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एक किसान ने फूलों से बदली पूरे गांव की तस्वीर, हो रहा सालाना 40 करोड़ का कारोबार

Aatmaswaroop doing flower farming

प्रकृति की गोद में देवदार के हरे-भरे पेड़ों के बीच बसा हुआ हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है- चायल। चायल के छोटे से गांव महोग के आत्म स्वरूप की यह ज़िद ही थी कि आज से 30 साल पहले उन्होंने प्रयोग के तौर पर अपने गांव में फूलों की खेती शुरू की थी और आज उनकी पहल से हिमाचल के हजारों किसान अपनी आजीविका पा रहे हैं।

आत्म स्वरूप ने 1988 में इसकी शुरुआत की थी और आज उनके गांव से ही 40 करोड़ रुपये के फूल सालाना निकलते हैं। वहीं, उनकी ओर से की गई शुरुआत आज हिमाचल के कई क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है और हिमाचल में हर साल लगभग 200 करोड़ रूपये के फूलों का कारोबार होता है।

कैसे हुई शुरुआत?

Polyhouse set up for floriculture in Mahog village

फूलों की खेती की शुरुआत के बारे में बात करते हुए आत्म स्वरूप ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमारे गांव में पहले सब्जियों और परंपरागत अनाजों की खेती हुआ करती थी। हमारे गांव से एक व्यक्ति महाराजा पटियाला के महल में माली का काम करता था और उसने मुझे फूलों की खेती करने के बारे में बताया।”

उन्होंने आगे बताया, “मैंने उनसे ही ग्लैडियस फूल की कलमें लीं और इन्हें अपने खेत में लगाया और इसकी बहुत अच्छी पैदावार हुई। बस फिर क्या था मैंने अपने खेतों में फूल उगाने की ठान ली और अपने परिवार को भी सब्जियों के बजाय, फूलों की खेती करने के लिए तैयार कर लिया।

आत्म स्वरूप बताते हैं, “मैंने फूलों को उगाना तो शुरू कर दिया, उत्पादन भी अच्छा हो रहा था, लेकिन इन्हें बेचने के लिए हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हम पहले बस की छत पर फूलों को चायल से 20 किलोमीटर दूर कंडाघाट पहुंचाते थे। इसके बाद यहां से रेल के माध्यम से 50 किलोमीटर दूर कालका पहुंचाते और फिर वहां से दूसरी रेल में चढ़ाकर अंबाला और फिर दिल्ली में मंडी तक फूलों को पहुंचाते थे।”

इस दौरान कई बार फूल खराब भी हो जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथ गांव के अन्य किसानों को भी खेतों में फूल उगाने के लिए राजी किया और जब गांव के अन्य लोग भी खेती करने लगे और फूलों का उत्पादन अधिक होने लगा, तो गांव से ही गाड़ियों के माध्यम से सीधे दिल्ली मंडी में फूल भेजने लगे। आज इस गांव से हर तीसरे दिन फूलों से भरी एक बड़ी लॉरी दिल्ली मंडी के लिए निकलती है।

100 से भी ज्यादा सम्मान पा चुके हैं आत्म स्वरूप

Om Prakash and Atma Swaroop pruning flowers in their fields

आत्म स्वरूप बताते हैं कि वह अभी तक हज़ारों किसानों को फूलों की खेती सिखा चुके हैं। उन्होंने बताया कि हमारे गांव में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, किसान और कई नामी लोग इस खेती को देखने के लिए आते रहते हैं। वह बताते हैं कि शुरुआती वर्षों में वह खुले खेतों में फूल उगाया करते थे, लेकिन एक बार उनके यहां हॉलैंड के वैज्ञानिक आए और उन्होंने बताया कि फूलों की खेती को खुले में न करके प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन यानी पॉलीहाउस में करना चाहिए।

इसके बाद उन्होंने पॉलीहाउस तैयार कर फूलों की खेती शुरू की और इससे उनके फूलों की क्वालिटी बेहतर हुई और बीमारियां भी कम हो गईं। आत्म स्वरूप को फूलों की खेती के लिए 100 से अधिक सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें वाइब्रेंट गुजरात में भी जाने का मौका मिला और वह 3 वर्षों तक आईसीआर के नेशनल एडवाइज़री कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं।

20 तरह के फूलों की करते हैं खेती

Flowers in polyhouse in Mahog village

आत्म स्वरूप कहते हैं, “आज हमारे गांव में कारनेशन, लिलीयम, ब्रेसिका केल, जिप्सोफिला, गुलदावरी समेत 20 तरह के फूलों की खेती होती है और ये फूल महंगे होटलों, धार्मिक अनुष्ठानों और साज-सज्जा के काम में आते हैं। महोग गांव में फूलों की खेती करने वाले ओम प्रकाश कहते हैं कि हमारे गांव से फूलों की खेती की शुरुआत हुई है, यह हमारे लिए गर्व का विषय है।

ओम प्रकाश बताते हैं, “हमारे गांव के फूल इंटरनेशनल क्वालिटी के होते हैं और अब हमारे गांव के युवा भी बाहर नौकरी करने के बजाए फूलों की खेती को अपनाकर अपनी आजीविका कमा रहे हैं और अन्य किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।”

फूलों की खेती से जुड़े रवि शर्मा ने बताया कि आत्म स्वरूप हमारे लिए ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल के फूल उत्पादकों के लिए प्रेरणाश्रोत हैं। उनसे सीखकर आज प्रदेश के हजारों युवा अच्छी कमाई कर रहे हैं और अपना भरण-पोषण कर रहे हैं।

अगर आप भी आत्म स्वरूप से संपर्क करना चाहते हैं, तो 70185 07588 पर कर सकते हैं। 

संपादनः अर्चान दुबे

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