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मटका विधि: कम जगह और कम पानी में सब्ज़ियाँ उगाने का बेहतरीन तरीका!

राजस्थान के जोधपुर जिला के बिलाड़ा गाँव में रहने वाले राजू राम राठौड़ पिछले 11 वर्षों से रसायन-मुक्त खेती कर रहे हैं। अपनी 5 एकड़ की ज़मीन पर वह तरह-तरह के प्रयोग करते हैं और साथ ही, किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं। राजू राम कहते हैं कि उनका उद्देश्य छोटे किसानों की मदद करना है।

राठौड़ ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं छोटे किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करता हूँ और उनकी हर संभव मदद भी कर रहा हूँ। साथ ही, वे कम ज़मीन में कैसे ज्यादा से ज्यादा उत्पादन ले सकते है, इसके लिए मैं उन्हें अलग-अलग इनोवेटिव तरीके बताता हूँ। मैंने किसानों को मटका विधि से लेकर घर में वर्टीकल फार्मिंग करने तक की विधियां सिखाई हैं। जिनसे वे कम से कम जगह में भी ज्यादा उपज ले सकते हैं।”

लगभग 7-8 सालों तक गाय के गोबर पर आधारित और अब पिछले कुछ सालों से वेस्ट-डीकम्पोजर पर आधारित खेती कर रहे राठौड़ के साथ इलाके के बहुत से किसान जुड़े हुए हैं। किसानों को वह खाद बनाने से लेकर जैविक कीट-प्रतिरोधक बनाना भी सिखाते हैं। उनके मुताबिक, उन्होंने अपने आस-पास के बहुत से किसानों को जैविक खेती से जोड़ा है।

Raju Ram Rathore along with other farmers

राठौड़ कहते हैं, “मैं खुद गेहूं, बाजरे आदि की खेती करने के साथ-साथ मौसमी सब्जियों और मसाले जैसे हल्दी, जीरा, मिर्च आदि की खेती भी करता हूँ। मेरी ज़्यादातर उपज सीधा ग्राहकों तक पहुँचती है। इसके साथ ही, दूसरे छोटे जैविक किसानों को भी बाज़ार से सीधे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ।”

राठौड़ ने मटका विधि के बारे में बताया कि इससे किसान कम जगह और कम पानी में बेल पर लगने वाली सब्ज़ियाँ जैसे लौकी, खीरा, तोरई आदि की अच्छी फसल ले सकते हैं। वह खुद भी इस विधि से सब्ज़ियाँ उगा रहे हैं।

कैसे करें मटका विधि का इस्तेमाल:

1. सबसे पहले एक गोल मटका लें और इसके मुंह से थोड़ा नीचे की ओर चारों दिशाओं में चार छेद कर लें।

2. अब इसे आपको ज़मीन में गाड़ना है लेकिन ध्यान रहे कि इसके छेदों से मिट्टी मटके में न जाए।

3. चारों छेदों पर पत्थर का कोई टुकड़ा रखकर, इसके चारों तरफ मिट्टी डालना शुरू करें और इसे मुंह तक दबा दें।

Pitcher technique

4. अब इसमें जीवामृत और पोषक तत्वों से युक्त पानी भरें। चारों छेदों में से हल्का-हल्का पानी रिसेगा और चारों दिशाओं में ज़मीन गीली होगी।

5. जहां पर ज़मीन गीली हुई है, वहां पर अपने मन-मुताबिक सब्ज़ी के बीज बोएं।

राठौड़ कहते हैं, “कुछ समय बाद, ये बीज अंकुरित होने लगेंगे और धीरे-धीरे बेल बढ़ने लगेगी। जब आपकी बेल दो फीट जितनी बढ़ जाए तो आप उस मटके के तले में भी बहुत ध्यान से छेद कर दें। इससे बेलों की जड़ों को सीधा पानी और पोषण मिलेगा। आपको अलग से कोई पानी देने की ज़रूरत नहीं है। बस ध्यान रहे कि जैसे ही मटका खाली हो, आप उसमें पानी भरते रहें। आप देखेंगे कि ज़मीन भले ही सूखी है लेकिन आपकी बेल एकदम हरी और पोषण से भरपूर हैं। क्योंकि इस विधि से जड़ों को पानी मिल रहा है और ज्यादा पानी बर्बाद भी नहीं हो रहा है।”

साथ ही, वह आगे बताते हैं कि वह इन बेलों के लगभग 1 फीट बढ़ने के बाद, इनमें 2जी और 3जी कटिंग भी करते हैं। इससे उन्हें ज्यादा उत्पादन मिलता है। “जब उपज आने लगती है तो आप एक बेल से हर तीन-चार दिन में 8 से 10 लौकी या खीरा-ककड़ी आदि प्राप्त कर सकते हैं,” उन्होंने बताया।

राठौड़ का कहना है कि अगर आप और कुछ भी बोना चाहते हैं तो इसी एक मटके के ऊपर बो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मटके के अंदर भी खेती हो सकती है। इसके लिए उन्होंने बताया-

1. पहले मटके के ऊपर आप एक और मटका रखें, इस मटके में भी चारों दिशाओं में चार छेद करें और नीचे तले में भी छोट-सा छेद करें।

2. तले के छेद पर आप नारियल की छाल या फिर उपले का टुकड़ा रख दें और इसमें मिट्टी भर दें।

3. इस मटके में आप ऊपर के छेदों के पास, बैंगन जैसी सब्ज़ियों के बीज लगा सकते हैं। नियमित देखभाल करें और कुछ समय बाद, बीज अंकुरित होंगे और पौधे इन छेदों में से बाहर की तरफ बढ़ने लगेंगे।

4. दूसरे मटके के ऊपर भी आप एक और मटका रख सकते हैं और इसे भी दूसरे मटके की तरह तैयार करके इसमें टमाटर या फिर मिर्च का पेड़ लगा सकते हैं।

5. ऊपर वाले मटकों में आप जो पानी डालेंगे, वह रिसकर नीचे वाले मटकों में भी पहुंचेगा।

फिर भी आपको अगर लग रहा है कि पानी नहीं जा रहा तो आप मटके को उठाकर उसमें पानी डाल सकते हैं।

इस तरह से आप कम ज़मीन पर चार अलग तरह की बेल लगा सकते हैं और साथ ही, ऊपर मटके बढ़ाकर, और फसलें भी ले सकते हैं।

राठौड़ आगे बताते हैं कि वह लोगों को अपने घर में ही वर्टीकल वॉल यानी कि दीवार पर खेती करने की सलाह भी दे रहे हैं। इसके लिए वह बताते हैं कि लोग प्लास्टिक की बोतलों को रीसायकल करके इस्तेमाल कर सकते हैं।

“आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है। सिर्फ बड़ी प्लास्टिक की बोतलों का तला काट लें और अब इन्हें उल्टा दीवार पर लटकाएं। आप कतार में इन बोतलों को लटका दें और इनमें मिट्टी-खाद आदि डालकर पत्तेदार सब्ज़ियाँ उगा सकते हैं। बड़ी बोतलों में आप टमाटर, प्याज, लहसुन जैसी फसलें भी ले सकते हैं,” उन्होंने कहा।

राजू राम राठौड़ से अधिक जानकारी के लिए आप उन्हें 9461691944 पर कॉल कर सकते हैं और उनके यूट्यूब चैनल, ‘मेरी माटी मेरा गांव’ को फॉलो कर सकते हैं!

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