्वी के बाकी जीव-जंतुओं के लिए क्या करेगा! लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। दुनिया कुछ ऐसे अच्छे लोगों की वजह से चल रही है, जो सिर्फ़ इंसानों के लिए नहीं बल्कि जानवरों और पक्षियों के लिए नेक काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक जवाहर लाल भी, जो कहलाते हैं बर्ड मैन।
65 साल के जवाहर लाल पिछले 45 सालों से रोज़ाना दिल्ली के आर्कियोलॉजिकल पार्क में पक्षियों को दाना-पानी देते हैं। क़ुतुब मीनार के पास स्थित इसी पार्क में जमाली कमाली की प्रसिद्ध मज़ार है। जवाहर महरौली में रहते हैं और चाहे सर्दी हो, गर्मी हो या फिर तूफ़ान ही क्यों न आए, वो रोज़ सुबह 7 से 8 बजे की बीच यहाँ आते हैं।
अगर आप सुबह-सुबह इस पार्क में जाएंगे तो दूर से ही आपके कानों में एक आवाज़ गूंजेंगी। आपको सुनाई देगा- ‘बोल बम बोल बम…सूरज की माया, जय गणेश देवा, माता तेरी पार्वती पिता महादेवा’। कमाल का नज़ारा तो वह होता है जब जवाहर के आते ही आस-पास के सारे पक्षी चहचहाने लगते हैं। इन पक्षियों को भी पता चल जाता है कि उनको खाना खिलाने और पानी देने वाला आ गया। और यह क़िस्सा किसी एक दिन का नहीं, बल्कि रोज़ का है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए यह बर्ड मैन कहते हैं, “यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास के पशु-पक्षियों का ख़्याल रखें।” वह न सिर्फ़ पक्षियों बल्कि पार्क में घूमने वाले कुत्तों के लिए भी दूध-ब्रेड वग़ैरह लेकर आते हैं।
बर्ड मैन होने की ज़िम्मेदारी है कितनी भारी?
वह कहते हैं, “जब मैं 19-20 साल का था, तब से यह काम कर रहा हूँ। मैं रोज़ाना यहाँ आता हूँ, चाहे आंधी आए या तूफ़ान। यह ऊपरवाले की मर्ज़ी है कि मैं यहाँ रोज़ आ पाता हूँ। मैं सबसे पहले यहीं आता हूँ और यहाँ से जाने के बाद ही नहा धोकर नाश्ता करता हूँ। मेरे दिन का पहला काम ही यही होता है।”
हमारे बर्ड मैन का कहना है कि अगर आप कोई अच्छा काम करते हैं तो उसमें कभी रुकावट नहीं आती। उन्होंने बताया कि जब वह पार्क में दाना-पानी देने आते हैं और अगर बारिश का मौसम होता है तो बारिश खुद-ब-खुद उतनी देर के लिए रुक जाती है। वह हर दिन लगभग 5 किलो दाना और 10 लीटर पानी लेकर आते हैं। जवाहर पार्क का कोई ऐसा कोना नहीं छोड़ते जहाँ पानी न रखा हो।
क्योंकि यह एक आर्कियोलॉजिकल पार्क है तो यहाँ गुंबद, किले और बालकनियां भी हैं। जवाहर बिना किसी रुकावट या थकावट के बराबर इन पर चढ़ते-उतरते रहते हैं। वह इस पार्क में कूदते-फांदते हुए अपना काम पूरा करते हैं। इस उम्र में भी उनकी सेहत काफ़ी अच्छी बरकरार है।
कहाँ से करते हैं पक्षियों के खाने का इंतज़ाम?
जवाहर बताते हैं कि उनका परिवार 1947 में पाकिस्तान से दिल्ली आया था और यहीं बस गया। उन्होंने यहाँ पर नाई का काम किया और अपने तीन बच्चों को बड़ा किया। सभी बच्चे आज अच्छी जगह सेटेल्ड हैं। इसलिए बर्ड मैन भी बिना किसी चिंता के पक्षियों के लिए काम करते हैं। वह अपने परिवार कि ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर, अब पक्षियों की ज़िम्मेदारियां संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया, “मैं आज भी अपनी बार्बर की शॉप चलाता हूँ। मेरे कुछ कस्टमर्स फिक्स्ड हैं। दुकान से जो भी कमाई होती है, मैं उसी से पक्षियों और कुत्तों के लिए खाने का सामान ख़रीद लेता हूँ। मुझे इस काम से बहुत खुशी मिलती है।”
बर्ड मैन को किन-किन दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है?
उनका कहना है कि आप सिर्फ़ अपने हिस्से की मेहनत और कोशिश करिए। ऊपरवाले पर भरोसा रखिए, मुश्किलें खुद-ब-खुद ख़त्म हो जाएंगी। जवाहर के परिवार ने भी कभी उन्हें यह काम करने से नहीं रोका। आस-पास रहने वाले और पार्क में आने वाले लोग भी उनके इस काम की आज काफ़ी तारीफ़ें करते हैं।
जवाहर अपनी आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश देते हैं। उनका कहना है, “यह काम चलते रहना चाहिए और चलता ही रहेगा। जब मैं इस दुनिया में नहीं रहूँगा तो कोई और मेरी जगह आएगा। ये सब कुदरत की देन हैं और इनका पेट भरने वाला कोई न कोई आता रहेगा।”
बर्ड मैन कहते हैं कि ज़िंदगी में आपको कुछ पाना है तो बस मेहनत करते रहिए, ऊपरवाला हमेशा आपके साथ है।
संपादन – भावना श्रीवास्तव
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