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बिचौलियों को हटा लाभ कमा रहे हैं नासिक के किसान, मुंबई में खुद लगाते हैं जैविक बाज़ार!

मुंबई की गार्डन एस्टेट सोसाइटी के लगभग 80% लोग सुबह 6:30 बजे उठकर एक लाइन में खड़े होते हैं। फिर लगभग 45 मिनट में एक किसान आता है और कहता है कि बाज़ार खुल गया है।

लाल गोभी और ब्रोकली से लेकर अन्य हरी पत्तेदार सब्ज़ियों तक, किसानों की सभी सब्जियां मात्र 20 मिनट में बिक जाती हैं।

“यहाँ पर कोई वेस्टेज नहीं बचता है और सामान्य तौर पर हमें 20% ज्यादा पैसे मिलते हैं। लेकिन सबसे अच्छा यह है कि सभी ग्राहक यहाँ से एकदम प्राकृतिक और पौष्टिक सब्ज़ियाँ लेकर जाते हैं,” यह कहना है नासिक के जैविक किसान भागवत का।

भागवत, महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक किसान संगठन, ‘वसुंधरा सेंद्रिल शेतमाल उत्पादक शेतकरी गट’ से जुड़े हुए हैं और वह इस किसान संगठन के ‘फार्म टू फोर्क’ अभियान को लीड करते हैं। उनके अलावा और 200 जैविक किसान इस संगठन से जुड़े हुए हैं और ये सभी मुंबई में हर हफ्ते दो-तीन दिन के लिए ऑर्गेनिक मार्किट लगाते हैं।

कैसे हुई ‘फार्म टू फोर्क’ की शुरुआत?

साल 2016 में सरकार की एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी ने बहुत से किसानों को जैविक खेती के लिए तैयार किया। भागवत की टीम भी इन किसानों में शामिल थी। बिचौलियों को हटाकर खुद अपनी उपज को बाजारों तक पहुंचाने की ट्रेनिंग उन्होंने भी ली।

Source: Amit Mehra/Twitter

“मैं हमेशा से अपनी उपज को शहरों में बेचना चाहता था और मुंबई सबसे पहला विल्कप था। इसलिए मैंने जैविक किसानों का एक समूह बनाया और मुंबई में ऐसे लोगों को ढूंढने लगा जो हमारी मदद कर सकें,” भागवत ने बताया।

एक सही मार्गदर्शक की तलाश उन्हें जोसफ पिंटो तक ले आई, जो एक रिटायर्ड आर्मी अफसर हैं। जोसफ ने बिना किसी स्वार्थ के उनकी मदद की।

“पिंटो सर के ‘शरण ऑर्गेनिक फार्मिंग मार्किट’ की मदद से हमने आज से तीन साल पहले जुहू के पुष्पा नरसी पार्क में अपना सबसे पहला स्टॉल लगाया। तब से हम हर रविवार शहर आते हैं और सुबह 10:30 से दोपहर के 1 बजे तक अपनी सब्ज़ियाँ यहाँ बेचते हैं,” उन्होंने आगे कहा।

कैसे काम करता है यह ऑर्गेनिक मार्किट:

भागवत ने अपने ग्राहकों से सीधा जुड़ने के लिए और उनकी ज़रूरत को समझने के लिए एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया हुआ है। वह ग्राहकों की ज़रूरत के हिसाब से सब्जियां लेकर आते हैं ताकि कोई वेस्ट ना हो।

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बाज़ार लगने से एक दिन पहले भागवत ग्रुप में उन सभी सब्जियों की तस्वीरें डालते हैं, जिह्नें वह बाज़ार में लाने वाले हैं। फिर उस पर जो भी प्रतिक्रया आती है, उसी हिसाब से भागवत और उनकी टीम एक ट्रक में सभी ताजा सब्जियां भरकर लाते हैं।

किसी बिचौलिए के न होने से किसान सीधा अपनी फसल ग्राहकों को बेचते हैं और उन्हें कोई कमीशन नहीं देना पड़ता। किसान यह भी निश्चित करते हैं कि उनकी सब्जियों के दाम बाज़ार के दाम के अनुरूप ही हो।

“हमें पता है कि शहरों में जैविक सब्जियों की मांग ज्यादा है। पर हम हमेशा अपने दाम ठीक-ठीक रखते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग हमारी सब्ज़ियां खरीदें। हम प्रति किलो सिर्फ 3-4 रूपये ही बढ़ाते हैं,” उन्होंने आगे कहा।

भागवत फार्मर मार्किट में हर एक किसान के लिए 2000 रुपये प्रतिदिन की कमाई का टारगेट रखते हैं।

Source: Sharan Organic Farmers Market/Facebook (representative image)द बेटर इंडिया ने गार्डन सोसाइटी के निवासियों से भी बात की ताकि पता चले कि उनकी क्या प्रतिक्रिया है। यहां रहने वाली समीना कहती हैं, “पिछले तीन साल से मैं भागवत से सब्ज़ियां खरीद रही हूँ और मैं बिल्कुल क्वालिटी की गारंटी ले सकती हूँ। इसलिए मैंने उसे हमारी बिल्डिंग की समिति से मिलवाया और उसे तुरंत हमने ऑन-बोर्ड कर लिया। जितना सोचा था, उससे भी अच्छी प्रतिक्रिया हमें मिली। हर दिन हम लोग किसी किसान की मदद नहीं कर सकते और अगर अब हमें मौका मिला है तो यह हमारी किस्मत है।”

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एक और निवासी, प्राची पाल कहती हैं, “मैं अब अपने फ्रिज को ब्रोकली, मशरुम और अन्य जैविक सब्ज़ियों से भर सकती हूँ और वह भी बिना बहुत ज़्यादा खर्च किये। सब्ज़ियां बहुत ही सामान्य रेट पर मिलती हैं और अगर बल्क में लो तो होलसेल कीमत पर। स्वाद भी बिलकुल अलग है।”

आपकी सोसाइटी में कैसे लग सकता है ऑर्गेनिक मार्किट:

अगर आप भी सीधा इन किसानों से जैविक सब्ज़ियां खरीदना चाहते हैं तो आप भागवत से 9975324498 पर सम्पर्क कर सकते हैं। मुंबई और ठाणे के निवासी अधिक जानकारी के लिए समीना से 8976010649 पर बात कर सकते हैं!

आपको उन्हें अपनी सोसाइटी के  सभी निवासियों की एक लिस्ट देनी होगी और फिर कितनी मात्रा में आपको सब्ज़ियां चाहिए ये बताना होगा। इसके बाद भागवत अपनी टीम के साथ मिलकर अपना प्लान सेट करके आपको बता देंगे कि वे कब से मार्किट लगा सकते हैं।

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भागवत की इस पहल से किसानों और ग्राहकों, दोनों को फायदा हो रहा है। यक़ीनन उनकी यह पहल काबिल- ए- तारीफ है!

मूल लेख: गोपी करेलिया

संपादन – मानबी कटोच 


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