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Home प्रेरक किसान नौकरी छोड़, थाई अमरूद उगाने लगा यह MBA ग्रैजुएट, किसानों को दिया रोज़गार

नौकरी छोड़, थाई अमरूद उगाने लगा यह MBA ग्रैजुएट, किसानों को दिया रोज़गार

उत्तराखंड के रहनेवाले एमबीए ग्रेजुएट राजीव भास्कर ने खेती करने के लिए अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और आज Residue Free तरीके से थाई अमरूद उगाकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं।

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MBA graduate Rajiv is growing Thai guava

उत्तराखंड के रहनेवाले राजीव भास्कर ने कभी नहीं सोचा था कि रायपुर की एक बीज कंपनी में काम करने का जो अनुभव उन्हें मिला है, वह एक दिन उन्हें एक सफल किसान और उद्यमी बनने में मदद करेगा। आज 31 वर्षीय कृषि उद्यमी राजीव अपने थाई अमरूद और ग्राफ्टेड नर्सरी के ज़रिए अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।

राजीव ने जी बी पंत युनिवर्सिटी, उत्तराखंड से 2013 में हॉर्टिकल्चर में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने साढ़े चार सालों तक VNR नर्सरी प्रा. लि. रायपुर, छत्तीसगढ़ में नौकरी की। यहां काम करते हुए उन्हें कई किसानों से मिलने का मौका मिला, जिनसे प्रभावित होकर राजीव ने भी खेती करने का फैसला किया।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए राजीव ने बताया, "मैंने खेती की शुरुआत साल 2017 में हरियाणा के पंचकुला से की थी। मैंने 5 एकड़ की जगह लीज़ पर ली थी, जहां अमरूद उगाकर मैंने काफी अच्छा मुनाफा कमाया। उसके बाद, मैंने 2019 में 4 और पार्टनर्स के साथ मिलकर पंजाब के रुपनगर ज़िले में एग्रोया हार्वेस्ट प्रा. लि. की शुरुआत की।"

उन्होंने 55 एकड़ का बाग लिया, जहां 25 एकड़ में वे Residue free तरीके से अमरूद उगाते हैं और बाकी के 30 एकड़ में मौसमी सब्ज़ियों और टिंबर की खेती करते हैं।

अमरूद उगाने के साथ, चला रहे ग्राफ्टेड नर्सरी भी

राजीव ने बताया, "हर एक कीटनाशक का अपना PHI (Pre Harvest Interval) होता है, मतलब आप जो कुछ भी स्प्रे कर रहे हैं, उसका प्रभाव पौधे पर कब तक रहेगा?" राजीव इस बात का ख्याल रखते हैं कि वह जिस भी कीटनाशक का इस्तेमाल कर रहे हैं उसका PHI कम से कम हो, यानी फसल काटने से पहले उसका असर खत्म हो जाए, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर न पड़े।

राजीव जो थाई अमरूद उगाते हैं, उनकी किस्में थाईलैंड की मूल हैं और पूरे भारत में इसकी काफी मांग है। राजीव कहते हैं, "इस फल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि 25 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखने पर भी इनकी शेल्फ लाइफ 12 दिनों की होती है।"

इसके साथ ही, वह ‘अरुज नर्सरी’ नाम से एक ग्राफ्टेड नर्सरी भी चला रहे हैं। राजीव ने बताया, "इसकी शुरुआत हमने 2021 में की थी और इसे शुरू करने के पीछे हमरा मकसद था- किसानों की ज़मीन को उपजाऊ बनाना।"

जब भी किसान बार-बार खेत में एक ही तरह की फसल उगाते हैं, तो मिट्टी में काफी सारी बिमारियां बढ़ जाती हैं, जिनका केमिकल्स डालकर भी कोई समाधान नहीं मिलता, तो उसके लिए जब खेत खाली होते हैं तो उसमें ग्राफ्टेड पौधे लगाए जाते हैं और इससे मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ती है।

आज राजीव न सिर्फ खेत को उपजाऊ बनाने में किसानों की मदद कर रहे हैं, बल्कि कई लोगों को रोज़गार भी दिया है।

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