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दुबई की नौकरी छोड़ लौटे अपने वतन, बंजर ज़मीन को उपजाऊ बना शुरू की जैविक खेती

इन दिनों खेती की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है, खासकर जैविक खेती की तरफ। आज हम आपको केरल के ऐसे शख्स (Kerala Organic Farmer) से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं जिन्होंने लंबे समय तक दुबई में काम किया लेकिन एक दिन अचानक नौकरी छोड़कर वह देश लौट आए और अपने गाँव की बंजर जमीन को तैयार कर वहाँ शुरू कर दी जैविक खेती।

यह कहानी केरल के तुम्बुर के रहने वाले टॉम किरण डेविस की है, जिनके पास इकॉनोमिक्स में पोस्ट-ग्रैजुएशन की डिग्री है, जिन्हें वॉलीबॉल में महारत हासिल है, जिन्होंने लंबे वक्त तक दुबई में काम किया लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेती किसानी की तरफ खुद को मोड़ लिया है।

किसान बनने के अपने फैसले के बारे में किरण ने द बेटर इंडिया को बताया, ” जब मैंने दुबई की नौकरी छोड़कर गाँव में किसानी की शुरूआत की तो दोस्त-परिवार, सबका यही कहना था कि अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती के चक्कर में क्यों पड़ रहे हो? खेती में कोई बचत नहीं है। लेकिन मैं सुकून से एक स्वस्थ ज़िंदगी जीना चाहता था, जहाँ सुविधाएं भले ही कम हो लेकिन आत्म-संतुष्टि हो।”

Tom Kiron Davis

किसान परिवार में पले-बढ़े किरण को खेती से जुडी समस्याएं पता थीं और इसलिए उन्होंने समाधान पर काम किया। उन्होंने लौटकर सबसे पहले उस ज़मीन को संवारा जो सालों से बंजर पड़ी थी। साल 2014-15 में जब वह लौटे तो उन्होंने देखा कि उनके वेलुक्कारा पंचायत में बहुत सारी ज़मीन कई सालों से बंजर पड़ी है। इस ज़मीन को कोई हाथ भी नहीं लगाना चाहता था क्योंकि कई दशकों से वहाँ कुछ नहीं उगा था। ऐसे में लोगों को लगता था कि यहाँ खेती करना बेवकूफी है।

“लेकिन मैंने अपनी खेती की शुरूआत वहीं से की। लगभग डेढ़ एकड़ ज़मीन मैंने वहाँ पर लीज पर ली और सबसे पहले इसे साफ किया। काफी सारी घास-फूस और दूसरी गंदगी वहाँ से निकाल कर ज़मीन को समतल किया। इसके बाद, इस ज़मीन को खेती के लिए तैयार किया गया,” किरण ने कहा।

खेती के लिए ज़मीन को तैयार करने के लिए किरण ने जैविक और प्राकृतिक तरीकों का सहारा लिया। उन्होंने पहले से ही ठाना हुआ था कि वह बिना किसी केमिकल के खेती करेंगे। उनके इलाके में बारिश भी अच्छी होती है और इस तरह से उन्हें पानी की समस्या नहीं थी। उन्होंने अपने खेतों पर गोबर की खाद, जीवामृत, घनजीवामृत और वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल किया। पहले ही साल में किरण ने इस ज़मीन को तैयार करके धान की खेती की।

His fellow farmer

उनका प्रयास सफल रहा और उन्हें धान की अच्छी उपज मिली। उनकी देखा-देखी दूसरे किसानों ने भी इस बंजर पड़ी ज़मीन में से कुछ-कुछ हिस्सा लीज पर लेना शुरू कर दिया। किरण ने भी बहुत से किसानों को इस बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाने के लिए न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि उनका मार्गदर्शन भी किया। आज यहाँ की लगभग 200 एकड़ ज़मीन पर धान की खेती हो रही है।

किरण जहाँ 1.5 एकड़ पर धान की खेती करते हैं वहीं 4 एकड़ ज़मीन पर जंगल-पद्धिति से फल, फूल, मसाले और सब्जियां भी उगा रहे हैं। वह मौसमी सब्जियों के साथ-साथ नारियल, केला, हल्दी, अदरक, रबर, जायफल और जावित्री जैसी चीजों की खेती भी कर रहे हैं। वह अपने फार्म में सब कुछ प्राकृतिक तरीके से उगा रहे हैं।

किरण कहते हैं, “मैं अन्य किसानों के साथ मिलकर सामुदायिक स्तर पर धान की खेती कर रहा हूँ। अपनी उपज को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए हमने एक मार्केटिंग मॉडल भी तैयार किया है। इसके जरिए हम अपने जैविक उत्पाद को सीधा ग्राहकों तक पहुँचाते हैं। हमने इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। फेसबुक और इंस्टाग्राम के ज़रिए हमने चावल की मार्केटिंग की और यही वजह है कि बिना किसी बिचौलिए के हम ग्राहकों तक पहुँच रहे हैं।”

He is growing vegetables, fruits, spices, herbs along with rice

ग्राहकों तक अपने उत्पाद पहुँचाने के लिए किरण ने जिस मॉडल को अपनाया है, उसके बारे में उन्होंने बताया, “शुरूआत मैंने अपने खेतों से की लेकिन फिर मांग बढ़ने लगी। ऐसे में, ग्राहकों के साथ-साथ किसानों का नेटवर्क भी तैयार किया। किसानों का एक समूह तैयार किया। इसके बाद मांग के हिसाब से हमने जैविक खेती शुरू की। अब हमारे लगभग सभी उपज जैसे हल्दी, काली मिर्च, जायफल, जावित्री, कटहल, इमली, आम आदि सीधा ग्राहकों तक पहुँचते हैं।”

किरण ने अपने उत्पादों को एक ब्रांड के तौर पर पेश किया और उसका नाम ‘पेपेनेरो’ रखा है। वह अमेज़न पर भी अपने प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। उन्होंने जिस तरह से किसानों के लिए एक ब्रांड स्थापित किया है, उससे उनके इलाके में युवाओं को भी खेती से जुड़ने की प्रेरणा मिली है। किरण को उनके खेती के प्रति समर्पण के लिए सम्मानित भी किया गया है। राज्य सरकार के अलावा उन्हें 2018 में स्वामी विवेकानन्द युवा प्रतिभा अवॉर्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।

He has got Swami Vivekanand Yuva Pratibha Award

फ़िलहाल, किरण कन्नुकेत्तिचिरा- वाज्हुक्किलिचिरा पद्शेखरा समिति के सेक्रेटरी और करूर में एक रबर प्रोडक्शन सोसाइटी के सदस्य हैं। साथ ही वह जैव कृषक समिति के सदस्य भी हैं। किरण कहते हैं कि उनका सपना है कि किसान के बच्चे भी खेती करें और यह तभी संभव है जब खेती में लोगों को मुनाफा मिले।

वह कहते हैं, “मेरी बस यही कोशिश है कि किसानों के बच्चे कहीं न कहीं खेती से जुड़े रहें। पढ़-लिखकर अपनी शिक्षा का उपयोग वह खेती को आगे बढ़ाने के लिए भी करें।”

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है और यदि आप किरण से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें 8301082911 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं या फिर pepenerofarm@gmail.com या tomkirondavis@gmail.com पर ईमेल भी कर सकते हैं।

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संपादन: जी. एन. झा


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