Site icon The Better India – Hindi

‘बेटी बचाओ’ अभियान ने लगाया कुल्लू के दशहरे पर चार चाँद !

भारत में दो अवसरों पर लोगो की भीड़ एकत्रित होना अनिवार्य है – एक किसी भी उत्सव पर और दूसरा मतदान के मौके पर। इन दोनों ही मौको को ‘बेटी बचाओ’ अभियान से जोड़कर देश ने एक नया आदर्श स्थापित किया है। आईये देखे कैसे बना यह कीर्तिमान!

हिमाचल प्रदेश की सीमाओं में आप कही से भी प्रवेश कीजिये तो पहला सन्देश जो  ध्यान खींच लेता है वो होता है – देव भूमि में  आपका स्वागत है। हिमाचल प्रदेश वाकई में देव भूमि है। देव भूमि यानि देवताओं का निवास स्थान, और पुराणो में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि :

“यत्र पूज्यन्ते नारीः तत्र रमणयन्ते देवता”

अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वही पर देवताओं का निवास होता है। शायद इसी कारण से हिमाचल प्रदेश की महिलाओं ने नारी की अगली पीढ़ी को बचाने के लिए ” बेटी बचाओ” मुहीम की शुरआत की, और मंच चुना कुल्लू के दशहरे का- जो कि  विश्व प्रसिद्ध है।

कुल्लू में दशहरा मनाने की एक अलग परंपरा है- यहाँ पर दशहरा पूरे देश में  दशहरा मनाये जाने के बाद  मनाया  जाता है, और इसमें झाँकियाँ  निकाली जाती हैं।

छायाचित्र श्रेय – उर्मिल लता

पिछले साल दशहरे के मौके पर कुल्लू घाटी के अलग अलग गावों से लगभग 8500 महिलाओं ने इस अवसर पर अपने पारम्परिक नृत्य के माध्यम से “बेटी बचाओ” मुहीम का आगाज किया था, और इस पहल को लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में प्रविष्टी मिली। इससे प्रोत्साहित होकर सम्बद्ध विभागों ने इस साल के दशहरे मेले के अवसर पर यह योजना बनाई थी कि  इस साल, 12000 नृत्य करने वालों को इसमें शामिल किया जाये- जिसमे महिला तथा पुरुष दोनों ही शामिल हो और एक नए विश्व कीर्तिमान को प्राप्त करने का प्रयास किया जाए। विशेषतः इस उपलब्धि को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करवाया जाए।

प्रविष्टी बंद करने तक इसमें 14500 लोगों ने अपने आप को रजिस्टर करवा लिया था और अधिकरियों  को यह उम्मीद थी कि  सामूहिक नृत्य  के लिए यह संख्या शायद कही भी रिकॉर्ड नहीं की गयी है और यह एक विश्व रिकॉर्ड हो सकता है, हालाँकि मौके पर मौसम की खराबी के कारण अधिकारियों का यह मानना है कि लगभग 10000 लोगों ने इस नृत्य में हिस्सा लिया होगा।

गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधि इस अवसर पर शामिल हुए और उम्मीद जताई जा रही है कि  यह उपलब्धि एक विश्व रिकॉर्ड बन जायेगी।

छायाचित्र श्रेय – उर्मिल लता

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि इसमें हर उम्र के लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। सबसे बुजुर्ग महिला थी ८५ साल की बलि देवी , जबकि सबसे कम उम्र की महिला थी 16  साल की नेत्रहीन बालिका नन्द कला।

इसी के साथ साथ हरियाणा- जिस प्रदेश में लड़कियों की संख्या काफी कम है – ने भी अपने हाल के पंचायती चुनावों के दौरान बेटी बचाओ कार्यक्रम को महत्ता देने के एक लिए उल्लेखनीय पहल की है।

छायाचित्र- mygov.in

यह पहल थी चुनाव के बाद हाथ के ऊपर लगाए जाने वाले मुहर में किये परिवर्तन की। वे सभी नागरिक जिन्होंने वोट डाले उन सबके हाथ पर बेटी बचाओ सन्देश की मोहर लगा कर सरकार द्वारा जागरूकता का एक अभिनव प्रयास किया गया है।

Exit mobile version