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एक आयोजन में भारी मात्रा में भोजन को बर्बाद होता देख अंकितक्वात्रा ने एक छोटी शुरुआत की और आज करीब २० शहरों में ७५० ‘हंगर हीरोज’ के सहयोग से, २.५ लाख ज़रुरतमंद लोगो की भूख मिटाने में सफल हुए है ।
जयपुर की कीर्ति गुप्ता याद करती हैं,“कुछ दिनों पहले, मैं अपने मित्र के यहाँ एक आयोजन में गयी थी। आयोजन भव्य था और उनलोगों ने पूरी मेहनत की थी कि मेहमानों को किसी प्रकार की कोई शिकायत न हो। मैंने देखा, वहां करीब ३० प्रकार के व्यंजन रखे गए थे। जब आयोजन समाप्त हुआ तो भारी मात्र में बचा हुआ भोजन कूड़ेदान में डाल दिया गया। वे चाहते तो थे की बचा हुआ भोजन किसी ज़रूरतमंद को दान कर दिया जाए, पर कहाँ और कैसे, ये उन्हें पता नहीं था।”
कीर्ति गुप्ता जैसे कई लोग हैं, जो विवाह या अन्य किसी समारोह में बचे हुए खाने को देख कर चिंतित तो होते हैं, परन्तु उन्हें ये नहीं पता होता की उस भोजन का किया क्या जाए।
अंकित क्वात्रा भी उनमे से एक थे, जिसने एक विवाह समारोह में करीब १००० लोगों का खाना नष्ट होते हुए देखा। वे चिंतित तो हुए परन्तु उन्होंने इसे नज़रंदाज़ नहीं किया और तभी उनके मन में एक विचार आया।
उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था के बारे में सोचा जिससे बचे हुए भोजन को इकठ्ठा कर ज़रुरतमंदों तक पहुंचाने का प्रबंध हो पाए।
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अंकित कहते हैं,“ हम कई बार निराश्रित एवं गरीबों को पैसा या भोजन दे देते हैं। परन्तु जो व्यवस्था हमने सोची उसके पीछे हमारा उद्देश्य उनके लिए भोजन खरीदना नहीं, बल्कि पहले से ही भारी मात्रा में उपलब्ध भोजन को उन तक पहुँचाना है।”
यह सोच जल्द ही एक बड़े कदम में परिवर्तित हुई और अगस्त २०१४ में “फीडिंग इंडिया” का प्रमोचन हुआ। उद्देश्य साधारण था – अपने स्वयंसेवकों द्वारा, जिन्हें ये “हंगर हीरोज” कहते हैं, बचे हुए भोजन को इकठ्ठा करना और ज़रुरतमंदो तक पहुँचाना। इन हंगर हीरोज का चुनाव विभिन्न शहरो के अलग अलग क्षेत्रो से किया गया।
इसके बाद अंकित ने एक २४ घंटे चलनेवाली हेल्पलाइन सेवा आरम्भ की जिसपे लोग संपर्क कर बचे हुए भोजन को दान कर पाएं।
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फीडिंग इंडिया की सदस्य, सृष्टि जैन बताती हैं, “इतनी तैयारी हमारे लिए काफी नहीं थी । हेल्पलाइन जारी करने से भोजन की आपूर्ति तो हो रही थी परन्तु यह नियमित नहीं हो पा रहा था।”
एक व्यवस्थित दृष्टीकोण के लिए, फीडींग इंडिया ने कई भोजन प्रबंधन कमपनियों से साझेदारी की। ये फीडिंग इंडिया को पहले ही विभिन्न आयोजनों का ब्यौरा दे देते हैं तथा आयोजन की समाप्ति पर इन्हें बचे हुए भोजन के बारे में सूचित भी कर देते हैं।
उस क्षेत्र के समीप रहने वाले हंगर हीरोज भोजन को एकत्रित कर, आश्रयघर में उसी रात बाँट आते हैं। यदि यह उसी रात संभव न हो पाए, तो भोजन को शीतगृह (cold storage) में रखा जाता है; तथा अगले दिन सुबह ही वितरित कर दिया जाता है। इनके पास विशेषज्ञों का एक दल भी है जो बांटने के पूर्व भोजन की जांच करता है।
सृष्टि बताती हैं,
“ हमारी पूरी प्रक्रिया बहुत ही व्यवस्थित है और इस कारण, हमारा कार्य साध्य हो पाता है। लोग हमें किसी भी समय संपर्क कर सकते हैं, और हम हर समय उनके लिए उपलब्ध हैं।”
फीडिंग इंडिया ने ७५० हंगर हीरोज का एक मज़बूत संजाल बना लिया है जो देश के बीस शहरों में फैलें हुए हैं। प्रहर चाहे कोई भी हो, ये अपना कार्य उतनी ही आत्मीयता एवं उत्साह से करते हैं।
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सृष्टि याद करती हैं’,
“ एक समय था जब हमें एक रात में करीब ५००० लोगों का खाना एकत्रित करना था। हमारे पास उस समय उतने बर्तन भी नहीं हुआ करते थे। ऐसे में हमारे हंगर हीरोज दो दो बार जाकर खाना इकठ्ठा करते थे और सुबह के पांच बजे अपने घर पहुँचते थे। हमारे सदस्यों की यही निष्ठां हमें आगे बढाती रही है।”
फीडिंग इंडिया के पास अभी कोई भी बाहरी आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं है। यह इसके सदस्यों के निजी पैसों से ही चलाया जा रहा है।
सृष्टि बताती हैं, “हम आयोजकों से यातायात का खर्च उठाने का निवेदन करते हैं। परन्तु कई बार वे मना कर देते हैं। उन्हें लगता है की वे खाना तो दे ही रहे हैं फिर ये ऊपरी खर्च क्यों उठायें! ऐसे में हम स्वयं ही यह खर्च उठाते हैं।”
ये फीडिंग इंडिया के सदस्यों की लगन ही है जिसकी वजह से उन्होंने देश के २.५ लाख से भी ज्यादा लोगो तक खाना पहुँचाया है।
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नियमित रूप से भोजन की उपलब्धता पाने के लिए इस संस्था ने कई कंपनियों एवं रेस्तरां से साझेदारी कर रखी है। फ़ीडिंग इंडिया कई कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है जिससे लोगो को बचे हुए खाने का महत्व बताया जा सके और उन्हें जागृत किया जा सके।
सृष्टि कहती हैं’,
“हम छोटे छोटे कार्यक्रमों का आयोजन कर, लोगों को बचे हुए भोजन को नष्ट न करने का प्रण लेने के लिए प्रेरित करते हैं। हम इन छोटे क़दमों से लोगों की सोच बदलना चाहते हैं।”
भविष्य में ‘फीडिंग इंडिया’ करीब ५० शहरों में पहुँच कर अधिकाधिक कम्पनियो से साझेदारी करने की आकांक्षा रखता है, ताकि कोई भी गरीब भोजन से वंचित न रहे।
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सृष्टि आखिर में कहती है , “कई बार लोग बिस्कुट या रोटी दे कर अपना कार्य पूरा मान लेते हैं, पर यह काफी नहीं है। हमारा मकसद इन गरीब एवं निराश्रित लोगों की भूख मिटाना नहीं बल्कि उन्हें उचित भोजन उपलब्ध करवाना है।"
फीडिंग इंडिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट पर जाए।
अगर आप हंगर हीरो बन कर फीडिंग इंडिया के लिए काम करने के इच्छुक हैं तो आप [email protected] पर या इनके फेसबुक पेज पर इनसे संपर्क कर सकते हैं।
यदि आप बचा हुआ भोजन दान करना चाहते हैं तो इन्हें इनकी हेल्पलाइन ९८७११७८८१० (9871178810) पर भी संपर्क कर सकते हैं।
फ़ीडिंग इंडिया की सेवाए फिलहाल निम्नलिखित शेहरो में उपलब्ध है -
दिल्ली, गुडगाँव, ,नोयडा, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, चंडीगड़, जयपुर, पुणे, मुंबई, हैदराबाद, बंगलूरु, कोलकाता, चेन्नई, मणिपाल सिटी, भुबनेश्वर, इंदौर, गोआ, आगरा, कानपुर, शिव नादर यूनिवर्सिटी, SRM यूनिवर्सिटी, KIIT भुबनेश्वर !
मूल लेख - श्रेया पारीक