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खेती के शौक को बनाया व्यवसाय, बनाया 80 किसानों का मजबूत समुदाय और कमाई करोड़ों में

myHarvest farm

जैविक फल-सब्जियों के लाभ से तो आज हर कोई वाकिफ है। लेकिन, क्या आप और हम सब्जियां खरीदते समय यह जानने की कोशिश करते हैं कि ये सब्जियां रासायनिक खेती से उगाई गयी हैं या जैविक खेती से? शहरों की दौड़-भाग भरी ज़िन्दगी में, लोगों के पास इतना समय ही नहीं होता कि वे यह जांच-परख कर सकें कि फल-सब्जियां जैविक हैं या नहीं। इसलिए, अक्सर लोग आसानी से मिलने वाली फल-सब्जियों को ही उपयोग में लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं। 

अर्चना और उनके पति, स्टालिन भी पहले यही करते थे। लेकिन, आज वे न सिर्फ अपने घर बल्कि चेन्नई के दो हजार अन्य परिवारों तक, जैविक सब्जियां पहुंचाने का काम कर रहे हैं।  

साल 2012 में भू सूचना (Geoinformatics) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, अर्चना और स्टालिन ने भू सूचना से जुड़ा एक स्टार्टअप भी शुरू किया था। पर, इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद, दोनों ने कई अलग-अलग संस्थानों में भी काम किया। लेकिन, उनकी रुचि नौकरी से हट कर कुछ अलग करने में थी। जैविक खेती के प्रति हमेशा से उनका लगाव था, लेकिन उनके पास कोई जमीन नहीं थी, जहां वे खेती कर पाते। इसलिए, उन्होंने किचन गार्डनिंग से शुरुआत करने की सोची। काफी सोच विचार के बाद, साल 2015 में स्टालिन ने नौकरी छोड़ दी और अपने होमटाउन विरुधुनगर में किचन गार्डनिंग करने लगे।
उस दौरान अर्चना चेन्नई में ही नौकरी करती रहीं, ताकि घर चलता रहे। पर आगे इस दंपति ने देखा कि शहरों में जैविक खाद्य उत्पाद का दायरा काफी बड़ा है। इसमें काफी संभावनाए भी हैं। यहीं से उन्हें ‘जैविक खेती’ को अपनाने का ख्याल आया।
साल 2017 में अर्चना ने भी नौकरी छोड़ दी और किचन गार्डनिंग और जैविक खेती से जुड़ गयीं।

वह बताती हैं, “हम दोनों ने जैविक खेती और टेरेस गार्डनिंग के बारे में विस्तार से जानना शुरू किया। साथ ही, हम कई किसानों से भी मिले जो जैविक खेती करते थे।”

‘myHarvest’ की शुरुआत

 

अर्चना बताती हैं कि उन्होंने चेन्नई में टेरेस गार्डन से शुरुआत की, जैविक सब्जियों के इस्तेमाल के कारण, वह अपने स्वास्थ में भी बदलाव देख पा रही थीं। शुरुआती दिनों में वे शहरी लोगों को घर में ही सब्जियां उगाने में मदद करते थे। साथ ही, उन्होंने पौधे बेचना भी शुरु किया।

वह बताती हैं, “टेरेस गार्डन की अपनी ही समस्याए थी, इसलिए हमने जैविक खेती को बड़े पैमाने में करने का फैसला किया। हमारा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों तक रसायनमुक्त और पोषण से भरा खाना पहुंचना था।”

आगे उन्होंने बताया, “हमने चेन्नई के पास तिरुवल्लुर जिले में, दो एकड़ का खेत किराए पर लिया। जिसका नाम वेम्बू फार्म (Vembu Farm) है। यह हमारा शुरुआती प्रोजेक्ट था।” वह बताती हैं कि तब उनके साथ केवल एक ही किसान जुड़ा था। शुरुआत में उनके खेत में उगी सब्जियां, वे चेन्नई के 18 परिवारों तक पहुंचाते थे।

वह कहती हैं कि सबकुछ एक ही खेत में उगाना संभव नहीं था। इसलिए, कुछ महीनो के बाद ही अर्चना ने जैविक खेती करते हुए,अन्य किसानों को जोड़ कर साल 2018 में एक किसान समुदाय ‘myHarvest’ बनाया। इससे जुड़ने के बाद, किसान सीधे अपनी फल-सब्जियों को ग्राहकों तक पहुंचाने लगे। आज ‘myHarvest’ समुदाय से कुल 80 किसान जुड़े हैं, जो जैविक तरीके से खेती करते हैं। अर्चना ने बताया कि उन्होंने रासायनिक खेती करने वाले, कई किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया।

किसानों को ग्राहकों से जोड़ता मंच 

साल 2018 के शरुआती दिनों में, ग्राहकों को ‘myHarvest’ की सदस्यता दी जाती थी। हर ग्राहक सदस्य को, तीन महीने के लिए, हर सप्ताह आठ से दस किस्म की सब्जियां और अंडे पहुंचाए जाते थे। यह सदस्य्ता केवल रु.3000 की थी।

लेकिन पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान, उन्होंने सदस्यता वाली प्रणाली को बंद कर दिया। अर्चना बताती हैं, “अब हम ग्राहकों के ऑर्डर के हिसाब से उन्हें सब्जियां पहुंचाते है। लॉकडाउन के दौरान भी, हम अपने ग्राहकों तक नियमित रूप से फल-सब्जियां मुहैया कराने में सफल रहे। इससे पिछले साल, हमने एक करोड़ रुपये का कारोबार किया।”

आज चेन्नई के तकरीबन दो हजार परिवार ‘myHarvest’ से सब्जियां और अन्य खाद्य उत्पाद ऑर्डर कर रहे हैं। अर्चना ने बताया कि वे तकरीबन 60 किस्म की फल-सब्जियों को ऑनलाइन बेच रहे हैं। अपने ग्राहकों के बारे में बात करते हुए अर्चना कहती हैं, “ज्यादातर परिवार अपने बच्चों के स्वास्थय को ध्यान में रखते हुए, हमारी जैविक सब्जियां खरीदते हैं।” 

ग्राहकों की प्रतिक्रिया 

ग्राहकों को जैविक खेती और इससे जुड़े लाभ के बारे में बताने के लिए, अर्चना उन्हें अपने खेतो में भी आमंत्रित करती हैं। वह बताती हैं कि कई परिवार छुट्टी के दिनों में, हमारे खेतों पर समय बिताने आते हैं। ऐसे में, वे किसानों से सीधा संपर्क भी बना सकते हैं। 

‘myHarvest’ की एक नियमित ग्राहक नित्या मणी ने द बेटर इंडिया को बताया कि वह लॉकडाउन के समय से ही ‘myHarvest’ से सब्जियां ऑर्डर कर रही हैं। नित्या बताती हैं, “ये सब्जियां स्वाद में बिल्कुल अलग हैं। सब्जियों के अलावा, इनके पास जैविक चावल और दाल की भी कई अच्छी किस्में उपलब्ध हैं। वह आगे कहती हैं, “ये सब्जियां थोड़ी महंगी जरूर हैं, लेकिन गुणवत्ता में काफी अच्छी हैं। मेरी माँ को भी इनका स्वाद काफी पसंद है।

अर्चना मानती हैं कि ग्राहकों का भरोसा जीतने के लिए, पारदर्शिता का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। आज उनके सभी ग्राहक जानते हैं कि ‘myHarvest’ से आए सभी खाद्य उत्पाद जैविक हैं।

‘myHarvest’ की ऑनलाइन वेबसाइट से ग्राहक 12 तरह के पत्तेदार साग, 30 से ज्यादा फल-सब्जियों तथा चावल और दाल की पांच से ज्यादा किस्में, नारियल का तेल, गुड़, गाय का घी, चना आदि कई खाद्य सामग्री ऑर्डर करते हैं। इन्हें होम डिलीवरी के जरिये चेन्नई में पहुंचाया जाता है। आने वाले दिनों में उनका लक्ष्य, एक हजार किसानों को इस समुदाय से जोड़ना है। 

इसके साथ ही, शहर के कई स्कूलो में उन्होंने खेती के वर्कशॉप भी आयोजित किये हैं। अर्चना ने बताया कि स्कूली छात्रों से उन्हें काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। अब वह कई स्कूलों में नियमित रूप से बच्चों को खेती के बारे में पढ़ाती हैं। उनका मानना है कि इससे हम ज्यादा से ज्यादा शहरी लोगो को प्रकृति से जोड़ पाएंगे।

अर्चना स्टालिन से ‘myHarvest’ के जैविक खाद्य उत्पाद के बारे में अधिक जानने के लिए आप उनकी वेबसाइट तथा इंस्टा पेज पर संपर्क कर सकते हैं। 

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संपादन – प्रीति महावर

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